वधावन पोर्ट परियोजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी
भारत सरकार ने देश की आर्थिक कनेक्टिविटी को एक नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ₹76,000 करोड़ की लागत से वधावन गहरे समुद्र बंदरगाह परियोजना को मंजूरी दी है। यह परियोजना महाराष्ट्र के मुंबई के पश्चिमी तट पर स्थित है और भारत-मध्यपूर्व-यूरोप आर्थिक कनेक्टिविटी (IMEEEC) परियोजना का मुख्य पोर्ट बनने की क्षमता रखती है।
इस बंदरगाह को बनाने की योजना दो चरणों में पूरी की जाएगी। पहले चरण में 2030 तक 15 मिलियन TEUs (बीस फुट इक्विवेलेंट यूनिट्स) की क्षमता विकसित की जाएगी जबकि दूसरे चरण में 2040 तक इसकी क्षमता में 8.2 मिलियन TEUs का और इजाफा किया जाएगा। इस परियोजना का उद्देश्य भारत के विभिन्न क्षेत्रों में माल-ढुलाई को सुगम बनाना और लागत में कमी लाना है।
परियोजना की विशेषताएँ
वधावन पोर्ट की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसका 20 मीटर का गहरा पानी है, जिससे यह बड़े से बड़े जहाजों को भी संभाल सकेगा। यह सुविधा 24,000 TEUs तक बड़े जहाजों को संभालने की अनुमति देगी। इस पोर्ट के शुरू होने से न सिर्फ भारत के ही हिस्सों में व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा बल्कि चाबहार पोर्ट (ईरान) और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) जैसे अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी में भी मदद मिलेगी।
इस बंदरगाह की रणनीतिक स्थिति और आंतरिक क्षेत्रों से बेहतर संपर्कता के कारण लॉजिस्टिक्स की लागत में $50 से $100 प्रति TEU तक की कमी आने की संभावना है। ये आंकड़े इसकी आर्थिक प्रभावशीलता को दर्शाते हैं।
निवेश और मॉडल
वधावन पोर्ट परियोजना को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत विकसित किया जाएगा। इसके लिए एक विशेष प्रयोजन वाहिका (SPV) 'वधावन पोर्ट्स प्रोजेक्ट्स लिमिटेड' स्थापित की गई है जिसमें जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ऑथोरिटी (JNPA) की 74% हिस्सेदारी है जबकि महाराष्ट्र मेरीटाइम बोर्ड (MMB) की 26% हिस्सेदारी है। इस SPV का मुख्य कार्य बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए ₹38,976 करोड़ का निवेश करना है, जबकि बाकी ₹37,244 करोड़ का निवेश निजी क्षेत्र द्वारा किया जाएगा।
SPV निर्माण हेतु इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (EPC) मोड पर ₹21,267 करोड़ खर्च करेगी जबकि ड्रेजिंग और पुनर्वास कार्य के लिए ₹17,709 करोड़ का खर्च आएगा। टर्मिनल ऑपरेटर बंदरगाह के विभिन्न हिस्सों को विकसित करने के लिए ₹37,244 करोड़ का निवेश करेंगे जिसमें बर्थ, टर्मिनल्स, कंटेनर टर्मिनल, रो-रो टर्मिनल, बल्क लिक्विड जेट्टी और अन्य सुविधाएँ शामिल हैं।
सरकारी मंत्रियों की टिप्पणियां
संवेदनशील संचारण बंदरगाह होने की इसकी क्षमता पर जोर देते हुए केंद्रीय पोर्ट, शिपिंग और जलमार्ग मंत्री, सरबानंद सोनोवाल ने इस बंदरगाह की महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग स्थिति को उजागर किया। इसे भारत के प्रमुख व्यापारिक बंदरगाह के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया को उन्होंने स्वागत योग्य कदम बताया।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी वधावन पोर्ट की रणनीतिक स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि यह बंदरगाह उत्तर, उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में आर्थिक गतिविधियों को विशालतम बढ़ावा देगा।
भविष्य की दिशा
इस परियोजना के पूरा होने के बाद, भारत को न केवल अपने भीतर के लॉजिस्टिक्स और व्यापारिक लागत में कमी मिलेगी बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में भी प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त होगा। वधावन पोर्ट का विकास भारत की आर्थिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा और इससे देश की व्यापारिक प्रणाली को नयी ऊर्जा मिलेगी।