डॉ. मनमोहन सिंह का 92वां जन्मदिन: कांग्रेस ने सादगी और दूरदर्शिता का दुर्लभ प्रतीक बताया

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92वां जन्मदिन 26 सितंबर, 2024 को पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कई कांग्रेस नेताओं और अन्य राजनीतिक दिग्गजों ने उन्हें शुभकामनाएं दीं और उनके योगदानों को याद किया।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने डॉ. सिंह को शुभकामनाएं देते हुए कहा, "डॉ. मनमोहन सिंह राजनीति में सादगी, गरिमा और दूरदर्शिता के दुर्लभ प्रतीक हैं। उनकी उपलब्धियाँ शब्दों से कहीं ज्यादा बोलती हैं।" खड़गे ने डॉ. सिंह के योगदान की सराहना करते हुए उन्हें सम्मानित किया।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी डॉ. सिंह को जन्मदिन की बधाई दी। उन्होंने कहा, "डॉ. मनमोहन सिंह जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं। आपकी नम्रता, बुद्धिमत्ता और देश की भविष्य की दिशा अनुसरण करने में आपकी निःस्वार्थ सेवा ने मुझे और लाखों भारतीयों को प्रेरणा दी है।" राहुल गांधी ने डॉ. सिंह के स्वास्थ्य और सुख की कामना की।

कांग्रेस पार्टी की तारीफें

कांग्रेस पार्टी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर डॉ. सिंह की प्रतिबद्धता और भारतीय आर्थिक विकास में उनके योगदान को सराहा। पार्टी ने उनके दीर्घायु, अच्छे स्वास्थ्य और सुखमय जीवन की कामना की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी डॉ. मनमोहन सिंह को जन्मदिन की शुभकामनायें दीं। उन्होंने कहा कि डॉ. सिंह का योगदान और उनकी दूरदर्शिता देश के लिए अमूल्य है।

दूरदर्शिता और सादगी के प्रतीक

डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में 2004 से 2014 तक सेवा दी। इससे पूर्व उन्होंने 1991-96 में पी. वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकार में वित्त मंत्री के रूप में काम किया। उस दौर को भारतीय अर्थव्यवस्था के सुधारों के लिए याद किया जाता है, जिनके परिणामस्वरूप देश में आर्थिक समृद्धि आई।

डॉ. सिंह एक ऐसे नेता रहे हैं जिन्होंने हमेशा सादगी को प्राथमिकता दी और अपने कर्मों और निर्णयों से देश को दिशा दिखायी। उनका जीवन राजनीतिक समर्पण का एक आदर्श उदाहरण है। उनकी आर्थिक नीतियों ने भारत में आर्थिक सुधारों का मार्ग प्रशस्त किया, जिसके कारण देश आज एक मजबूत आर्थिक स्थिति में है।

उनके योगदान के कारण उन्हें न केवल भारत में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी आदर और सम्मान प्राप्त है। उनके नेतृत्व में भारत ने न केवल आर्थिक विकास किया बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी स्थिति को मजबूत किया।

भारतीय राजनीति का दुर्लभ रत्न

डॉ. मनमोहन सिंह को भारतीय राजनीति का दुर्लभ रत्न कहा जाता है। उनकी सादगी, विनम्रता और गहन राजनीतिक समझ ने उन्हें हमेशा विशेष स्थान दिया है। राजनीतिक पटल पर उनके योगदान और उनकी दूरदर्शिता को देखते हुए लोग उन्हें हमेशा याद करेंगे।

जन्मदिन के इस अवसर पर कांग्रेस नेताओं ने न केवल उन्हें बधाई दी वरन् उनके द्वारा किये गए कार्यों और उनके योगदान को भी स्मरण किया। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत रहेगा।

Subhranshu Panda

मैं एक पेशेवर पत्रकार हूँ और मेरा मुख्य फोकस भारत की दैनिक समाचारों पर है। मुझे समाज और राजनीति से जुड़े विषयों पर लिखना बहुत पसंद है।

17 टिप्पणि

  • Ankit khare

    Ankit khare

    ये सब बकवास पढ़कर लगता है जैसे कोई मुर्दे को गुनगुना रहा हो। आजकल के नेता तो ट्विटर पर लिख रहे हैं वो भी AI लिखवाकर। डॉ. सिंह तो असली नेता थे जिनके पास बोलने के लिए दिमाग था ना कि सोशल मीडिया टीम।
    पर अब तो ये सब निशाने पर नहीं बल्कि ट्रेंड पर चल रहा है।

  • Chirag Yadav

    Chirag Yadav

    मुझे लगता है कि डॉ. सिंह के जीवन से हम सबको एक बात सीखनी चाहिए - कि शक्ति का असली मतलब बोलने में नहीं बल्कि चुप रहकर सही फैसले लेने में होता है।
    आजकल के नेता तो बोलते हैं लेकिन सुनते नहीं। वो तो खुद को ट्रेंड बनाने में व्यस्त हैं।

  • Shakti Fast

    Shakti Fast

    मैंने उन्हें एक बार दिल्ली में देखा था - बिना बॉडीगार्ड के, बस एक बैग लिए। उनकी आँखों में एक शांति थी जो आजकल के नेताओं में नहीं मिलती।
    उन्होंने बिना शोर मचाए देश को बदल दिया। ये असली नेतृत्व है।

  • saurabh vishwakarma

    saurabh vishwakarma

    क्या आप जानते हैं कि 1991 में जब डॉ. सिंह ने लिबरलाइजेशन किया तो वो अपने अपने दोस्तों के साथ चाय पीते हुए निर्णय ले रहे थे? ना कोई स्ट्रैटेजिक प्लानिंग ना कोई प्रेस ब्रीफिंग।
    आज तो एक ट्वीट के लिए 17 डिपार्टमेंट्स को बुलाया जाता है। ये है वो अंतर जिसे कोई नहीं देख पा रहा।

  • MANJUNATH JOGI

    MANJUNATH JOGI

    डॉ. सिंह के आर्थिक सुधारों को देखो तो ये एक डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन का बेसलाइन था। उन्होंने इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को फॉरेन इन्वेस्टमेंट के साथ इंटीग्रेट किया जो आज के डिजिटल इकोसिस्टम का आधार बना।
    ये ना केवल इकोनॉमिक रिफॉर्म थे बल्कि एक सोशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर रिडिजाइन था।

  • Sharad Karande

    Sharad Karande

    1991 के बजट के बाद जब भारत ने फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व बढ़ाया, तो ये एक नए फिस्कल फ्रेमवर्क का शुभारंभ था। डॉ. सिंह ने इंटरनेशनल बैंकिंग स्टैंडर्ड्स को डोमेस्टिक सिस्टम में इंटीग्रेट किया।
    इसका असर आज भी हम देख रहे हैं - फिनटेक, डिजिटल पेमेंट्स, ये सब उनके फ्रेमवर्क पर बने हैं।

  • Sagar Jadav

    Sagar Jadav

    बकवास। उन्होंने तो बस बैंकों को खोल दिया। बाकी सब अपने आप हो गया।

  • Dr. Dhanada Kulkarni

    Dr. Dhanada Kulkarni

    मैं एक डॉक्टर हूँ और मैंने उनकी बातों को एक अलग नजरिए से देखा है। उनकी शांति और विनम्रता एक न्यूरोलॉजिकल शांति देती है।
    उनके निर्णयों में एक जैविक संतुलन था जैसे कोई बॉडी अपने आप ठीक हो रहा हो। आज के नेता तो एक बीमार ऑर्गन की तरह हैं।

  • Rishabh Sood

    Rishabh Sood

    क्या आपने कभी सोचा है कि डॉ. सिंह के बाद भारत का राजनीतिक जीवन एक बिना आत्मा का शरीर बन गया? उनके बिना राजनीति एक रिक्त शब्द हो गई।
    जैसे जब एक शास्त्री चला जाए तो गायत्री मंत्र बिना ध्यान के बोला जाता है।

  • Saurabh Singh

    Saurabh Singh

    सब बकवास है। उन्होंने जो किया वो बस विदेशी बैंकों को भारत में घुसने दिया। आज हमारी जमीन अमेरिकी कंपनियों के नाम है।
    आप सब तो उनकी बातों में भावुक हो रहे हो। असली नुकसान को नजरअंदाज कर रहे हो।

  • Mali Currington

    Mali Currington

    हां बेटा, बहुत बड़ा नेता थे। अब तो उनकी तस्वीरें बन रही हैं जबकि आजकल के नेता तो बैंगलोर में बार पर शराब पी रहे हैं।
    मैं तो उनके जीवन की बात कर रही हूँ ना कि उनकी तस्वीरों की।

  • INDRA MUMBA

    INDRA MUMBA

    मैं एक छोटे शहर की लड़की हूँ जिसने 2005 में पहली बार ऑनलाइन बैंकिंग की थी। डॉ. सिंह के निर्णय के बाद मैंने अपनी बचत एक बैंक अकाउंट में डाली।
    आज मेरी बेटी एक फिनटेक ऐप से पैसे भेज रही है। ये बदलाव उनके निर्णयों से शुरू हुआ। ये जीवन बदलने की कहानी है।

  • Anand Bhardwaj

    Anand Bhardwaj

    हम सब इतना भावुक हो रहे हैं जैसे कोई नेता अब तक नहीं आया।
    पर अगर आज वो आ जाएं तो क्या वो बोलेंगे कि अब भारत को फिर से लिबरलाइज करना होगा? या फिर वो भी चुप रह जाएंगे?

  • RAJIV PATHAK

    RAJIV PATHAK

    क्या आप जानते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में एक भी फोन नहीं बोलाया? वो टेलीफोन को एक राजनीतिक उपकरण मानते थे।
    आज तो हर नेता अपने गुरु के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाता है।

  • Nalini Singh

    Nalini Singh

    डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व का एक अहम पहलू यह था कि वे विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक नीतियों को भी आर्थिक विकास के साथ जोड़ते थे।
    उनकी नीतियों ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ एकीकृत किया, जिससे आज हमारे युवा वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा कर पा रहे हैं।

  • Sonia Renthlei

    Sonia Renthlei

    मैंने उनके बारे में पढ़ा है, और मैंने उनकी बातें सुनी हैं। लेकिन जब मैंने उनके बारे में एक लंबी बातचीत की तो मुझे लगा कि उनकी आंतरिक शांति उनकी बाहरी शांति से भी अधिक गहरी है।
    वे बहुत अधिक सोचते हैं, बहुत अधिक सुनते हैं, और बहुत कम बोलते हैं। और जब वे बोलते हैं तो वे बात करते हैं जैसे एक वृक्ष अपने फल देता है।
    मैं आज भी उनकी बातों को याद करती हूँ जब मैं अपने बच्चों को जीवन के बारे में सिखाती हूँ।
    उन्होंने बताया कि शक्ति का असली अर्थ बात करने में नहीं, बल्कि खामोशी में निर्णय लेने में है।
    उनके निर्णय उनके शब्दों से अधिक बोलते हैं।
    उनके बिना आज की राजनीति एक बिना आत्मा का शरीर है।
    हम उनके जीवन को याद कर रहे हैं, लेकिन क्या हम उनकी शिक्षा को सीख रहे हैं?
    क्या हम अपने जीवन में उनकी विनम्रता को अपना रहे हैं?
    क्या हम अपने निर्णयों में उनकी दूरदर्शिता को शामिल कर रहे हैं?
    या हम बस उनकी तस्वीरें बना रहे हैं और उनके नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं?
    मैं उनकी याद में रोना नहीं चाहती, मैं उनकी याद में जीना चाहती हूँ।

  • Aryan Sharma

    Aryan Sharma

    ये सब एक धोखा है। डॉ. सिंह ने तो अमेरिका के लिए भारत को बेच दिया। आज जो भी हो रहा है वो उनके फैसलों का नतीजा है।
    अब तो हर चीज़ अमेरिकी कंपनियों के हाथ में है। ये सब एक बड़ा षड्यंत्र है।

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