फिल्म संपादक निशाद यूसुफ का असामयिक निधन
मलयालम सिनेमा के जाने-माने फिल्म संपादक निशाद यूसुफ की आकस्मिक निधन की खबर ने पूरे मलयालम फिल्म उद्योग को स्तब्ध कर दिया है। यह घटना कोच्चि में स्थित उनके घर में घटित हुई। उनकी मृत्यु का सही समय 30 अक्टूबर की सुबह लगभग 2 बजे का माना जा रहा है। भारतीय टाइम्स की रिपोर्ट्स के अनुसार, निशाद का शव पनमपिली नगर में स्थित उनके अपार्टमेंट में पाया गया।
पुलिस जांच की स्थिति
इस दुखद घटना के बाद कोच्चि पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। हालांकि, अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं आई है। शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, ऐसा माना जा रहा है कि यह घटना आत्महत्या हो सकती है, लेकिन पुलिस सभी संभावित पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच कर रही है।
फिल्म उद्योग में निशाद का योगदान
निशाद यूसुफ का योगदान मलयालम और तमिल सिनेमा में अत्यधिक सराहनीय था। उनके द्वारा संपादित उल्लेखनीय फिल्मों में 'थल्लु माला', 'उंडा', 'वन', 'सऊदी वेलक्का', और 'आदिओस एमिगोस' शामिल हैं। इन फिल्मों में उनके बेहतरीन संपादन कार्य को दर्शकों और आलोचकों द्वारा खूब सराहा गया। उन्होंने हाल ही में एक बहुप्रशंसित पैन-इंडिया फिल्म 'कंगुवा' के लिए साइन किया था, जो सुरिया और बॉबी देओल अभिनीत है। यह फिल्म नवंबर में रिलीज होने वाली थी।
आगामी परियोजनाएँ
निशाद केवल 'कंगुवा' के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य बड़े परियोजनाओं पर भी काम कर रहे थे। इनमें से एक प्रमुख फिल्म 'बाज़ूका' थी, जिसमें ममूटी मुख्य भूमिका में हैं। इसके अलावा 'अलप्पुझा जिमखाना' जैसी फिल्में भी शामिल थीं। ये सभी प्रोजेक्ट्स उनके आने वाले करियर के बड़ी उम्मीद माने जा रहे थे।
पुरस्कार और सम्मान
निशाद यूसुफ को उनके अद्वितीय संपादन कौशल के लिए सम्मानित किया गया था। उन्हें 'थल्लु माला' फिल्म के लिए 2022 में राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस पुरस्कार ने निशाद के कार्य मानक को और भी ऊँचाइयों पर स्थापित कर दिया था।
फिल्म उद्योग का शोक
फिल्म संपादकों और निर्देशक संघ, फिल्म एम्पलॉइज फेडरेशन ऑफ केरला (FEFKA) के निदेशक संघ ने निशाद के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। संगठन ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर उनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और कहा कि मलयालम सिनेमा में निशाद के योगदान को सदैव याद रखा जाएगा। उनके अप्रत्याशित निधन से पूरी इंडस्ट्री को बहुत बड़ा झटका लगा है और उनकी कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकता।
निशाद का निजी जीवन
निशाद यूसुफ हरिपड़ के निवासी थे, जहां उनका जन्म और पालन-पोषण हुआ था। उनके असामयिक निधन ने उनके परिवार को विनाशकारी स्थिति में ला दिया है। उनके जाने के बाद उनका परिवार और उनके करीबी गहरी शोक में हैं।
समाज में संवेदनशीलता की आवश्यकता
निशाद यूसुफ की कहानी न केवल एक प्रसिद्ध फिल्म संपादक की है, बल्कि यह उस संघर्ष की भी है जिसे हर व्यक्ति अपने जीवन में किसी न किसी मोड़ पर महसूस करता है। हमें उनके परिवार और सहयोगियों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए और पुलिस जांच के निष्कर्षों का इंतजार करना चाहिए। यह घटना हमें यह सोचने पर विवश करती है कि समाज के रूप में हमें मानसिक स्वास्थ्य और कर्मचारियों की भलाई के प्रति और अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है।
RAJIV PATHAK
अरे भाई, फिर से एक टैलेंटेड इंसान गया... और फिल्म इंडस्ट्री अभी भी 'मेंटल हेल्थ' शब्द को बिजनेस मॉडल में डालने की कोशिश कर रही है। 😒
Nalini Singh
निशाद यूसुफ का निधन एक अपरिहार्य त्रासदी है। उनके संपादन ने मलयालम सिनेमा को एक नई गहराई दी, जिसका हम आज भी सम्मान करते हैं। इस समय उनके परिवार के प्रति हमारी गहरी संवेदना है।
Sonia Renthlei
मुझे लगता है कि इस घटना के बाद हमें सिर्फ शोक व्यक्त करना ही नहीं, बल्कि फिल्म उद्योग में काम करने वाले हर व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक स्थायी समर्थन प्रणाली बनानी चाहिए। क्या कोई जानता है कि फिल्म संपादकों को अक्सर दबाव में काम करना पड़ता है? उन्हें नियमित काउंसलिंग का अवसर नहीं मिलता। मैंने एक दोस्त को देखा है जो तीन फिल्मों के लिए लगातार 72 घंटे काम कर रहा था, और फिर भी उसे 'अनप्रोफेशनल' कहा गया। हमें इस तरह के संस्कृति को बदलना होगा।
Aryan Sharma
ये सब बकवास है। ये लोग बस अपनी फिल्मों के लिए ड्रग्स लेते हैं और फिर आत्महत्या कर लेते हैं। पुलिस जांच करे तो पता चलेगा कि उसके घर में कितने दवाई के पैकेट थे। मैं तो बस बता रहा हूं कि ये लोग अपने आप को बहुत बड़ा समझते हैं।
Devendra Singh
क्या आपने कभी देखा है कि ये फिल्म संपादक कितने 'अर्बन एलीट' होते हैं? उनके पास लैपटॉप है, बाहर कैफे में बैठते हैं, और फिर जब दबाव आता है तो आत्महत्या कर लेते हैं। बस एक फिल्म के लिए इतना ड्रामा? अगर आप असली जिंदगी जीते होते, तो आप जानते कि क्या असली तकलीफ होती है।
UMESH DEVADIGA
मैंने उन्हें एक इंटरव्यू में देखा था... उनकी आंखों में एक अजीब सी खालीपन था। लोग कहते हैं 'वो बहुत शांत थे', लेकिन मैं जानता हूं कि जो शांत रहता है, वो अंदर से तोड़ रहा होता है। अब ये बात बाहर आ गई। बस... ये बहुत दुखद है।
Roshini Kumar
निशाद यूसुफ का निधन... ये तो बहुत बड़ी बात है... अरे वैसे भी आजकल सब कुछ ट्रेंड में आ जाता है... और फिर अगले हफ्ते कोई भूल जाता है... 😅
Siddhesh Salgaonkar
इतने टैलेंटेड इंसान का ये अंत... 😢 ये जिंदगी बस एक बड़ा झूठ है। कोई भी तुम्हें नहीं रोकता जब तुम नीचे गिर रहे हो। बस अगली फिल्म का बजट तैयार करो। 🙏💔 #RIPNishad #MentalHealthMatters