कोलकाता में वंदनीय डॉक्टर के साथ जघन्य अपराध

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की एक पैरवीट्री डॉक्टर के साथ घोर अपराध हुए हैं, जिसमें बलात्कार और हत्या शामिल हैं। इस जघन्य वारदात ने न सिर्फ महानगर बल्कि पूरे देश को हिला कर रख दिया है। मामले की गहरी तहकीकात करने के बाद, कोलकाता पुलिस ने अपने सिविक वॉलंटियर संजय रॉय को इस अपराध के आरोप में गिरफ्तार किया है।

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत ही सात सदस्यीय विशेष जांच समिति (एसआईटी) का गठन किया गया था। इस टीम ने अपनी पूरी शक्ति और संसाधनों के साथ जाँच की और तथ्यों को जुटाया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कई दर्दनाक और चौंकाने वाले विवरण सामने आए हैं, जिससे मृतका की पीड़ा का अंदाज लगाया जा सकता है।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के दर्दभरे खुलासे

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बताया गया है कि डॉक्टर के साथ बलात्कार होने के बाद उसे गर्भाशय में गहरी चोटें आई थीं। उसकी आंखों और मुंह से रक्तस्राव हो रहा था। चेहरे पर चोटों के निशान थे और उसके प्राइवेट पार्ट्स में यातना के संकेत थे। रिपोर्ट ने यह भी खुलासा किया कि उसे गला दबाकर और सास बंद करके मारा गया था। उसकी मौत का समय शुक्रवार सुबह 3 से 5 बजे के बीच बताया गया है।

इतना ही नहीं, जांच में पाया गया कि आरोपी संजय रॉय के पहले भी महिलाओं के साथ संबंध बनाए और उन पर अत्याचार किए। पहली नज़र में ही वह 'महिलाओं का शोषक' और 'पोर्न की लत' वाला पाया गया है। इस कार्रवाई ने न सिर्फ आरोपी की हिंसा और विकृति को उजागर किया, बल्कि व्यवस्था की कमजोरियों को भी उजागर किया है।

प्रदर्शन और डॉक्टरों की मांग

यह घटना ही नहीं, बल्कि इसके खिलाफ डॉक्टरों और नर्सों का रोष भी देखने को मिला है। देश भर में डॉक्टर और नर्सें इस घिनौनी घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस विरोध ने पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था को हिला कर रख दिया है। इस बीच, मरीजों की आउटपेशंट सेवाओं और रूटीन सर्जरियों में भारी अवरोध आया है।

अधिकारियों से बेहतर सुरक्षा उपायों और सीबीआई जाँच की मांग की जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि व्यवस्था में सुधार होने तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। इस घिनौनी घटना ने चिकित्सा जगत में सुरक्षा का मुद्दा जोर-शोर से उठाया है।

हाई कोर्ट का हस्तक्षेप और राजनैतिक आरोप

कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार पर भी सवाल उठाया है। अदालत ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष के इस्तीफे की अनदेखी और उन्हें तुरंत दूसरी पोस्ट देने पर भी आपत्ति जताई है। अदालत ने डॉ. घोष से इस्तीफ़ा पत्र पेश करने को कहा है और राज्य सरकार की इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं।

बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने पश्चिम बंगाल सरकार पर इस मामले को कमजोर तरीके से संभालने और अपराधियों को बचाने के आरोप लगाए हैं। राज्य सरकार ने अस्पताल के अधीक्षक को सुरक्षा में लापरवाही के चलते स्थानांतरित कर दिया है।

इस समय जांच और प्रदर्शन दोनों ही जारी हैं। पूरा देश यह जानने के लिए उत्सुक है कि क्या इस विकराल मामले में न्याय मिलेगा और क्या स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।

अर्जुन चौधरी

मैं एक पेशेवर पत्रकार हूँ और मेरा मुख्य फोकस भारत की दैनिक समाचारों पर है। मुझे समाज और राजनीति से जुड़े विषयों पर लिखना बहुत पसंद है।
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