कुवैत में भीषण आग: 49 मृतकों में 42 भारतीय

कुवैत के मंगफ शहर में स्थित एक छः-मंजिला इमारत में बुधवार सुबह एक भयानक आग लग गई, जिसमें 49 लोगों की जान चली गई। मृतकों में 42 भारतीय मजदूर शामिल थे। यह घटना स्थानीय समय अनुसार सुबह 4:30 बजे हुई, जब अधिकांश लोग गहरी नींद में थे। आग को सबसे पहले इमारत के ग्राउंड फ्लोर में स्थित किचन से शुरू होते हुए देखा गया। ग्राउंड फ्लोर पर रखे गैस सिलेंडर से गैस का रिसाव होने के कारण आग ने भयंकर रूप ले लिया।

अग्निकांड का दर्दनाक असर

इस त्रासदी में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए भारतीय मजदूर, जो बेहतर जीवन की तलाश में कुवैत आए थे। मृतकों में से 12 केरल और 5 तमिलनाडु से थे। आग इतनी भयंकर थी कि कई शव बुरी तरह से जले हुए और पहचानना मुश्किल हो गया। बचाव कार्यकर्ताओं को भारी संघर्ष करना पड़ा और इस वजह से भी पहचान की प्रक्रिया में बाधा आई। कई अन्य व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में भर्ती किए गए घायलों की संख्या 50 से अधिक बताई जा रही है।

देश और विदेश में आक्रोश

दुर्घटना के बाद देश और विदेश में आक्रोश है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है और मृतक भारतीयों के परिवारों को सहायता के रूप में 2 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी कुवैती समकक्ष से बातचीत की है और भारतीय एम्बेसडर ने घायल भारतीयों से मुलाकात की है।

रहस्यमय आग: कारण अज्ञात

रहस्यमय आग: कारण अज्ञात

इस भयावह घटना के पश्चात आग के कारणों की जांच चल रही है। हालांकि, स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आग गैस रिसाव की वजह से लगी हो सकती है। इस इमारत को NBTC ग्रुप ने किराए पर लिया था और यह उनकी देखरेख में थी। कुवैती सरकार ने इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का वादा किया है।

प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रासदी पर गहरा शोक व्यक्त किया और मृतकों के परिवारों के लिए सहायता की घोषणा की। उन्होंने कहा, 'यह एक भयानक घटना है और मृतक भारतीयों के परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। सरकार पूरी सहायता के लिए प्रतिबद्ध है।'

इस घटना में शहीद हुए भारतीयों के शवों को वापस भारत लाने के लिए विशेष विमान भेजे गए हैं। भारत सरकार इस मामले में पूरी तत्परता से कार्य कर रही है।

निष्कर्ष

कुवैत की इस घटना ने भारतीय समुदाय को गहरी चोट पहुंचाई है। आग, जो संभवतः गैस रिसाव के कारण लगी, ने कई अनमोल जानें ले लीं। कोशिश यह की जा रही है कि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाएं न हो और लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए।

Subhranshu Panda

मैं एक पेशेवर पत्रकार हूँ और मेरा मुख्य फोकस भारत की दैनिक समाचारों पर है। मुझे समाज और राजनीति से जुड़े विषयों पर लिखना बहुत पसंद है।

8 टिप्पणि

  • VIKASH KUMAR

    VIKASH KUMAR

    ये तो बस एक आग नहीं, ये तो भारतीय मजदूरों की जिंदगी का अंत है। 😭 इमारत जल रही थी और लोग सो रहे थे... ये कौन सी इंसानियत है? 🤬

  • Vipin Nair

    Vipin Nair

    गैस सिलेंडर का रिसाव और बिना वेंटिलेशन के बंद कमरे... ये तो जानबूझकर मारने जैसा है। इन निर्माण कंपनियों को जेल में डाल देना चाहिए। बस नुकसान का दावा नहीं, जिम्मेदारी चाहिए।

  • Ira Burjak

    Ira Burjak

    कुवैत में भारतीयों को घर जैसा महसूस करने का मौका नहीं मिलता... और फिर ये हालात। दिल टूट गया। बस एक चाय का प्याला भी नहीं मिलता जहां लोग आराम से बैठ सकें।

  • Rohan singh

    Rohan singh

    इंसानियत अभी भी जिंदा है। भारत सरकार ने जल्दी से विमान भेजे, घायलों की देखभाल की। इस तरह के दुख में भी थोड़ी उम्मीद बची है।

  • Abhijit Padhye

    Abhijit Padhye

    सुनो भाईयों... ये सब तो बस एक आग नहीं है। ये तो हमारी अपनी आलसी नीतियों का नतीजा है। हम अपने लोगों को विदेश भेजते हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा के लिए कुछ नहीं करते। अब आंख बंद करके शोक व्यक्त करने की बजाय, कानून बनाओ।

  • Haizam Shah

    Haizam Shah

    मैं तो बस ये कहना चाहता हूं कि अगर ये आग अमेरिका या यूरोप में लगती तो दुनिया रुक जाती। लेकिन भारतीय मजदूर? बस एक नंबर। अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ। अब तो बस रोना ही बाकी है।

  • UMESH ANAND

    UMESH ANAND

    इस दुर्घटना के प्रति सरकार द्वारा व्यक्त किए गए शोक को सम्मानपूर्वक स्वीकार किया जाता है। हालांकि, विदेशी राष्ट्रों में भारतीय श्रमिकों की सुरक्षा के लिए व्यापक विधिक ढांचे की आवश्यकता है। यह एक नैतिक और कानूनी दायित्व है।

  • Shardul Tiurwadkar

    Shardul Tiurwadkar

    हर बार जब कुछ होता है, तो लोग रोते हैं। लेकिन अगले साल फिर वही इमारत बनेगी, वही गैस सिलेंडर, वही बंद दरवाजे। इंसानों के लिए नहीं, फायदे के लिए बन रहा है ये सिस्टम। अब तो बस दुनिया को दिखाना है कि भारतीय भी इंसान हैं।

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