तुंगभद्रा बांध में बड़ा हादसा, एक स्पिलवे गेट बहा

10 अगस्त की रात तुंगभद्रा बांध पर एक बड़ा हादसा हुआ। बंद के स्पिलवे गेट नंबर 19 रात करीब 10:50 बजे बह गया, जिससे प्रशासन और स्थानीय निवासियों में हड़कंप मच गया। इस घटना के बाद, तुंगभद्रा बोर्ड ने तुरंत उच्च अधिकारियों और आपदा प्रबंधन अधिकारियों को सूचित किया। यह घटना तब हुई जब बांध से पानी छोड़ा जा रहा था और गेट अपनी जगह से हट गया।

गेट बहने से पहले के हालात

दिन में, 12 से 21 नंबर तक के कुल 10 स्पिलवे गेट 1.5 फीट की ऊँचाई पर संचालित किए गए थे, जिन्हें मिलाकर 22,890 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। घटना के बाद, तुंगभद्रा बोर्ड ने एक नया स्टॉप लॉग गेट बनाने की प्रक्रिया शुरू की है, जिसे गेट वर्क्स विशेषज्ञ कन्नैयाह नायडू के दिशा-निर्देशन में किया जा रहा है।

आपातकालीन प्रतिक्रिया और स्थानीय प्रशासन

मामले की गंभीरता को देखते हुए, कर्नाटक नीरावारी निगम लिमिटेड (KNNL) के प्रबंध निदेशक और तुंगभद्रा बोर्ड के सचिव के साथ चर्चा की गई है। इसके अलावा, स्थानीय विधायक एचआर गवियप्पा और उप मुख्यमंत्री एवं सिंचाई मंत्री डीके शिवकुमार साइट पर निरीक्षण करने पहुँचेंगे।

दूसरे बांध और नहर परियोजनाओं की चेतावनी

घटना के प्रतिक्रिया के तहत, जिला कलेक्टर ने प्रभावित क्षेत्रों के निवासियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही, श्रीसाइला, नागार्जुन सागर, और पुलिचिंतला परियोजनाओं के अधिकारी को तटस्थ रहने की सलाह दी गई है।

बतौर इंजीनियरिंग विशेषज्ञों की टीम की जाँच

आंध्र प्रदेश के जल संसाधन मंत्री निम्मला रामा नायडू ने सूचित किया कि इस पूरे मामले की जांच के लिए केंद्रीय डिजाइन आयुक्त सहित एक विशेषज्ञ इंजीनियरिंग टीम को भेजा गया है।

तुंगभद्रा बांध का महत्व

1955 में निर्मित तुंगभद्रा बांध 1,798.28 मीटर लंबा है और इसकी स्पिलवे भाग में 33 वर्टिकल लिफ्ट गेट हैं। बांध का पानी संग्रहण क्षमता 105.788 टीएमसी है और इसका उँचाई 1,633 फीट है। यह बांध दक्षिण भारत के विभिन्न जिलों की जल आपूर्ति और सिंचाई का मुख्य स्रोत है।

हालांकि, तुंगभद्रा बांध के गेटों की मई 2024 में व्यापक मरम्मत की गई थी, जिसमें कार्डियम कम्पाउंड, ग्रीसिंग, और गियरबॉक्स यूनिट में तेल भरने का काम शामिल था। उसके बाद, अधिकारियों ने पुष्टि की थी कि गेट पूरी तरह से कार्यशील हैं।

प्रगति और सुरक्षा के उपाय

घटना की गहन जांच चल रही है, और जब तक कारणों का पता नहीं चलता, सर्वाधिक उचित प्रतिक्रिया और उपाय किए जा रहे हैं। पानी का प्रवाह संभालने के लिए विभिन्न उपायों पर विचार किया जा रहा है, और प्रभावित क्षेत्रों में किसी भी तरह की अनहोनी से बचने के लिए सतर्कता बढ़ाई गई है।

तुरंत कार्रवाई और भविष्य की योजना

समय रहते आपातकालीन सेवा और केंद्रीय टीम की मुस्तैदी से हालात काबू में किए जा रहे हैं। इस हादसे के बावजूद, नीचे की ओर प्रभावित संरचनाओं पर इसका असर नहीं पड़ेगा, ऐसा अधिकारियों ने आश्वस्त किया है। लेकिन भविष्य में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए और भी अत्याधुनिक उपायों पर विचार किया जा रहा है।

आजकल के बढ़ती जल सहभागिता और प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव के मद्देनजर तुंगभद्रा बांध और अन्य जल स्रोतों की सुरक्षा के लिए सतर्कता के साथ-साथ नियमित रखरखाव और अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग आवश्यक हो गया है। स्थानीय और राज्य स्तरीय प्रशासन पूर्णत: सतर्क हैं और सामान्य जीवन और सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। इस दुखद घटना से सीखे गए सबकों को ध्यान में रखते हुए भविष्य की योजनाएँ और प्रणाली बनाना आवश्यक है।

Subhranshu Panda

मैं एक पेशेवर पत्रकार हूँ और मेरा मुख्य फोकस भारत की दैनिक समाचारों पर है। मुझे समाज और राजनीति से जुड़े विषयों पर लिखना बहुत पसंद है।

12 टिप्पणि

  • Sharad Karande

    Sharad Karande

    इस घटना के बाद, स्पिलवे गेट के डिज़ाइन में लचीलापन (flexibility) और डायनामिक लोड डिसिपेशन की कमी सामने आई है। गेट के फ्रेम और गियरबॉक्स यूनिट के बीच टोर्क ट्रांसमिशन में असंगति थी, जिससे फैटिग फेलियर हुआ। अगर हम इंटेलिजेंट सेंसर-बेस्ड मॉनिटरिंग सिस्टम (ISMS) को इंटीग्रेट करते, तो इस तरह की फेलियर को पहले ही प्रिडिक्ट किया जा सकता था। यह एक क्लासिक ऑपरेशनल रिस्क मैनेजमेंट फेलियर है।

  • Sagar Jadav

    Sagar Jadav

    ये सब बस बहाना है। लोगों को पानी देने के बजाय बांध बनाने पर पैसा खर्च किया जाता है।

  • Dr. Dhanada Kulkarni

    Dr. Dhanada Kulkarni

    इस घटना से बहुत कुछ सीखने को मिला है। अधिकारियों ने जल्दी से आपातकालीन प्रतिक्रिया शुरू की, जो बहुत प्रशंसनीय है। अगर हम इसी तरह से नियमित रखरखाव और ट्रेनिंग पर ध्यान दें, तो भविष्य में ऐसी घटनाएँ रोकी जा सकती हैं। आप सभी की मेहनत के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

  • Rishabh Sood

    Rishabh Sood

    एक गेट बह गया… और हम इसे इंजीनियरिंग की विफलता कह रहे हैं? नहीं, यह तो एक अधिकारी के अंदर के अहंकार का विस्फोट है। जब तक हम अपने बांधों को देवता नहीं मानेंगे, तब तक ये घटनाएँ दोहराएँगी। यह न केवल एक बांध की विफलता है… यह हमारी सभ्यता की विफलता है।

  • Saurabh Singh

    Saurabh Singh

    तुम सब यहाँ बस बातें कर रहे हो, लेकिन किसी ने बताया कि ये गेट किसने खराब किया? क्या तुम्हारे जैसे इंजीनियर्स ने बस फोटो खींचे और चले गए? इस बांध के लिए जो बजट दिया गया, उसमें से 40% चले गए ब्रेकफास्ट में। अब लोग मर रहे हैं, और तुम टर्म्स बोल रहे हो।

  • Mali Currington

    Mali Currington

    मई में मरम्मत हुई थी… तो अब अगस्त में गेट बह गया? वाह! क्या ये मरम्मत थी या फिर बस एक नया रंग लगाया गया? अब तो सब ने अपना अपना बैनर लगा लिया है। बस अब बांध का नाम बदल दो - ‘मरम्मत फेस्टिवल’।

  • INDRA MUMBA

    INDRA MUMBA

    इस घटना को एक सिंगल इवेंट के रूप में नहीं देखना चाहिए - यह एक सिस्टमिक असफलता का संकेत है। जब हम बांधों को केवल इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में देखते हैं, तो हम उनके एकोलॉजिकल और सोशल इम्पैक्ट को भूल जाते हैं। गेट का बहना तो बस टिपिंग पॉइंट था। अगर हम लोकल कम्युनिटीज़ को डिसिजन-मेकिंग में शामिल करें, तो ऐसी गलतियाँ कम होंगी। जल संसाधन एक जीवित नेटवर्क है, न कि एक स्टैटिक सिस्टम।

  • Anand Bhardwaj

    Anand Bhardwaj

    इतना बड़ा हादसा… और फिर भी बांध के बारे में लिखने वाले सब अपने बारे में लिख रहे हैं। क्या कोई यहाँ बांध के बारे में बात कर रहा है? या सिर्फ अपनी बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन कर रहा है?

  • RAJIV PATHAK

    RAJIV PATHAK

    क्या तुम्हें लगता है कि ये एक अकस्मात घटना है? यह तो बस एक और उदाहरण है कि कैसे एक अंग्रेजी-मैनेज्ड ब्यूरोक्रेसी भारत के जल संसाधनों को अपने नियंत्रण में रखने के लिए जानबूझकर नजरअंदाज करती है। ये सब एक अधिकारी के फाइल में दर्ज एक चेकलिस्ट का हिस्सा है।

  • Nalini Singh

    Nalini Singh

    तुंगभद्रा बांध केवल एक बांध नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक अभिव्यक्ति है। इसका निर्माण दक्षिण भारत के जल संस्कृति के साथ जुड़ा है। इस घटना के बाद, हमें न केवल इंजीनियरिंग को, बल्कि इसके ऐतिहासिक और पारंपरिक ज्ञान को भी समझना होगा। जहाँ राज्य ने आधुनिकता का दावा किया, वहीं लोगों का स्थानीय ज्ञान नजरअंदाज हो गया।

  • Sonia Renthlei

    Sonia Renthlei

    मैं बहुत चिंतित हूँ। ये घटना सिर्फ एक गेट के बहने के बारे में नहीं है - यह हमारे बच्चों के भविष्य के बारे में है। हमने अपने बांधों को इतना नजरअंदाज किया कि अब ये बांध नहीं, बल्कि खतरा बन गए हैं। मैंने देखा है कि कैसे बांध के नीचे के गाँवों में बच्चे डर के साथ सोते हैं, जब बारिश होती है। हमें अब बस टेक्निकल सॉल्यूशन नहीं, बल्कि एक नए भावनात्मक और नैतिक दृष्टिकोण की जरूरत है। जल संसाधनों के साथ हमारा संबंध अब एक आदान-प्रदान का होना चाहिए, न कि एक शोषण का।

  • Aryan Sharma

    Aryan Sharma

    ये सब चालाकी है। गेट बहा नहीं, बल्कि चुरा लिया गया। अमेरिका ने इसे बुक कर लिया है - अब वो भारत के पानी के लिए बाजार बनाने वाले हैं। तुंगभद्रा बांध के गेट के अंदर चिप लगी हुई है - वो रिमोटली ऑपरेट होते हैं। अगर तुम्हारे फोन में एक ऐप है जो बांध का नियंत्रण करता है, तो तुम्हें पता है कि ये सच है।

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