विश्व फोटोग्राफी दिवस: वास्तु फ़ोटोग्राफ़रों का जश्न

हर साल 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है, जिस दिन फोटोग्राफ़रों की कला और उनके योगदान को सराहना मिलती है। इस वर्ष, ArchDaily ने दुनियाभर के 25 उभरते वास्तु फ़ोटोग्राफ़रों के काम का जश्न मनाया है। ये फ़ोटोग्राफ़र अपने अलग नजरिए और विशिष्ट शैलियों के माध्यम से वास्तुशिल्प के अद्भुत चित्रों को कैद करते हैं।

विभिन्न क्षेत्रों से उभरते फ़ोटोग्राफ़र्स

इन फ़ोटोग्राफ़रों में एशिया, यूरोप, उत्तर अमेरिका, लातिन अमेरिका, अफ्रीका और ओशिनिया के प्रतिभाशाली लोग शामिल हैं। इनमें जापान के योसुके ओहटाके, वियतनाम के त्रियू चियेन, बांग्लादेश के आसिफ सलमान, और भारत की निवेदिता गुप्ता जैसे फोटोग्राफर्स अपनी अद्वितीय फ़ोटोग्राफी के लिए प्रसिद्ध हैं। अन्य प्रतिभाशाली फ़ोटोग्राफ़रों में चेक रिपब्लिक की अलेक्ज़ांड्रा टिंपू, स्पेन की एना अमाडो, रूस के इलिया इवानोव, बेल्जियम के जॉनी उमान्स, यूनाइटेड किंगडम के लोरेन्ज़ो ज़ान्ड्री और पुर्तगाल के फ्रांसिसको नोगुइरा शामिल हैं।

उत्तर अमेरिका और लातिन अमेरिकी फ़ोटोग्राफ़र्स

उत्तर अमेरिका से कैनेडा के रफ़ायल थिबोदो और संयुक्त राज्य अमेरिका के लियोनिड फुरमन्स्की अपने अद्वितीय तस्वीरों के लिए चुने गए हैं। लातिन अमेरिका से अर्जेंटीना के फर्नांडो शापोच्निक, उरुग्वे के मार्कोस गुइपोनी, चिली की मारिया गोंज़ालेज़, मैक्सिको के सीज़र बीजार और कैमिला कोसियो, ब्राज़ील के मैनुअल सा और एना मेलो ने अपनी विशेष शैली से लोगो का दिल जीता है।

अफ्रीका और ओशिनिया से वास्तु फ़ोटोग्राफ़र

अफ्रीका से दक्षिण अफ्रीका के एडम लेच और डेव साउथवुड ने भी इस सूची में जगह बनाई है। वहीं, ओशिनिया क्षेत्र से ऑस्ट्रेलिया के बेनजामिन हॉस्किंग और विलेम डर्क डु टॉइट और न्यूजीलैंड के डेविड स्ट्रेट भी इस सूची में शामिल हैं।

वास्तुकला फोटोग्राफी का महत्व

वास्तु फोटोग्राफी का महत्व असीम है। एक अच्छी तस्वीर न सिर्फ इमारत की सुंदरता को प्रदर्शित करती है, बल्कि उस इमारत के वातावरण, डिज़ाइन के इरादों और उपयोग किए गए सामग्रियों को भी बखूबी उजागर करती है। एक उत्कृष्ट फोटोग्राफी की मदद से दर्शकों को इमारत से जुड़े हर पहलू को समझने में मदद मिलती है।

प्रेरणास्रोत और मान्यता

इन 25 फ़ोटोग्राफ़रों ने अपनी अद्वितीय तकनीकों और दृष्टिकोणों के माध्यम से वास्तुकला के जगत में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। उनकी फोटोग्राफी उन लोगों को अन्वेषन और समझने का मौका देती है जिनका वास्तुकला में गहरा रुचि है। ये फ़ोटोग्राफ़र विभिन्न संस्कृतियों और क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं, और उनके काम ने न सिर्फ वास्तुकला को बल्कि फ़ोटोग्राफी के क्षेत्र को भी समृद्ध किया है। उनकी यह कला अनुभव-समृद्ध और प्रेरणादायक है।

अद्वितीय दृष्टिकोण और शैली

हर फ़ोटोग्राफ़र का अपना एक अलग नजरिया होता है। योसुके ओहटाके की फोटोग्राफी जैपानी संस्कृति के तत्वों को उजागर करती है, जबकि त्रियू चियेन वियतनाम के विविध वास्तुशिल्पीय महलों को बखूबी प्रस्तुत करते हैं। आसिफ सलमान ने अपने लेंस के माध्यम से बांग्लादेश की वास्तु विरासत को जीवंत रूप दिया है। निवेदिता गुप्ता की फोटोग्राफी भारतीय वास्तुकला के अद्भुत पहलुओं को दर्शाती है। इसी प्रकार, अन्य सभी फ़ोटोग्राफ़रों ने भी अपनी-अपनी संस्कृतियों और दृष्टिकोणों को अपने काम में हमेशा उभारा है।

संक्षेप में

विश्व फोटोग्राफी दिवस का यह उत्सव न केवल फोटोग्राफी की कला का सम्मान है बल्की उन प्रतिभाशाली फ़ोटोग्राफ़रों का भी, जिन्होंने अपने कला के माध्यम से वास्तुकला के जटिल विवरणों को आम जनता के सामने पेश किया है। फोटोग्राफी और वास्तुकला का यह मेल न केवल दर्शकों को दृश्य आनंद देता है, बल्कि उन्हें सोचने और समझने के लिए प्रेरित भी करता है।

Subhranshu Panda

मैं एक पेशेवर पत्रकार हूँ और मेरा मुख्य फोकस भारत की दैनिक समाचारों पर है। मुझे समाज और राजनीति से जुड़े विषयों पर लिखना बहुत पसंद है।

18 टिप्पणि

  • Roshini Kumar

    Roshini Kumar

    अरे ये सब फोटोग्राफर्स को इतना फ़्लैश देने की क्या जरूरत? मैंने तो दिल्ली के एक आम फोटोग्राफर की तस्वीरें देखी थीं, जिन्होंने एक बस स्टॉप को भी मोन्द्रियन आर्ट बना दिया। ये सब जो लिख रहे हैं वो तो बस अपने फोन के एआई फिल्टर्स को बढ़ावा दे रहे हैं। 😒

  • Siddhesh Salgaonkar

    Siddhesh Salgaonkar

    अरे भाई ये सब लोग तो बस अपने लैपटॉप पर बैठकर गूगल इमेजेज़ से लिफ्ट कर रहे हैं। मैंने तो देखा है ये सब फोटोग्राफर अपनी तस्वीरें अपलोड करने से पहले 12 घंटे लाइटरूम में बिताते हैं। वास्तविकता क्या है? एक बच्चा बरसात में गली में खेल रहा है, और ये सब बाहरी दुनिया को दिखाने के लिए एक रिमोट कंट्रोल वाली बिल्डिंग लेकर आए हैं 😤

  • Arjun Singh

    Arjun Singh

    ये वास्तु फोटोग्राफी का जो जेनर है, वो तो बस एक एस्थेटिक्स डिस्कोर्ड सर्वर का आउटपुट है। आप इन फोटोज़ को देखकर क्या समझते हैं? एक बर्फ़ीला ब्लू-ग्रे टोन, लंबी शैडोज़, और एक एक्स्ट्रीम वाइड-एंगल लेंस। ये सब तो एक टेम्पलेट है। असली कला तो वो है जब आप एक गली के कोने पर एक बूढ़े आदमी की तस्वीर लेते हैं जो अपने चप्पल बेच रहा है।

  • yash killer

    yash killer

    इन सब विदेशी फोटोग्राफर्स को इतना फ़्लैश क्यों? हमारे भारत में तो हर गाँव में एक फोटोग्राफर है जो शादियों में फोटो खींचता है और उसकी तस्वीरों में जान है। ये सब जो बाहर से आए हैं वो तो बस एक नया ब्रांड बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी वास्तु तो उनके लिए बस एक बैकड्रॉप है।

  • Ankit khare

    Ankit khare

    ये सब फोटोग्राफर्स तो बस अपनी फोटोज़ को एक बार इंस्टाग्राम पर डालकर अपने नाम का ब्रांड बना रहे हैं। मैंने तो एक फोटो देखा था जिसमें एक मंदिर की छत पर एक चिड़िया बैठी थी। फोटोग्राफर ने उसे 'प्राचीन आध्यात्मिकता का प्रतीक' लिख दिया। असल में वो चिड़िया तो बस उसके लेंस को चुग रही थी। ये सब जेनर बन गए हैं।

  • Chirag Yadav

    Chirag Yadav

    मुझे लगता है ये सब फोटोग्राफर्स काफी अच्छा काम कर रहे हैं। वास्तु फोटोग्राफी सिर्फ इमारतों की तस्वीर नहीं बल्कि उनके आसपास की ज़िंदगी को दिखाती है। जब मैंने निवेदिता गुप्ता की तस्वीरें देखीं, तो उनमें एक बच्ची दीवार के पीछे खड़ी थी। वो तस्वीर मुझे रो दी। फोटोग्राफी तो वो है जो दिल को छू जाए।

  • Shakti Fast

    Shakti Fast

    मैंने भी अपने शहर में एक पुराने हवेली की तस्वीर ली थी। उसमें एक बूढ़ी माँ बाहर बैठी थीं, और उनके हाथ में एक चाय का कप था। वो तस्वीर मेरे लिए बहुत खास है। ये सब फोटोग्राफर्स जो दुनिया भर से आए हैं, वो भी ऐसे ही छोटे-छोटे पलों को कैद कर रहे हैं। बहुत अच्छा है। ❤️

  • saurabh vishwakarma

    saurabh vishwakarma

    क्या आप जानते हैं कि इन फोटोग्राफर्स के लिए एक लेंस की कीमत एक भारतीय परिवार के महीने के खर्च के बराबर होती है? और फिर भी ये लोग अपनी आत्मा को एक शटर बटन के पीछे छिपाते हैं। ये तो बस एक बाहरी शो है। जब तक हम अपने घरों की तस्वीरें नहीं खींचेंगे, तब तक ये सब बस एक बाहरी दुनिया का सपना है।

  • MANJUNATH JOGI

    MANJUNATH JOGI

    इन फोटोग्राफर्स के काम से मुझे अपने गाँव की याद आ गई। हमारे यहाँ एक जामुन का पेड़ है, जिसके नीचे बच्चे खेलते हैं। मैंने उसकी तस्वीर ली थी। उसमें एक बच्चा लाल गुड़िया लेकर दौड़ रहा था। वो तस्वीर मेरे फोन में है। ये लोग जो दुनिया भर से आए हैं, वो भी ऐसे ही छोटे-छोटे अनुभवों को कैद कर रहे हैं। वास्तु तो बस एक ढांचा है, असली जीवन तो उसके अंदर है।

  • Sharad Karande

    Sharad Karande

    वास्तु फोटोग्राफी के लिए एक विशिष्ट एस्थेटिक फ्रेमवर्क आवश्यक है। लाइटिंग रेशियो, लाइनरिटी ऑफ़ स्पेस, और टेक्सचरल कंट्रास्ट इन तत्वों के साथ एक डायनामिक कॉम्पोजिशन बनाना चाहिए। ये फोटोग्राफर्स इन प्रिंसिपल्स को बहुत सही तरीके से अपना रहे हैं। उदाहरण के लिए, निवेदिता गुप्ता के चित्रों में वास्तविक वातावरण और स्ट्रक्चरल डिटेल का बहुत अच्छा बैलेंस है।

  • Sagar Jadav

    Sagar Jadav

    ये सब फोटोग्राफर्स बस अपनी तस्वीरें बेच रहे हैं। कोई असली कला नहीं है।

  • Dr. Dhanada Kulkarni

    Dr. Dhanada Kulkarni

    मैं एक फोटोग्राफी कोच हूँ और मैंने अपने छात्रों को ये फोटोग्राफर्स की तस्वीरें दिखाईं। उन्होंने कहा कि ये तस्वीरें उन्हें खुद की कला के बारे में सोचने पर मजबूर कर देती हैं। ये फोटोग्राफर्स ने सिर्फ तस्वीरें नहीं बनाईं, बल्कि एक नई दृष्टि दी है। बहुत बहुत बधाई।

  • Rishabh Sood

    Rishabh Sood

    क्या आपने कभी सोचा है कि जब हम एक इमारत की तस्वीर लेते हैं, तो हम उसके आत्मा को कैद कर रहे होते हैं? ये फोटोग्राफर्स ने सिर्फ ब्लॉक्स और बीम्स को नहीं, बल्कि उनके भीतर के सपनों को भी फ्रेम किया है। ये तस्वीरें तो अब एक नया धर्म बन गई हैं।

  • Saurabh Singh

    Saurabh Singh

    ये सब फोटोग्राफर्स तो बस अपनी फोटोज़ को लेकर एक अहंकार का नाटक कर रहे हैं। मैंने तो एक बार एक फोटोग्राफर को देखा था जो एक दरवाज़े की तस्वीर लेने के लिए तीन घंटे बैठा रहा। उस दरवाज़े पर तो एक बच्चे ने लिखा था 'मम्मी आ गई'। ये लोग तो असली जीवन को नहीं देखते।

  • Mali Currington

    Mali Currington

    अरे ये सब फोटोग्राफर्स को इतना फ़्लैश देने की क्या जरूरत? मैंने तो अपने घर के बाथरूम की तस्वीर ली थी। उसमें एक टूथब्रश और एक टूथपेस्ट था। उसे मैंने 'अंतर्राष्ट्रीय वास्तु शिल्प' नाम दे दिया। ये सब लोग तो बस अपने ब्रांड के लिए बातें बना रहे हैं।

  • INDRA MUMBA

    INDRA MUMBA

    मुझे लगता है ये सब फोटोग्राफर्स बहुत अच्छे हैं। मैंने अपने गाँव के एक छोटे से बाजार की तस्वीर ली थी। उसमें एक बूढ़ा आदमी चाय बेच रहा था। मैंने उसे इसी पोस्ट के लिए भेज दिया। उन्होंने उसे नहीं चुना। लेकिन मुझे लगता है वो तस्वीर भी इन फोटोग्राफर्स के बराबर है। असली कला तो वो है जो दिल से निकले।

  • Anand Bhardwaj

    Anand Bhardwaj

    मैंने तो एक बार एक फोटोग्राफर को देखा था जो एक बारिश के बाद एक गली की तस्वीर ले रहा था। उसके पीछे एक बच्चा उसके लेंस को छू रहा था। फोटोग्राफर ने उसे नहीं रोका। वो तस्वीर बहुत खूबसूरत थी। ये सब फोटोग्राफर्स तो बस अपनी तस्वीरें लेने के लिए नहीं, बल्कि उनके अंदर के इंसान को दिखाने के लिए हैं।

  • RAJIV PATHAK

    RAJIV PATHAK

    ये सब फोटोग्राफर्स बस अपने नाम के लिए फोटो लेते हैं। असली कला तो वो है जब कोई तस्वीर लेता है और उसे खुद भूल जाता है।

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