असदुद्दीन ओवैसी के 'जय फिलिस्तीन' बयान पर विवाद

एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में 18वीं लोकसभा में शपथ ग्रहण के दौरान 'जय फिलिस्तीन' के नारे का उच्चारण किया, जिसके बाद उनके खिलाफ दो शिकायतें दर्ज की गई हैं। ओवैसी, जो हैदराबाद सीट से पांचवीं बार चुने गए हैं, ने उर्दू में शपथ लेने से पहले एक प्रार्थना का पाठ भी किया। उनके इस बयान ने तुरंत संसद में हंगामा खड़ा कर दिया और यह बयान बाद में संसद के रिकॉर्ड से हटा दिया गया।

शिकायतें दर्ज और उनकी तह

शिकायतें अधिवक्ता हरी शंकर जैन और वकील विनीत जिंदल द्वारा दर्ज की गई हैं। जिंदल ने ओवैसी की अयोग्यता की मांग करते हुए संविधान के अनुच्छेद 103 के तहत शिकायत की है। जिंदल का दावा है कि ओवैसी के बयान ने उन्हें एक विदेशी राज्य के प्रति वफादारी प्रदर्शित करने वाला बना दिया है, जो अनुच्छेद 102(4) के तहत उनकी अयोग्यता का कारण बन सकता है। जिंदल का कहना है कि इस तरह के बयानों से संसद में असामंजस्य की स्थिति पैदा होती है और यह हमारे लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है।

ओवैसी की प्रतिक्रिया

ओवैसी ने अपनी टिप्पणी का बचाव करते हुए कहा कि उत्पीड़ित लोगों के समर्थन में कुछ भी गलत नहीं है। उन्हें महात्मा गांधी की फिलिस्तीन पर दिए गए बयानों का जिक्र किया और यह तर्क दिया कि फिलिस्तीनी लोगों के समर्थन में खड़ा होना गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि यह बयान किसी भी प्रकार का अपमान या असहमति प्रदर्शित नहीं करता है, बल्कि अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ एक मानवीय प्रतिक्रिया है।

संसद और राजनीतिक प्रतिक्रिया

संसदीय मामलों के मंत्री किरन रिजिजू ने पुष्टि की कि सदस्यों द्वारा फिलिस्तीन का उल्लेख करने के खिलाफ कुछ शिकायतें प्राप्त हुई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस मुद्दे पर विचार करेगी और उचित कदम उठाएगी। यह देखते हुए कि ओवैसी की टिप्पणी ने संसद में एक विवाद को जन्म दिया, कई अन्य राजनीतिक दलों और नेताओं ने भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने ओवैसी के बयान की आलोचना की है, इसे गैर-जिम्मेदाराना और अनावश्यक बताया है। उन्होंने कहा कि यह बयान संसद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है। वहीं, ओवैसी के समर्थक और एआईएमआईएम के सदस्य इसे स्वतंत्रता और उत्पीड़ित लोगों के समर्थन का एक सजीव उदाहरण मानते हैं।

ओवैसी के बयान का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

इस विवाद का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव दूरगामी हो सकता है। एक ओर जहाँ यह बयान ओवैसी को राष्ट्रीय समर्थन और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिला सकता है, वहीं दूसरी ओर यह उनके राजनीतिक विरोधियों और आलोचकों के लिए एक नया मुद्दा बन सकता है।

इस बयान पर आगे की जांच और संभावित कार्रवाई संसद और न्यायपालिका पर निर्भर करेगी। यदि शिकायतकर्ताओं के दावे सही साबित होते हैं और ओवैसी के बयान को वास्तव में एक विदेशी राज्य के प्रति वफादारी के रूप में माना जाता है, तो उन्हें संवाद और कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

निष्कर्ष

निष्कर्ष

असदुद्दीन ओवैसी का 'जय फिलिस्तीन' बयान राजनीति में एक नया विवाद पैदा कर चुका है। यह घटना हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों और स्वतंत्रता की परिभाषा पर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। यह देखना बाकी है कि संसद और कानूनी संस्थान इस मुद्दे को कैसे संभालते हैं और क्या कदम उठाते हैं।

Subhranshu Panda

मैं एक पेशेवर पत्रकार हूँ और मेरा मुख्य फोकस भारत की दैनिक समाचारों पर है। मुझे समाज और राजनीति से जुड़े विषयों पर लिखना बहुत पसंद है।

20 टिप्पणि

  • ADI Homes

    ADI Homes

    ये सब बहस तो बस धुंधला धोखा है। जय फिलिस्तीन कहना किसी के विदेशी लोयल्टी का इशारा नहीं है, बल्कि एक इंसान के तौर पर दर्द को समझने की बात है।

  • Hemant Kumar

    Hemant Kumar

    मुझे लगता है कि संसद में ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए... लेकिन फिर भी, अगर कोई दबंग लोगों के लिए आवाज उठा रहा है, तो उसका समर्थन करना चाहिए।

  • NEEL Saraf

    NEEL Saraf

    क्या हम भूल गए कि गांधी जी ने भी फिलिस्तीन के लोगों के लिए बात की थी? हम अपने इतिहास को क्यों नहीं समझ पा रहे? सिर्फ इसलिए कि ये बात किसी को अच्छी नहीं लग रही, इसे गलत नहीं कहा जा सकता।

  • Ashwin Agrawal

    Ashwin Agrawal

    अगर एक सांसद अपने विश्वास के अनुसार बोलता है, तो उसे अयोग्य घोषित करना लोकतंत्र के खिलाफ है। हम सब अलग-अलग देखते हैं, लेकिन अलग बोलने का अधिकार तो है।

  • Shubham Yerpude

    Shubham Yerpude

    यह सब एक विशाल षड्यंत्र है। जो लोग फिलिस्तीन के लिए बोलते हैं, वे अमेरिका और इजराइल के खिलाफ एक गुप्त संगठन के सदस्य हैं। ये सब जानबूझकर लोगों को भ्रमित करने के लिए है।

  • Hardeep Kaur

    Hardeep Kaur

    इस बयान को लेकर इतना बड़ा विवाद उठाने की जरूरत नहीं थी। जब तक कोई बात जबरदस्ती नहीं कर रहा, तो उसे नजरअंदाज करना चाहिए।

  • Chirag Desai

    Chirag Desai

    जय फिलिस्तीन बोल दिया, बस। क्या इतना बड़ा मामला बन गया? लोगों के दिल में बात छुपी है, वो बोल गए।

  • Abhi Patil

    Abhi Patil

    अगर हम लोकतंत्र की बात कर रहे हैं, तो उसका अर्थ है कि हर विचार को स्वीकार किया जाए। लेकिन यहाँ तो एक अलग बात है - यह बयान एक राष्ट्रीय अभिजात वर्ग के लिए असहनीय है, क्योंकि यह उनके नियंत्रण को चुनौती देता है।

  • Devi Rahmawati

    Devi Rahmawati

    यह बयान एक न्याय की भावना को व्यक्त करता है। इसे गलत नहीं कहा जा सकता। यदि कोई भी व्यक्ति उत्पीड़ित लोगों के साथ खड़ा होता है, तो वह एक नैतिक चुनाव करता है।

  • Prerna Darda

    Prerna Darda

    यह एक अंतर्राष्ट्रीय न्याय के सिद्धांत का प्रतीक है। जब एक शक्तिशाली राष्ट्र एक कमजोर के खिलाफ युद्ध करता है, तो उसके खिलाफ आवाज उठाना ही मानवीय जिम्मेदारी है। यह बयान कोई राजनीतिक चाल नहीं, बल्कि एक नैतिक निर्णय है।

  • rohit majji

    rohit majji

    बस एक बात कह दो... जय फिलिस्तीन! 🙌 जिस दिन हम इंसानियत के लिए आवाज उठाने से डरेंगे, तब हम अपनी इंसानियत खो चुके होंगे।

  • Uday Teki

    Uday Teki

    ये बयान बहुत अच्छा लगा 😊 जिस दिन हम दूसरों के दर्द को नहीं समझ पाएंगे, तो हम भी उतने ही बदसूरत हो जाएंगे।

  • Haizam Shah

    Haizam Shah

    इन लोगों को तो बस एक अच्छा मौका चाहिए था जिससे वो ओवैसी को नीचा दिखा सकें। ये सब बहस बस धोखा है - उन्हें अपनी नीचता छिपाने के लिए एक नया मुद्दा चाहिए था।

  • Vipin Nair

    Vipin Nair

    इतिहास में हर बड़ा बदलाव एक छोटी सी बात से शुरू हुआ। जय फिलिस्तीन बोलना बस एक बात थी, लेकिन इसका प्रभाव अगली पीढ़ी को बदल सकता है।

  • Ira Burjak

    Ira Burjak

    अच्छा हुआ कि ये बयान हुआ। अगर नहीं होता, तो हम सब इस बात को भूल जाते कि दुनिया में कितने लोग दबे हुए हैं। 😌

  • Shardul Tiurwadkar

    Shardul Tiurwadkar

    हम जिसे अपमान कहते हैं, वो शायद उनके लिए सम्मान है। जब तक हम दूसरों के दर्द को नहीं समझेंगे, तब तक हम अपने अहंकार के गुलाम बने रहेंगे।

  • Abhijit Padhye

    Abhijit Padhye

    तुम सब इतना बड़ा मामला क्यों बना रहे हो? ये बयान बस एक सांसद की भावना थी। अगर तुम्हारे दिल में भी थोड़ा इंसानियत होती, तो तुम इसे नहीं बदनाम करते।

  • VIKASH KUMAR

    VIKASH KUMAR

    ये सब बहस तो बस शोर है! 😭 जिसने भी इसे बड़ा बनाया, वो अपनी नीचता को छिपाने के लिए एक बड़ा नाटक कर रहा है! असदुद्दीन को बधाई! 🇵🇸

  • UMESH ANAND

    UMESH ANAND

    संविधान के अनुच्छेद 103 के अनुसार, एक सांसद को विदेशी राष्ट्र के प्रति वफादारी प्रकट करने का कोई अधिकार नहीं है। यह बयान एक संवैधानिक उल्लंघन है और इसकी गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

  • Rohan singh

    Rohan singh

    हम अपने देश के लिए बोलते हैं, लेकिन कभी-कभी दुनिया के लिए भी बोलना जरूरी होता है। जय फिलिस्तीन - ये बस एक इंसान की आवाज है।

एक टिप्पणी लिखें