मराठी और हिंदी सिनेमा के विख्यात अभिनेता अतुल परचुरे का निधन

अतुल परचुरे का नाम मराठी और हिंदी सिनेमा में एक प्रमुख हास्य अभिनेता के रूप में बड़े आदर के साथ लिया जाता है। उनकी उम्र सिर्फ 57 वर्ष थी जब उन्होंने कई वर्षों तक कैंसर से जूझते हुए इस दुनिया को अलविदा कहा। खासकर 'द कपिल शर्मा शो' में उनके अनूठे अंदाज़ को दर्शकों ने बेहद सराहा था।

अतुल परचुरे के अभिनय की छाप केवल हास्य भूमिकाओं तक सीमित नहीं थी। उन्होंने 'आरके लक्ष्मण की दुनिया', 'जागो मोहन प्यारे', 'यम हैं हम', 'बड़ी दूर से आये हैं' जैसे धारावाहिकों में भी अपनी छाप छोड़ी। मराठी धारावाहिकों में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उनके जीवन की कहानी ने सिनेमा प्रेमियों को प्रभावित किया और उनकी यादें सदैव जीवंत रहेंगी।

कैंसर से संघर्ष और अंत

कैंसर की कठिन लड़ाई और इसके उपचार के दौरान जो जटिलताएं उत्पन्न हुईं, उन्होंने अतुल परचुरे के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया। जुलाई में एक साक्षात्कार में उन्होंने अपने स्वास्थ्य की जानकारी साझा की थी, जहां उन्होंने बताया कि उनके जिगर में लगभग 5 सेमी लंबा ट्यूमर था। रोग के खिलाफ उनकी लड़ाई में शुरुआत में कुछ सफलता मिली, लेकिन इलाज के कारण अन्य स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे कि पाचक पिंड के मुद्दे, उन्हें ठीक से स्वस्थ होने से रोकती रहीं।

शोकाकुल परिवार और समाज

अतुल परचुरे के निधन की खबर ने उनके परिवार समेत पूरी फिल्म और टेलीविजन इंडस्ट्री को गहरे शोक में डाल दिया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित कई कलाकारों एवं करीबियों ने उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है। अभिनेत्री सु्प्रिया पिलगांवकर और रेणुका शहाणे जैसी प्रतिष्ठित अभिनेत्रियों ने उनके परिवार के प्रति दुख और सहानुभूति जताई है।

लिवर कैंसर: कारण और लक्षण

विशेषज्ञों की मानें तो लिवर कैंसर का कारण अक्सर वायरल संक्रमण होते हैं, जिनमें हेपेटाइटिस बी और सी प्रमुख हैं। इसके अलावा लीवर सिरोसिस, धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन, मोटापा और मधुमेह भी इसके कारण हो सकते हैं। इसके लक्षणों में पेट में सूजन, दर्द, उल्टी, थकान, त्वचा का पीला होना और वजन कम होना शामिल है। प्रारंभिक पहचान और उपचार से इस बीमारी का बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है।

कुल मिलाकर, अतुल परचुरे का योगदान और उनकी कला की छाप लंबे समय तक याद रखी जाएगी। उनके जाने से जो शून्यता उत्पन्न हुई है, उसे भरा नहीं जा सकता, लेकिन उनकी उपलब्धियों और स्मृतियों के माध्यम से वे सदैव हमारे बीच जीवित रहेंगे।

अर्जुन चौधरी

मैं एक पेशेवर पत्रकार हूँ और मेरा मुख्य फोकस भारत की दैनिक समाचारों पर है। मुझे समाज और राजनीति से जुड़े विषयों पर लिखना बहुत पसंद है।
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