भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति पर नजर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए द्वि-मासिक मौद्रिक नीति की घोषणा की। इस बैठक का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह 2024 लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद की पहली बैठक है। मौद्रिक नीति समिति (MPC) की इस बैठक में रेपो दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखा गया है, जो लगातार आठवीं बार है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो मौजूदा आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। बाजार सहभागियों और वित्तीय विशेषज्ञों की नजर इस घोषणा पर टिकी हुई थी क्योंकि यह न केवल आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करता है, बल्कि इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर भी पड़ता है।
रेपो दर और इसके प्रभाव
रेपो दर वह दर होती है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करता है। यदि रेपो दर में कोई बदलाव होता है, तो इसका सीधा असर बैंकों के ऋण और जमाओं पर पड़ता है। रेपो दर के अपरिवर्तित रहने का अर्थ है कि बैंकों द्वारा दी जाने वाली ऋणों की EMI में भी कोई बदलाव नहीं होगा। यह उन लोगों के लिए राहत की खबर है जिन्होंने बैंकों से गृह ऋण, वाहन ऋण या व्यक्तिगत ऋण लिया हुआ है।
GDP वृद्धि का अनुमान
आरबीआई ने अपने GDP वृद्धि अनुमान में संशोधन किया है और इसे बढ़ा दिया है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है। आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम अर्थव्यवस्था को स्थिरता और विकास की दिशा में आगे बढ़ाने में सहायक होगा। भारतीय GDP वृद्धि दर में वृद्धि का अनुमान लगाना बड़े निवेश और आर्थिक पुनरुद्धार की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेतक है।
मुद्रास्फीति पर स्थिर रुख
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मुद्रास्फीति पर अपने रुख को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने के लिए केंद्रीय बैंक सतर्क रहेगा और यदि आवश्यकता पड़ी तो नीतिगत दरों में बदलाव किए जा सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखना अर्थव्यवस्था की स्थिरता के लिए आवश्यक है।
MPC की बैठक का महत्व
मौद्रिक नीति समिति की बैठकें भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं। ये बैठकें न केवल वर्तमान आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन करती हैं, बल्कि भविष्य के लिए रणनीतिक निर्णय भी लेती हैं। MPC की बैठक का यह निर्णय न केवल घरेलू बाजार पर प्रभाव डालेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी भारतीय अर्थव्यवस्था की साख को मजबूत करेगा।
निष्कर्षतः, आरबीआई के इस निर्णय से न केवल घरेलू बाजार में स्थिरता बनी रहेगी, बल्कि आम आदमी को भी राहत मिलेगी। आर्थिक वृद्धि के अनुमान में वृद्धि और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण से भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता और विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।