मॉस्को में मोदी और पुतिन की महत्वपूर्ण बैठक
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 और 9 जुलाई, 2024 को मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की, जिसमें दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब रूस और यूक्रेन के बीच तनाव अपने चरम पर है। इस संदर्भ में, भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक संबंध एक बार फिर चर्चा में हैं।
ऐतिहासिक संबंधों की नींव
भारत और रूस के बीच संबंध शीत युद्ध के समय से ही गहरे रहे हैं। रूस भारतीय सामरिक जरूरतों के लिए मुख्य हथियार आपूर्तिकर्ता रहा है। मोदी और पुतिन के बीच व्यक्तिगत तौर पर भी अच्छे संबंध हैं, और 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी ने पुतिन से अब तक 20 से अधिक बार विभिन्न मंचों पर मुलाकात की है।
मोदी और पुतिन की दोस्ती के चलते इन कोशिशों को और गति मिली है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में एक बैठक के दौरान पुतिन के साथ डिनर किया, जिसमें उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर बातें कीं। इसमें नए भारतीय दूतावासों की स्थापना और व्यापारिक सहयोग जैसे मुद्दे प्रमुख थे।
यूक्रेन संकट और भारत की कूटनीतिक चुनौती
लेकिन यूक्रेन संकट ने भारत की कूटनीतिक चुनौतियों को बढ़ा दिया है। रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के चलते पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। इस स्थिति में भारत को संतुलन साधना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि उसे एक ओर रूस के साथ अपने संबंध बनाए रखना है तो दूसरी ओर पश्चिमी देशों के साथ भी।
प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना इस बात को लेकर की जा रही है कि उन्होंने पुतिन की कार्रवाइयों पर सीधे तौर पर आलोचना नहीं की है। इसके बजाय, भारत रूस से सस्ता तेल खरीदने में अग्रणी रहा है, जिससे पश्चिमी प्रतिबंधों का असर कम हो सकता है। इस स्थिति को कुछ लोग पश्चिमी प्रतिबंधों के कमजोर होने के रूप में देखते हैं।
पुतिन से मुलाकात धर्मयुद्ध के बीच: यूक्रेन की प्रतिक्रिया
मोदी की गर्मजोशी से पुतिन के साथ बैठक के आसपास यूक्रेन में व्यापक निंदा हुई है। यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की ने मोदी की मॉस्को यात्रा की आलोचना की है, विशेष रूप से तब जब एक ही समय में रूस ने यूक्रेन के नागरिक ठिकानों पर हमले किए।
सूत्रों के अनुसार, मोदी ने पुतिन से आग्रह किया कि वह यूक्रेन में युद्ध को रोकें और कहा कि संघर्ष का समाधान युद्ध से नहीं हो सकता। लेकिन पुतिन पर इस अपील का कितना असर पड़ा, यह देखने वाली बात होगी।
वाशिंगटन में नाटो शिखर सम्मेलन
मॉस्को में इस महत्वपूर्ण बैठक के साथ ही, वाशिंगटन में भी नाटो शिखर सम्मेलन हुआ, जहां नेताओं ने यूक्रेन के लिए एक प्रमुख रक्षा पैकेज की घोषणा की है। यह संकेत देता है कि पश्चिमी देश यूक्रेन को समर्थन जारी रखेंगे, जबकि भारत अपने तटस्थ रुख को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
भारत और रूस के बीच दोस्ती राजनीतिक और आर्थिक सेक्टर में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। लेकिन यूक्रेन संकट में भारत की भूमिका ने इसे और कठिन बना दिया है। यह देखना होगा कि कैसे भारत इस संतुलन को बनाए रखते हुए अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करता है।