2024 अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव: क्या होगी चुनाव परिणामों की समयसीमा?
अमेरिकी राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव लाने वाले 2024 के राष्ट्रपति चुनाव एक अभूतपूर्व रोमांचक घड़ी का अनुभव कराने के लिए तैयार हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की तिथियों के अनुसार, प्रारंभिक मतदान 5 नवंबर 2024 को शाम 6:00 EST (23:00 GMT) को संपन्न होगा। यह उच्च प्रतियोगिता वाले चुनाव इंतजार कर रहे हैं, जिसमें जनता की निगाहें उपाध्यक्ष कमला हैरिस और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर हैं। पहले छह राज्यों के मतदान 7 बजे ET (5:30 AM IST) पर बंद होंगे, जिनमें जॉर्जिया भी शामिल है। अंतिम मतदान हवाई और अलास्का में 12 AM ET (10:30 AM IST) पर समाप्त होंगे। मतगणना के लिए तैयार होना पड़ेगा जबकि पूर्ण मतदान एक घंटे के भीतर 1 PM ET (11:30 AM IST) पर बंद होगा।
घोषणाओं का विभिन्नता भरा इतिहास
यह कोई नई बात नहीं है कि अमेरिकी चुनावों के परिणामों के घोषणा के समय इतिहास में भिन्नता रही है। उदाहरण के लिए, 2020 में जब राष्ट्रपति जो बाइडेन चुने गए थे, तो चुनाव के चार दिनों बाद परिणाम की घोषणा हुई थी। यह सवाल तत्काल उठ खड़ा होता है कि इस बार का चुनाव परिणाम कब और कैसे घोषित होगा। पूर्व चुनावों के अनुभव की बात करें तो 2016 में डोनाल्ड ट्रम्प की विजय रात्रि 3 बजे EST (जो GMT में 08:00 है) के थोड़ी देर पहले घोषित की गई थी। इसी तरह, बराक ओबामा के दोबारा चुने जाने की घोषणा 2012 के चुनाव दिवस की आधी रात से पहले हो गई थी।
प्रतिद्वंद्विता का प्रभाव
यह चुनाव विशेष कर महत्वपूर्ण है क्योंकि कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच प्रतिस्पर्धा का स्तर अधिक है। अनुभवी राजनीतिक विश्लेषकों और समाचार संगठनों का यह मानना है कि वर्तमान दौड़ अत्यंत करीबी रहेगी। हाल की रायनेताओं के सर्वेक्षण के अनुसार, यह दोनों ही का समर्थन लगभग बराबर दिखा रहा है। इस कारण से, परिणामों की सटीकता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए समाचार संगठनों को कड़ी सावधानी बरतनी पड़ेगी।
संभावित रुकावटें
वर्तमान परिस्थिति में कई कारक हैं जो चुनाव परिणामों के समय निर्धारित करने में बाधा डाल सकते हैं। कुछ राज्यों में, जैसे कि पेन्सिलवेनिया, वीडियो के अंतर के आधार पर पुनः मतगणना की संभावना है। इसके अलावा, मतदान केंद्रों पर संभावित गड़बड़ियाँ या अन्य चुनाव संबंधी अवरोध भी परिणाम घोषित करने में देरी कर सकते हैं। यह भी ध्यान देने योग्य है कि रिपब्लिकन पार्टी ने पहले से ही 100 से अधिक इससे जुड़े कानूनी मामले आरंभ किए हैं, जो संभावित मतदान पात्रता से संबंधित हैं।
असंतुलन की स्थिति
एक दुर्लभ स्थिति में, यदि दोनों उम्मीदवारों को 269–269 बराबर मत मिलते हैं तो, अतिरिक्त विकल्प के रूप में, निर्णय प्रतिनिधि सभा की ओर मुड़ सकता है, जहाँ सदस्यों द्वारा राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए मतदान किया जाएगा। साथ ही, सीनेट को उपराष्ट्रपति के चयन की जिम्मेदारी मिल सकती है। हालांकि, यह एक बहुत ही अनोखी स्थिति है और लगभग दो शताब्दियों से ऐसा कुछ नहीं हुआ है।
Anand Bhardwaj
अमेरिका में चुनाव हो रहा है, हम यहाँ चाय पीते हुए ट्वीट कर रहे हैं। बस एक बात समझ लो - जिसके पास बड़ा बजट है, वही जीतता है। बाकी सब नाटक है।
RAJIV PATHAK
अरे भाई, ये सब टाइमलाइन तो बस मीडिया का धोखा है। जब तक फेसबुक पर ट्रंप का एक फोटो नहीं आता, तब तक कोई रिजल्ट नहीं आएगा। असली चुनाव तो सोशल मीडिया पर होता है।
Nalini Singh
इस चुनाव की जटिलता को समझने के लिए आधुनिक राजनीतिक सिद्धांतों की गहराई से आवश्यकता है। विशेषकर जब डेमोक्रेटिक सिस्टम में इलेक्टोरल कॉलेज की भूमिका को विश्लेषणात्मक रूप से देखा जाए, तो यह स्पष्ट होता है कि जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व कैसे विकृत हो सकता है।
Sonia Renthlei
मैं बस सोच रही थी कि कितने लोग इस चुनाव के लिए तैयार हैं... असल में, बहुत सारे लोग जो अमेरिका के बारे में बात करते हैं, उनके पास तो अमेरिका का वीजा भी नहीं है। लेकिन फिर भी, उनकी चिंताएँ असली हैं। क्योंकि अगर ट्रंप वापस आते हैं, तो दुनिया के लिए क्या मतलब होगा? हम सब इसका हिस्सा हैं, चाहे हम भारत में हों या अमेरिका में।
Aryan Sharma
सुनो, ये सब बकवास है। अमेरिका के अंदर ही कोई बड़ा राज छिपा है। कमला को तो बस एक डॉलर बर्तन बनाया गया है। असली चुनाव तो किसी और जगह हो रहा है। बिल गेट्स और एलन मस्क ने पहले से ही रिजल्ट तय कर दिया है। अब बस लोगों को भ्रमित करने के लिए टाइमिंग चुनी जा रही है।
Devendra Singh
ये लोग अभी भी इलेक्टोरल कॉलेज की बात कर रहे हैं? ये तो 18वीं सदी का रूल है। आजकल तो डेटा और एआई ने चुनाव बदल दिया है। अगर तुम्हें लगता है कि मतदान का नतीजा सिर्फ लोगों के वोट से आता है, तो तुम अभी भी 2010 में हो।
UMESH DEVADIGA
अरे भाई, मैं तो बस यही कहना चाहता हूँ कि अगर ट्रंप जीत गया तो भारत के लिए बहुत अच्छा होगा। वो तो हमारे साथ ही रहेगा। अगर बाइडेन या हैरिस जीत गए तो फिर भारत को अमेरिका के सामने झुकना पड़ेगा। ये सब बातें मैंने अपने चाचा के दोस्त के भाई से सुनी हैं।
Roshini Kumar
लोग कहते हैं कि 2020 में 4 दिन लगे रिजल्ट आने में... ये तो बस बात बनाई गई है। असल में तो रिजल्ट 2 घंटे में आ गया था, लेकिन उसे छिपाया गया ताकि लोग बहस करते रहें। और हाँ, जब तुम लिखते हो 'पेन्सिलवेनिया' तो ये स्पेलिंग गलत है। ये नहीं होता भाई।
Siddhesh Salgaonkar
जब तक ट्रंप नहीं जीतते, तब तक दुनिया ठीक नहीं होगी 😔💔। हैरिस का नाम तो लगता है कोई नया स्मार्टफोन है। अमेरिका को तो एक असली लीडर चाहिए, न कि कोई गैर-बायोलॉजिकल राष्ट्रपति। 🤦♂️ #MakeAmericaGreatAgain
Arjun Singh
ये चुनाव असल में एक डिजिटल वॉर है। डेटा इंजीनियरिंग, एआई बायस, और सोशल मीडिया एल्गोरिदम ने वोटिंग को एक गेम में बदल दिया है। जिसके पास बेहतर टारगेटिंग है, वही जीतता है। ये लोग अभी भी राष्ट्रपति की बात कर रहे हैं? असली राष्ट्रपति तो एल्गोरिदम है।
yash killer
अमेरिका ने भारत को कभी सम्मान नहीं दिया अब भी नहीं देगा ट्रंप जीते तो हमारे लिए बहुत अच्छा होगा बाकी सब बकवास है
Ankit khare
कमला ने अपने जीवन में कितने लोगों को धोखा दिया है? उसकी जड़ें भारत में हैं लेकिन वो अमेरिका के लिए बेवकूफ बन रही है। और ट्रंप? वो तो एक असली आदमी है। जिसका दिल अमेरिका के लिए धड़कता है। बाकी सब नाटक है। ये सब लोग जो बाइडेन के पक्ष में हैं, वो सब बेकार के लोग हैं।
Chirag Yadav
मैं बस यही कहना चाहता हूँ कि चाहे जो भी जीते, अमेरिका के लोग अच्छे हैं। और भारत के लोग भी अच्छे हैं। हम दोनों देश एक दूसरे के साथ शांति से रह सकते हैं। चुनाव का नतीजा तो बस एक बात है, लेकिन मानवता तो हमेशा बरकरार रहनी चाहिए।
Shakti Fast
हर चुनाव के बाद दुनिया बदलती है, लेकिन आशा कभी नहीं खत्म होती। चाहे ट्रंप ही जीतें या हैरिस, ये बात नहीं कि कौन जीत रहा है, बल्कि ये है कि हम सब मिलकर एक बेहतर भविष्य की ओर कैसे बढ़ सकते हैं। आप सब भी अपने घरों से ये संदेश भेजिए - अच्छाई ही जीतेगी। ❤️
saurabh vishwakarma
यह चुनाव एक अत्यंत जटिल राजनीतिक नाटक है, जिसमें अमेरिकी लोकतंत्र के आधारभूत सिद्धांतों का विश्लेषण किया जाना चाहिए। एक ऐसे व्यक्ति का चयन, जिसकी व्यक्तिगत जीवनशैली उसके राष्ट्रीय नेतृत्व के योग्यता के विपरीत है, यह एक गहरा सांस्कृतिक विकृति का संकेत है।
MANJUNATH JOGI
अमेरिकी चुनाव वास्तव में एक वैश्विक घटना है। इसका प्रभाव भारत के आर्थिक नीतियों, डिजिटल स्वास्थ्य प्रणालियों और रक्षा सहयोग पर पड़ता है। हमें अपने निर्णय इसी आधार पर लेने चाहिए - न कि ट्रंप या हैरिस के व्यक्तित्व के आधार पर।
Sharad Karande
अगर आप इलेक्टोरल कॉलेज के सिस्टम को समझना चाहते हैं, तो आपको राष्ट्रीय निर्वाचन नियमावली के अनुच्छेद 2, सेक्शन 1 का अध्ययन करना होगा। इसके बाद आप जान पाएंगे कि क्यों एक राज्य के 50000 वोट दूसरे राज्य के 500000 वोट के बराबर हो सकते हैं।
Sagar Jadav
ट्रंप जीतेगा।
Dr. Dhanada Kulkarni
हर चुनाव के बाद दुनिया बदलती है, लेकिन आशा कभी नहीं खत्म होती। चाहे ट्रंप ही जीतें या हैरिस, ये बात नहीं कि कौन जीत रहा है, बल्कि ये है कि हम सब मिलकर एक बेहतर भविष्य की ओर कैसे बढ़ सकते हैं। आप सब भी अपने घरों से ये संदेश भेजिए - अच्छाई ही जीतेगी। ❤️
Rishabh Sood
यह चुनाव वास्तव में एक अस्तित्ववादी चुनौती है - जहाँ निर्णय एक व्यक्ति के व्यक्तित्व के बजाय, एक अनंत विरोधाभास के रूप में लिया जाता है। क्या एक राष्ट्र अपने भूत के खिलाफ लड़ता है, या अपने भविष्य के लिए एक नए देवता की आवश्यकता है? यही सवाल है।
Anand Bhardwaj
अच्छा तो अब ये बात भी आ गई कि ट्रंप जीतेगा? भाई, तू तो अभी तक गूगल नहीं चलाया कि ट्रंप के खिलाफ अभी तक 90 से ज्यादा केस हैं। अब तो वो अपने घर पर भी नहीं जा सकता।