भारत में शिपिंग सेक्टर ने 22 सितम्बर, 2025 को बेजोड़ गति पकड़ ली। शिपिंग स्टॉक्स एक ही ट्रेडिंग सत्र में 8.1% तक उछाल दिखा रहे थे, और कई प्रमुख कंपनियों के शेयरों ने अपने पिछले हाईज़ को तोड़ दिया। इस ड्रमरैक को सबसे बड़ा कारण सरकार का हालिया कदम था—बड़ी नौकाओं को इन्फ्रास्ट्रक्चर स्टेटस देना।

इन्फ्रास्ट्रक्चर स्टेटस का क्या मतलब?

वित्त मंत्रालय ने 19 सितम्बर को अपडेटेड हार्मोनाइज़्ड मास्टर लिस्ट जारी की, जिसमें ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स वर्ग में ‘बड़ी शिप्स’ को नई श्रेणी दी गई। अब 10,000 टन या उससे अधिक ग्रॉस टोनज वाली भारतीय स्वामित्व और ध्वजबद्ध कमर्शियल शिप्स, साथ ही 1,500 टन या उससे अधिक भारतीय निर्मित शिप्स को इस वर्गीकरण के तहत रखा जाएगा। इस वर्गीकरण के कारण ये शिप्स बैंक ऋण पर कम ब्याज, विशेष टैक्स रिवॉर्ड और आधिक्यीक फाइनेंसिंग सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।

बाजार में इस खबर का प्रभाव तुरंत दिखा। Shipping Corporation of India के शेयर 5.18% बढ़े, Garden Reach Shipbuilders & Engineers (GRSE) ने 4.77% की छलांग लगाते हुए ₹2,761.65 पर ट्रेड किया, Cochin Shipyard 2.39% ऊपर गया और Mazagon Dock Shipbuilders ने 1.25% की बढ़ोतरी दर्ज की। स्वान डिफेंस एंड हेवी इंडस्ट्रीज ने 5% के अपर सर्किट को छूते हुए जोरदार मजबूती दिखाई, जबकि Essar Shipping ने 3.44% की वृद्धि दिखाई।

ब largr योजनाओं से सेक्टर में नई ऊर्जा

ब largr योजनाओं से सेक्टर में नई ऊर्जा

इन्फ्रास्ट्रक्चर स्टेटस के साथ-साथ कुछ और कारक इस उछाल को फ्यूल कर रहे हैं। सबसे पहले, भारतीय नौसेना ने चार बड़े लैंडिंग प्लेटफ़ॉर्म डॉक्स (LPD) के लिए ₹80,000 करोड़ (लगभग $9.1 बिलियन) का टेंडर जारी करने की संभावना जताई है। यह बड़े‑साइज़ प्रोजेक्ट न सिर्फ नौसेना को आधुनिक बनाता है, बल्कि शिपबिल्डर्स को दीर्घकालिक ऑर्डर पाइपलाइन भी देता है।

GRSE ने कई रणनीतिक साझेदारों के साथ समझौते किए हैं—शिपबिल्डिंग, पोर्ट और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में। इसके अलावा, इस कंपनी ने जर्मन फर्म के साथ $62.44 मिलियन का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया, जो उच्च‑तकनीकी टिंकरिंग में नयी क्षमता को दर्शाता है।

तमिलनाडु में भी बड़ा कदम उठाया गया। राज्य ने शिपबिल्डिंग के लिए ₹300 बिलियन का निवेश सुरक्षित किया है, जिसका उपयोग तुति‍कोरिन जिले में दो ग्रीनफ़ील्ड कमर्शियल शिपयार्ड बनाने में होगा। ये शिपयार्ड पर्यावरण‑अनुकूल तकनीक और डिज़ाइन पर केंद्रित होंगे, जिससे भारत को 2047 तक विश्व के शीर्ष शिपबिल्डिंग देशों में जगह बनाने का लक्ष्य प्राप्त होगा।

इन सभी समाचारों ने निवेशकों को आकर्षित किया, पर सभी analysts ने सतर्क रहने की सलाह दी। Equinomics Research के संस्थापक चोक्कलिंगम जी ने कहा, “शिपिंग स्टॉक्स का मूल्यांकन पहले से अधिक खिचा हुआ है, इसलिए अल्पकालिक में बाहर निकलना समझदारी हो सकती है।” वही WealthMills Securities के निर्देशक‑इक्विटी स्ट्रैटेजी क्रंथी बाथिनी ने कहा, “केवल वही निवेशक जो लंबी अवधि के साथ हाई रिस्क ले सकते हैं, इन शेयरों को देख सकते हैं, क्योंकि शिपिंग एक चक्रवृद्धि उद्योग है।”

समग्र रूप से, इन्फ्रास्ट्रक्चर स्टेटस का घोषणा भारतीय नौका निर्माण को वित्तीय बोझ से मुक्त करने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। सरकारी नीति, नौसेना के बड़े ऑर्डर, और तमिलनाडु की नई निवेश पहल मिलकर इस सेक्टर को नई ऊर्जा दे रहे हैं।

Subhranshu Panda

मैं एक पेशेवर पत्रकार हूँ और मेरा मुख्य फोकस भारत की दैनिक समाचारों पर है। मुझे समाज और राजनीति से जुड़े विषयों पर लिखना बहुत पसंद है।