भारत और कनाडा के कूटनीतिक तनाव
हाल के दिनों में भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक रिश्तों में खटास आई है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इससे उनके व्यापार और निवेश संबंधों पर कोई महत्वपूर्ण असर नहीं पड़ेगा। यह दावा किया गया है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध व्यावसायिक कारणों पर आधारित हैं, जो किसी भी राजनीतिक तनाव से अप्रभावित रहेंगे। भारत और कनाडा ने हाल के वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है। 2022-23 के दौरान, यह व्यापार $8.16 अरब तक पहुंच गया था।
व्यापारिक परिदृश्य और प्रमुख उत्पाद
भारत कनाडा को फार्मास्यूटिकल्स, रत्न और आभूषण, वस्त्र और मशीनरी का निर्यात करता है। वहीं, कनाडा से भारत को जिंस, लकड़ी, लुगदी और कागज, और खनन उत्पाद निर्यात किए जाते हैं। ये व्यापारिक संबंध व्यावसायिक और आर्थिक समन्वय पर आधारित हैं, जिसके चलते कोई भी राजनीतिक मुद्दा इन पर प्रभाव डालने में असफल रहेगा।
कनाडाई निवेश और भारत में अवसर
भारत में कनाडा का निवेश भी महत्वपूर्ण है। कनाडाई पेंशन फंड्स ने भारत में $45 अरब से अधिक का निवेश किया है, जो इस क्षेत्र में उसकी चौथी सबसे बड़ी वितरकता बनाता है। भारत के बुनियादी ढांचे, नवीकरणीय ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, और वित्तीय सेवाओं जैसे क्षेत्रों में यह निवेश केंद्रीभूत है। यह निवेश कनाडा के भारत के प्रति दीर्घकालिक आर्थिक विश्वास का प्रतीक है।
शिक्षा संबंध और आर्थिक योगदान
भारत और कनाडा के बीच शिक्षा संबंध भी मजबूत हैं। 200 से अधिक शैक्षिक साझेदारियां भारतीय और कनाडाई संस्थानों के बीच हैं। 3,19,000 से अधिक भारतीय छात्र कनाडा में शिक्षारत हैं, जिससे कनाडा की अर्थव्यवस्था को 2021 में $4.9 अरब का आर्थिक योगदान मिला। यह आंकड़ा दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और शैक्षणिक संबंधों की गहराई को दर्शाता है।
दीर्घकालिक आर्थिक संबंध और संभावनाएं
हाल के कूटनीतिक तनाव, जैसे कि राजनयिकों का निष्कासन और मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता का ठहराव, को अस्थायी माना जा रहा है। दोनों देशों के बीच लंबे समय से आर्थिक संबंध हैं, जो इन अस्थाई मुद्दों से प्रभावित नहीं होंगे। भारतीय सरकार की आर्थिक उदारीकरण नीतियों ने कैनेडियन निवेशकों को आकर्षित किया है। कनाडाई कंपनियों ने इस अवसर का लाभ उठाया और 2014 से 2023 के बीच भारत में लगभग $36.5 अरब का निवेश किया।
भविष्य के अपेक्षाएं और अवसर
भारतीय चुनावों के बाद विदेशी निवेश में वृद्धि की उम्मीदें हैं, और कनाडाई निवेशकों का भारत की आर्थिक संभावनाओं पर विश्वास बढ़ा है। 2020 से कनाडा का भारत में निवेश बढ़ा है, जो उनके बढ़ते आत्मविश्वास का संकेत है। भारत के आर्थिक उदारीकरण के चलते व्यापार और निवेश के कई नए अवसर उत्पन्न हुए हैं, जो भविष्य में दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को और मजबूत करेंगे।
Anand Bhardwaj
इतना बड़ा व्यापार और निवेश है, फिर भी राजनयिक ट्वीट्स पर ही सबकी नजर है। असली दुनिया में तो बिजनेस अपने रास्ते चलता है।
RAJIV PATHAK
अरे भाई, ये सब जो लिखा है वो तो प्रेस रिलीज़ से कॉपी-पेस्ट किया हुआ है। अगर व्यापार इतना मजबूत है तो कनाडा के एम्बेसडर को निकालने की जरूरत क्यों? ये सब बातें तो बस आंखें बंद करके खुश रहने की कोशिश है।
Nalini Singh
भारत और कनाडा के बीच शिक्षा और निवेश के संबंधों को देखें तो यह स्पष्ट है कि राजनीतिक असहमतियाँ वास्तविक आर्थिक बंधनों को नहीं तोड़ सकतीं। भारतीय छात्रों की संख्या और कनाडाई पेंशन फंड्स का निवेश इसका जीवंत प्रमाण है।
Sonia Renthlei
मुझे लगता है कि इस बात को समझना बहुत जरूरी है कि जब हम बात कर रहे हों तो यह बस दो देशों के बीच नहीं, बल्कि लाखों छात्रों, निवेशकों, फार्मा कंपनियों और छोटे व्यापारियों के बीच के जीवन की बात है। जब एक कनाडाई पेंशन फंड 500 भारतीय घरों की बचत को सुरक्षित कर रहा है, तो क्या एक डिप्लोमेट के निष्कासन से वह रुक जाएगा? नहीं। ये सब लोग अपने काम में लगे रहेंगे। यही तो असली दृढ़ता है। और इसका अर्थ है कि हमें अपनी भावनाओं को अपने आर्थिक हितों से अलग करना होगा।
Aryan Sharma
ये सब झूठ है। कनाडा भारत के खिलाफ स्पाइज़ भेज रहा है। ये निवेश तो बस छिपावट है। जल्द ही आपकी बैंक अकाउंट में भी बदलाव आएगा। अभी तक तो सिर्फ भारतीय छात्रों को बाहर भेज रहे हैं, अब आएंगे तो बैंक बंद कर देंगे।
Devendra Singh
अरे ये सब तो बस एक बड़ा फेक न्यूज़ है। आप सब इतने निराश क्यों हो रहे हो? ये जो लिखा है, वो तो गूगल से कॉपी किया हुआ है। अगर व्यापार इतना मजबूत है तो फिर भारत के लिए कनाडा के साथ FTA पर बातचीत क्यों ठहर गई? ये सब बस बाजार में भाव बढ़ाने की चाल है। कोई निवेश नहीं है, सिर्फ बातें हैं।