भारत की कड़ी प्रतिक्रिया

भारत ने कड़ा विरोध प्रकट करते हुए इरानी सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई के भारत में मुस्लिमों की स्थिति पर दिए गए बयान की आलोचना की है। खामेनेई ने हाल में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर भारत में मुस्लिमों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी।

विदेश मंत्रालय का बयान

भारत के विदेश मंत्रालय ने खामेनेई की टिप्पणियों को 'भ्रामक और अस्वीकार्य' करार दिया है। मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि जिन्हें अल्पसंख्यक मुद्दों पर टिप्पणी करनी है, उन्हें पहले अपने देश की स्थिति पर गौर करना चाहिए। इस तरह के बेबुनियाद बयान से न केवल संबंधों में दरार आती है, बल्कि गलत धारणाएं भी बन सकती हैं।

खामेनेई की सोशल मीडिया पोस्ट

अयातुल्लाह अली खामेनेई ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा था कि संयुक्त राज्य अमेरिका, म्यांमार और भारत में मुस्लिमों की हालत खस्ता है और मुस्लिम समुदाय को एकजुट होना चाहिए। उन्होंने वैश्विक रूप से मुस्लिमों की दुर्दशा पर ध्यान आकर्षित करते हुए इन देशों की सरकारों की आलोचना की थी।

पहले भी कर चुके हैं टिप्पणी

यह पहली बार नहीं है जब खामेनेई ने भारतीय मुस्लिमों को लेकर टिप्पणी की है। अगस्त 2019 में, जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने पर भी उन्होंने प्रतिक्रिया दी थी। साथ ही मार्च 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा पर भी उन्होंने चिंता व्यक्त की थी। उस समय भी भारत ने उनके बयानों को खारिज करते हुए कहा था कि यह भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है।

भारत की सख्त प्रतिक्रिया

भारत के विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार है और सरकार हर आलोचना का जवाब देने में सक्षम है। मंत्रालय ने कहा कि इस तरह की टिप्पणियों से भारत और ईरान के वर्तमान द्विपक्षीय संबंधों में कटुता आ सकती है, जो दोनों देशों के हित में नहीं है।

वैश्विक जागरूकता पर जोर

मंत्रालय ने कहा कि उन देशों को सलाह दी जाती है, जिन्हें लगता है कि वे भारतीय अल्पसंख्यकों की स्थिति पर टिप्पणी कर सकते हैं, कि उन्हें पहले अपने देश के अल्पसंख्यकों की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए। भारत ने हमेशा मानवाधिकारों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की है और आगे भी करता रहेगा।

समाज में शांति और समरसता

भारत में विभिन्न धर्म और संस्कृतियाँ वर्षों से सह-अस्तित्व में हैं। सरकार और समाज मिलकर सभी समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं। ऐसी टिप्पणियां देश के सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करने का प्रयास हैं।

निष्कर्ष

निष्कर्ष

खामेनेई के बयानों ने एक बार फिर से संवेदनशील मुद्दों को उभारा है। भारत ने अपने सख्त रवैये से यह स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे अनुचित बयान देश की अंदरूनी मामलों में और द्विपक्षीय संबंधों में बाधा उत्पन्न करते हैं।

Subhranshu Panda

मैं एक पेशेवर पत्रकार हूँ और मेरा मुख्य फोकस भारत की दैनिक समाचारों पर है। मुझे समाज और राजनीति से जुड़े विषयों पर लिखना बहुत पसंद है।

8 टिप्पणि

  • Shakti Fast

    Shakti Fast

    भारत में हर धर्म के लोग एक साथ रहते हैं, ये सिर्फ बयान नहीं, हमारी जिंदगी का हिस्सा है। बाहर से टिप्पणी करने से पहले अपने देश की बात सुन लो।

  • saurabh vishwakarma

    saurabh vishwakarma

    अरे भाई, खामेनेई जी अपने देश में जितने मुस्लिमों को गोली मार रहे हैं, उनकी चिंता क्यों नहीं कर रहे? भारत के बारे में बोलने का मन कर रहा है तो पहले अपने घर की सफाई कर लो।

  • MANJUNATH JOGI

    MANJUNATH JOGI

    भारत की धार्मिक विविधता एक अद्भुत जटिलता है, जिसमें हजारों सालों का सांस्कृतिक अनुकूलन शामिल है। विदेशी नेता जो एकल नोट पर टिप्पणी करते हैं, वे इस जटिलता को समझ नहीं पाते। हमारे संविधान का धारा 25 और 26 यही साबित करता है कि अल्पसंख्यकों के अधिकार यहाँ न्यायपालिका और नागरिक समाज द्वारा सुरक्षित हैं।

  • Sharad Karande

    Sharad Karande

    इस तरह के बयानों का राजनीतिक उपयोग अक्सर आंतरिक राजनीति के लिए किया जाता है। भारत की नीतियाँ अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं और हमारे न्यायालयों ने बार-बार अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा की है। बाहरी आलोचना का उद्देश्य संवेदनशील विषयों को राजनीतिक लाभ के लिए बढ़ावा देना है।

  • Sagar Jadav

    Sagar Jadav

    अपना घर साफ करो।

  • Dr. Dhanada Kulkarni

    Dr. Dhanada Kulkarni

    हमारे देश में धर्म के आधार पर कोई भी नागरिक अपने अधिकारों से वंचित नहीं होता। यह एक ऐसा विश्वास है जिसे हमने अपने संविधान के माध्यम से निर्मित किया है। बाहरी आवाजें जब अनुभव के बिना टिप्पणी करती हैं, तो वे न केवल गलत होती हैं, बल्कि उनका असली निर्माण भी अनुचित होता है।

  • Rishabh Sood

    Rishabh Sood

    क्या हम सचमुच सोचते हैं कि एक व्यक्ति जो अपने देश में आजादी के लिए लड़ने वालों को फांसी देता है, वह दूसरे देशों के लोगों के अधिकारों के बारे में बात कर सकता है? यह न केवल अहंकार है, बल्कि नैतिक विकृति है।

  • Saurabh Singh

    Saurabh Singh

    खामेनेई का बयान बस एक धोखा है। उसने अपने देश में शिया और सुन्नी दोनों को दमन किया है, और फिर भारत की ओर उंगली उठाता है? ये नहीं कि वो अल्पसंख्यकों की चिंता कर रहे हैं, बल्कि भारत को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं। इस तरह के नेताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग कर देना चाहिए।

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