भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट: सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट, रुपया रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर

25 जून 2024 का दिन भारतीय शेयर बाजार के लिए एक संकटपूर्ण दिन साबित हुआ। बीएसई सेंसेक्स ने इस दिन 1.5% की भारी गिरावट के साथ 61,133.41 अंकों पर सत्र समाप्त किया। एनएसई निफ्टी भी 1.4% की गिरावट के साथ 18,320.15 अंकों पर बंद हुआ। इस आकस्मिक और महत्वपूर्ण गिरावट का प्रमुख कारण भारतीय रुपये का अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ₹84.85 के रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर पहुंचना था।

रुपये की कमजोरी: कारण और प्रभाव

भारतीय रुपये की ये निर्विवाद कमजोरी मुख्यतः वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की भारी निकासी के कारण हुई। वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से भारत जैसे तेल आयातक देशों पर दबाव बढ़ जाता है। इस दबाव के कारण रुपये की विनिमय दर में गिरावट आती है। इसके अलावा, पिछले दो महीनों में FIIs ने भारतीय शेयर बाजार से ₹1.5 लाख करोड़ से अधिक निकाल लिया है। यह निकासी बाजार की भावना पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल रही है।

वैश्विक बाजारों के कमजोर संकेत

भारतीय शेयर बाजार की गिरावट का एक और कारण अंतरराष्ट्रीय बाजारों से मिले कमजोर संकेत हैं। अमेरिकी बाजारों में डॉव जोन्स और एस एंड पी 500 ने भी रात के कारोबार में गिरावट दर्ज की है। इस वैश्विक गिरावट का असर बाजारों पर साफ देखा जा सकता है।

प्रमुख सेक्टर्स में गिरावट

सभी प्रमुख सेक्टर्स ने इस दिन नुकसान के साथ कारोबार समाप्त किया। बैंकिंग, आईटी और फार्मा जैसे बड़े सेक्टर्स भी इस गिरावट से अछूते नहीं रहे। आईटी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों में से इंफोसिस और टीसीएस में क्रमशः 2.5% और 2.3% की गिरावट आई। बैंकिंग क्षेत्र में आईसीआईसीआई बैंक 2.2% से गिर गया।

गिरावट के बावजूद कुछ कंपनियों में वृद्धि

हालांकि बाजार में गिरावट का माहौल था, फिर भी कुछ कंपनियों ने सकारात्मक प्रदर्शन किया। इनमें प्रमुख रूप से भारती एयरटेल, टाटा स्टील और हिंदाल्को शामिल हैं, जिन्होंने क्रमशः 2.2%, 1.8%, और 1.6% की वृद्धि दर्ज की।

विशेषज्ञों की राय: सतर्कता बरतने की सलाह

समाज के विशेषज्ञों का मानना है कि इस गिरावट का प्रमुख कारण वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता और घरेलू ट्रिगर्स की कमी है। उन्होंने निवेशकों को सतर्क रहने और वर्तमान बाजार परिदृश्य में `वेट एंड वॉच` रणनीति अपनाने की सलाह दी है।

निवेशक इस समय अपनी निवेश योजनाओं का पुनर्मूल्यांकन करें और तेजी से निर्णय लेने से बचे। भारतीय और वैश्विक आर्थिक स्थितियों में स्थिरता आने तक उनके लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने निवेश निर्णयों में बहुत सावधानी बरतें।

आने वाले दिनों के लिए भविष्यवाणी

अगले कुछ दिनों में बाजार के उतार-चढ़ाव के बने रहने की संभावना है, बाजार विशेषज्ञ इस विषय पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह समय थोड़े तहलका मचाने वाला हो सकता है। उन्हों ने कहा कि निवेशकों को तात्कालिक लाभ से अधिक दीर्घकालिक लाभ पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

भारतीय शेयर बाजार के इस अस्थिर माहौल में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आगामी समय में वैश्विक और घरेलू संकेत कैसे परिवर्तित होंगे और इसका बाजार पर क्या असर पड़ेगा।

अर्जुन चौधरी

मैं एक पेशेवर पत्रकार हूँ और मेरा मुख्य फोकस भारत की दैनिक समाचारों पर है। मुझे समाज और राजनीति से जुड़े विषयों पर लिखना बहुत पसंद है।
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