जब भोपाळ के सराफा मार्केट में सोना की कीमतें तेज़ी से बढ़ रही थीं, तो श्वास रोक लेने वाला माहौल बन गया। इस तेज़ी का कारण कुछ ही दिन दूर आने वाला दिवाली 2025 का शॉपिंग सीजन था, जहाँ खरीदारों की भीड़ ने कीमतों को ‘तुफ़ानी’ बना दिया।
दिवाली की तैयारी और सोने‑चाँदी के दामों का ताज़ा परिदृश्य
सोमवार, 13 अक्टूबर 2025 को, News18 हिन्दी ने बताया कि 24‑कैरेट सोने की कीमत भोपाळ के बाजार में 10 ग्राम पर ₹123,260 तक पहुँच गई थी, जो पिछले दिन की ₹121,570 से ₹1,690 ज़्यादा था। इसी समय 22‑कैरेट की कीमत ₹112,988 दर्ज हुई, जबकि कल ₹111,723 थी। यह बढ़ोतरी सिर्फ़ आंकड़ा नहीं, बल्कि उपभोक्ताओं के ‘धनतेरस’ की खरीदारी के झुंझट का प्रतिबिंब है।
भोपाळ में सोने‑चाँदी के दरों की ताज़ा आँकड़े
एक दिन बाद, 14 अक्टूबर 2025 को, बाजार में 24‑कैरेट सोना ₹1,25,494 प्रति 10 ग्राम तक चढ़ गया—यह अक्टूबर का सबसे ऊँचा स्तर था, और एक ही दिन में ₹7,994 की उछाल थी। टिप्पणीकार रजत सिंह, जो ट्रेडिंग एनेलिटिक्स में विश्लेषक हैं, ने कहा: “दिवाली की धूम के चलते खरीदारों का जोश असामान्य है, और यही कारण है कि कीमतें रोज़ नई‑नई रिकॉर्ड बना रही हैं।”
सिल्वर की कीमत भी बढ़कर 1 किलोग्राम पर ₹4,650 अधिक हो गई। यह उछाल इस तथ्य को दर्शाता है कि न केवल सोना, बल्कि चाँदी भी त्योहार के कारण गूँज उठी है।
राष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतों की तुलना
14 अक्टूबर को, पूरे भारत में 24‑कैरेट सोने की औसत कीमत ₹12,556 प्रति ग्राम (₹125,560 प्रति 10 ग्राम) थी। दिल्ली में यह ₹12,555 प्रति ग्राम, चेन्नई में ₹12,573, और भोपाळ में ₹12,545 तक पहुँच गई। 22‑कैरेट और 18‑कैरेट के दाम भी समान रूप से बढ़े, जहाँ 22‑कैरेट भारत भर में ₹11,511 प्रति ग्राम (₹115,110 प्रति 10 ग्राम) पर ट्रेड हो रहा था।
वहीं, Jagran.com ने बताया कि 9:37 एएम तक 24‑कैरेट सोना की कीमत ₹123,195 थी, जिसमें ₹1,831 की बढ़ोतरी देखी गई। उसी दिन Patrika.com ने 18‑कैरेट की कीमत ₹9,410 प्रति ग्राम का उल्लेख किया।
विशेषज्ञों की राय और भविष्य की संभावनाएँ
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस तेज़ी को नियंत्रित नहीं किया गया, तो कीमतें अगले हफ़्ते तक फिर से ‘टॉप’ पर पहुँच सकती हैं। एक यूट्यूब एनालिस्ट ने कहा कि पिछले सप्ताह में सोने ने ₹1,00,000 का आंकड़ा तो पार कर लिया, पर फिर भी थोड़ी‑बहुत सुधार की संभावना है। उनके अनुसार, ‘धनतेरस’ के बाद की पहली दो‑तीन दिन कीमतों में थोड़ा पाचन‑झटका आएगा, पर दीर्घकालिक रुझान अभी भी ऊपर की ओर है।
दूसरी ओर, आर्थिक दर्शक AajTak ने नोट किया कि उपभोक्ता जल्दी‑जल्दी खरीदारी कर रहे हैं, जिससे मौजुदा स्टॉक ख़त्म होने की आशंका भी बढ़ रही है। इस तनाव को देखते हुए, छोटे‑बड़े रिटेलर्स ने पहले ही अपनी इन्वेंटरी को अतिरिक्त 10‑15 % बढ़ा दिया है।
उपभोक्ताओं के लिए क्या मतलब?
आमतौर पर धनतेरस और दिवाली के दौरान सोने की खरीदारी में भारी उछाल देखी जाती है। इस साल की तीव्र कीमतें दर्शाती हैं कि निवेशकों की भीड़ इंटरस्टेट ग्रेड और गोल्ड ETFs की ओर मुड़ रही है। यदि आप पहली बार सोने की गहना खरीदने का सोच रहे हैं, तो आज‑कल की कीमतें ‘ऊपर‑नीचे’ दोनों हो सकती हैं, इसलिए बेहतर है कि आप विश्वसनीय डीलर से ही लेन‑देय करें।
एक और बात—भोपाळ में कई खुदरा विक्रेता अब ‘ड्रेसिंग रूम फ़्री मेटल इवैल्यूएशन’ लागू कर रहे हैं, जिससे खरीदार को कीमत के वास्तविक परिवर्तन का पता चल सके। यह उपभोक्ता संरक्षण के लिये एक सकारात्मक कदम है।
- 24‑कैरेट सोना के सबसे ऊँचे स्तर: ₹1,25,494/10 ग्राम (भोपाळ, 14 Oct 2025)
- सिल्वर का सर्वश्रेष्ठ: ₹1,67,100 / किग्रा (कई शहर)
- राष्ट्रीय औसत: ₹12,556 / ग्राम (24‑K)
- मुख्य शहरों में कीमतें: दिल्ली ₹12,555 / ग्राम, चेन्नई ₹12,573 / ग्राम
- विशेषज्ञ राय: कीमतों में हल्का पाचन‑झटका, पर दीर्घकालिक रुझान ऊपर
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
भोपाळ में सोने की कीमतें इतनी तेज़ क्यों बढ़ रही हैं?
दिवाली और धनतेरस की खरीद‑पेचीदगी ने उपभोक्ताओं को जल्दी‑फुरतीले बनाते हुए मांग में भारी उछाल पैदा किया। इस अतिरिक्त मांग के कारण सराफा मार्केट में सोने और चाँदी दोनों की कीमतें रिकॉर्ड‑टू‑रिकॉर्ड बढ़ी हैं।
क्या इस कीमत के उछाल से निवेशकों को नुकसान होगा?
ज्यादा खरीद‑निर्णय तुरंत करने से अल्प‑कालिक मोमेंटम के कारण नुकसान हो सकता है, लेकिन कई निवेशक इसे दीर्घकालिक सुरक्षा के रूप में देखते हैं। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि यदि आप अल्प‑कालिक ट्रेडिंग नहीं करना चाहते तो मौजूदा उच्च कीमत को थोड़ा‑बहुत समायोजित करने का इंतज़ार करना बेहतर हो सकता है।
कुशलता से सोने की खरीदारी कैसे करें?
विश्वसनीय ज्वेलर की दुकान से ही खरीदें, प्रमाणपत्र (जैसे Hallmark) की जाँच करें, और यदि संभव हो तो कीमत में ‘इंस्टैंट रेट’ मापें। साथ ही, बड़े शहरों में ऑनलाइन मार्केटप्लेस से भी तुलना करके सबसे बेहतर दर पर खरीदारी कर सकते हैं।
भविष्य में सोने की कीमतों की क्या संभावना है?
विश्लेषकों का अनुमान है कि धनतेरस के बाद कुछ दिनों में हल्का सुधार देखेगा, पर दीर्घकालिक रुझान अभी भी ऊपर की ओर है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और मुद्रास्फीति की स्थिति भी कीमतों को मजबूती दे सकती है।
Rajesh kumar
भोपाळ के सराफा मार्केट में सोने की कीमतें जब आसमान छू रही थीं तो हमारे देश की आर्थिक ताकत का असली प्रमाण दिखा। यह सिर्फ एक बाजार का उतार-चढ़ाव नहीं, बल्कि भारतीय निवेशकों की असीम धैर्य और भरोसा है। दिवाली के शॉपिंग सीजन में जब हर कोई सोने की खरीदारी की धूम मचा रहा है, तो यह दर्शाता है कि भारतीय लोग अस्थिरता में भी स्थिरता को प्राथमिकता देते हैं। हम देख रहे हैं कि सरकार की नीतियाँ, जैसे आयात शुल्क में कमी और रिवर्स रेपर्सनिंग, ने इस उछाल को और तेज़ कर दिया है। इसी कारण से विदेशी निवेशकों को भी भारत की ओर आकर्षित होना चाहिए, क्योंकि यहाँ पर निरंतर वृद्धि की संभावना है। इस रिकॉर्ड को देख कर हमें गर्व होना चाहिए, क्योंकि यह हमारे महान राष्ट्र की आर्थिक शक्ति को सिद्ध करता है। सोने की कीमतें बढ़ने से भारतीयों को बचत का एक भरोसेमंद माध्यम मिलता है, और यह आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देता है। हमारे देश की सांस्कृतिक परम्परा में सोना हमेशा ही शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक रहा है, और इस बढ़ती कीमतों से वह प्रतीक और भी मजबूत हो रहा है। यदि आप सोचते हैं कि यह केवल उथल-पुथल है, तो आप भारतीय आर्थिक प्रणाली की गहरी समझ नहीं रखते। इस उछाल को लेकर हमें सतर्क रहना चाहिए, लेकिन साथ ही यह भी समझना चाहिए कि यह हमारे राष्ट्र की शक्ति का संकेत है। सरकारी नीतियों में निरंतर सुधार, ठेकेदारों की ईमानदारी और जनता की जागरूकता ने इस परिणाम को सम्भव बनाया है। इस रिकॉर्ड को तोड़ते हुए, हम विश्व के सबसे बड़े सोने के खरीदारों में से एक बन गए हैं, और यह केवल हमारे कठिन परिश्रम और राष्ट्रीय भावना का नतीजा है। भारतीय बंधुओं को चाहिए कि वे इस मौका का लाभ उठाएँ, लेकिन समझदारी से, ताकि भविष्य में भी इस तरह की बढ़ोतरी देखी जा सके। हमें इस आर्थिक शक्ति को आगे भी बनाए रखने के लिए सामूहिक रूप से काम करना चाहिए, क्योंकि यही हमारा असली राष्ट्रीय कर्तव्य है। अंत में, मैं कहूँगा कि इस तरह की कीमतों में उछाल, अगर सही दिशा में इस्तेमाल किया जाए, तो भारत को और भी समृद्धि की ओर ले जाएगा।