Bihar पुलिस कांस्टेबल परीक्षा 2025 ने 4,128 रिक्तियों के लिए 16 जुलाई से 3 अगस्त तक छह चरणों में लिखित परीक्षा का आयोजन किया। इस बार कुल 16,73,586 उम्मीदवारों ने 627 परीक्षा केंद्रों में हिस्सा लिया, जो बिहार में सबसे बड़े भर्ती अभियानों में से एक है।
परीक्षा का समय‑सारणी और रिपोर्टिंग प्रक्रिया
हर फेज़ में परीक्षा दो घंटे की थी, सुबह 12:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक चलती। सभी अभ्यर्थियों को 9:30 बजे तक रिपोर्ट करना अनिवार्य था, जिससे प्रवेश प्रक्रिया, फोटो‑टेम्पलेट भरना और प्रमाणपत्र जांच के लिए पर्याप्त समय मिल जाता। नीचे पूरी समय‑सारणी दी गई है:
- 16 जुलाई, 2025 (बुधवार)
- 20 जुलाई, 2025 (रविवार)
- 23 जुलाई, 2025 (बुधवार)
- 27 जुलाई, 2025 (रविवार)
- 30 जुलाई, 2025 (बुधवार)
- 3 अगस्त, 2025 (रविवार)
सभी सत्र एक ही शिफ्ट में आयोजित किए गए, जिससे स्थानीय उम्मीदवारों को ट्रैवल की परेशानी नहीं हुई। रिपोर्टिंग पर ही अभ्यर्थियों को अपना वैध फोटो‑आईडी, क्रमांक वाली टोकन, और वैकल्पिक हेल्थ कार्ड दिखाना पड़ता था।
परीक्षा पैटर्न, विषय-वस्तु और अंकन प्रणाली
परीक्षा में कुल 100 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQ) थे, प्रत्येक प्रश्न का एक अंक था। सभी प्रश्न OMR शीट पर कलम से भरने थे, जिससे तेज़ी से मूल्यांकन संभव हुआ। प्रश्नपत्र को 10वीं कक्षा (मैट्रिक) के स्तर पर तैयार किया गया, जिससे अधिकांश युवा उम्मीदवार आसानी से समझ सकें।
विषयों में हिंदी, अंग्रेज़ी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, सामान्य ज्ञान और करंट अफेयर्स शामिल थे। उदाहरण के तौर पर, हिंदी में भाषा प्रयोग, संपूर्ण वाक्य निर्माण और गद्य‑संधि; अंग्रेज़ी में ग्रामर, शब्दावली और पढ़ना‑समझना; गणित में अंकगणित, अल्जेब्रा और बेसिक जियोमेट्री; विज्ञान में बायोलॉजी‑भौतिकी‑रसायन के बुनियादी सिद्धांत; सामाजिक विज्ञान में इतिहास, भूगोल और नागरिक शिक्षा; सामान्य ज्ञान में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय घटनाएँ; और करंट अफेयर्स में हाल की तीव्र खबरें शामिल थीं।
उम्मीदवारों को पास मार्क्स के लिए न्यूनतम 30% अंक यानी 30 अंक चाहिए थे। लिखित परीक्षा सिर्फ़ योग्यता‑परीक्षण थी; इसका स्कोर आगे की चयन प्रक्रिया में नहीं गिना गया।
चयन प्रक्रिया के तीन प्रमुख चरण
- लिखित परीक्षा – ऊपर वर्णित 100 प्रश्नों से योग्यता तय की जाती है।
- शारीरिक दक्षता परीक्षण (PET) – यह सबसे महत्वपूर्ण चरण है, जिसका कुल 100 अंक मूल्यांकन में शामिल होते हैं। इसमें दौड़ (50 अंक), शॉट पुट (25 अंक) और हाई जंप (25 अंक) का परीक्षण शामिल है। पुरुष और महिला दोनों के लिए मानक अलग‑अलग निर्धारित हैं; पुरुषों के लिए दौड़ में 1.6 किमी में 7 मिनट 30 सेकंड, महिलाओं के लिए 1.6 किमी में 9 मिनट 30 सेकंड टाइम सीमा है।
- दस्तावेज़ सत्यापन – अंतिम चरण में शैक्षणिक प्रमाणपत्र, आयु प्रमाण, जाति प्रमाणपत्र, और विज्ञापन में मांगे गए अन्य दस्तावेज़ों का मूल सत्यापन किया जाता है। इस चरण में कोई अंक नहीं दिया जाता; केवल चयनित उम्मीदवारों को अंतिम मेरिट लिस्ट में शामिल किया जाता है।
पात्रता मानदंड और शारीरिक आवश्यकताएँ
उम्मीदवारों की आयु 18 से 25 वर्ष के बीच होनी चाहिए। शैक्षणिक मानदंड के तहत इंटर (12वीं) पास या समकक्ष बोर्ड से 10वीं पास होना अनिवार्य है। शारीरिक मानकों में पुरुषों के लिए न्यूनतम ऊँचाई 165 सेंटीमीटर और छाती 81-86 सेंटीमीटर तथा महिलाओं के लिए न्यूनतम ऊँचाई 155 सेंटीमीटर निर्धारित किया गया है। इन मानकों को पूरा न करने वाले अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा में से ही बाहर कर दिया जाता है।
परिणाम की घोषणा और आगे की कार्रवाई
CSBC ने 26 सितंबर, 2025 को लिखित परीक्षा का परिणाम आधिकारिक तौर पर जारी किया। आधिकारिक वेबसाइट पर रोल नंबर के साथ मेरिट सूची उपलब्ध कराई गई, जिससे चयनित उम्मीदवार अगले चरण – शारीरिक दक्षता परीक्षण – के लिए तैयार हो सकें। PET के परिणाम के बाद ही अंतिम मेरिट लिस्ट बनाकर 4,128 पदों के लिए नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
बिहार पुलिस ने इस भर्ती को सामाजिक सुरक्षा, ग्रामीण पुलिसिंग और युवा विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना है। पिछले वर्षों में इस परीक्षा की सफलता दर लगभग 2% रही है, जिससे इस बार भी उम्मीद है कि कड़ी प्रतिस्पर्धा होगी। अभ्यर्थियों को सलाह दी जाती है कि वे शारीरिक प्रशिक्षण को प्राथमिकता दें, साथ ही पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों का विश्लेषण करके अभी भी बाकी के विषयों पर ध्यान दें।
Chirag Yadav
ये परीक्षा तो बिहार के युवाओं के लिए एक नया उत्साह का प्रतीक है। मैंने अपने भाई को तैयार करते देखा, उसने रोज़ सुबह 5 बजे उठकर दौड़ना शुरू कर दिया। अब वो PET के लिए तैयार है। इस तरह की भर्ती से सिर्फ नौकरी ही नहीं, बल्कि एक नई पहचान भी बनती है।
saurabh vishwakarma
अरे भाई, ये सब तो बस धोखा है। 16 लाख आवेदन, 4000 पद? ये तो एक बड़ा बाज़ार है जहाँ रिश्वत और नेटवर्क बात करते हैं। आम आदमी के पास तो बस दौड़ने का जुनून है, बाकी सब तो अंदर के लोग ही तय करते हैं।
MANJUNATH JOGI
दोस्तों, ये परीक्षा बिहार के सामाजिक बदलाव का एक महत्वपूर्ण स्टेप है। हमारे गाँवों से आए युवा अब सिर्फ खेती नहीं, बल्कि सुरक्षा के जिम्मेदार बन रहे हैं। PET में लड़कियों के लिए 9 मिनट 30 सेकंड का टाइम तय करना एक बड़ी जीत है - ये सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक बल का प्रमाण है। हमें इसे समाज के लिए एक उदाहरण बनाना चाहिए।
Sharad Karande
परीक्षा पैटर्न में OMR शीट का उपयोग एक वैध और विश्वसनीय मूल्यांकन तंत्र है। इससे मानवीय त्रुटियों का अवसर न्यूनतम होता है। इसके अलावा, 10वीं स्तर के प्रश्न पत्र का चयन एक नीतिगत निर्णय है - यह दर्शाता है कि भर्ती का उद्देश्य ज्ञान की गहराई नहीं, बल्कि बुनियादी योग्यता की पुष्टि है।
Sagar Jadav
30% पास मार्क्स? ये तो बहुत कम है। कोई भी आदमी बिना पढ़े भी इतना कर लेता है। ये परीक्षा बस फॉर्मलिटी है।
Dr. Dhanada Kulkarni
इस परीक्षा के लिए तैयार हो रहे युवाओं को बहुत बहुत बधाई। आप सब अपने परिवार का सम्मान बढ़ा रहे हैं। PET के लिए धीरे-धीरे शुरू करें, दौड़ के लिए पहले 1 किमी, फिर 1.5 किमी, फिर पूरा। आप कर सकते हैं - मैं आपके साथ हूँ।
Rishabh Sood
क्या आपने कभी सोचा है कि ये सब एक राष्ट्रीय विरासत का हिस्सा है? बिहार के युवा जो आज दौड़ रहे हैं, वो कल के गुरु के आदेशों को पूरा कर रहे हैं। शारीरिक दक्षता न केवल शरीर की ताकत है, बल्कि आत्मा की लगन है। इस परीक्षा का मतलब बस नौकरी नहीं - ये एक धर्म है।
Saurabh Singh
ये सब बकवास है। 16 लाख आवेदन? तो फिर 14 लाख लोग बेकार हैं? और ये लोग जो चयनित हुए, उनके पास भी न तो बुद्धि है न अंदाज़ा। बस दौड़ सकते हैं - अरे भाई, इतना बड़ा देश है और इतनी बड़ी नौकरी बस दौड़-कूद पर चलती है?
Mali Currington
अच्छा, तो 10वीं के स्तर के प्रश्न बनाए गए ताकि ज्यादा लोग पास हो जाएँ? बहुत बुद्धिमानी वाला फैसला। मैं तो सोच रही थी कि क्या कोई बच्चा भी पास हो जाएगा या नहीं।
INDRA MUMBA
देखो, ये परीक्षा बस एक टेस्ट नहीं - ये एक सामाजिक बदलाव का संकेत है। हमारे गाँव की लड़कियाँ अब दौड़ रही हैं, अपनी छाती फैला रही हैं, अपने आप को गर्व से दिखा रही हैं। जाति, धर्म, भाषा - सब यहाँ बराबर हैं। PET में एक लड़की ने 9 मिनट 28 सेकंड में दौड़ लगाई - उसकी माँ रो रही थी। ये तो जीत है, बस जीत।
Anand Bhardwaj
इतना बड़ा अभियान, इतने सारे दस्तावेज़... और फिर भी 2% सफलता। बिहार के युवाओं का हौसला तो बहुत बड़ा है। मैं तो बस देखता हूँ - बिना कुछ कहे।
RAJIV PATHAK
ये सब तो एक बाज़ार है जहाँ गरीब युवा अपना समय और पैसा बर्बाद कर रहे हैं। असली नौकरियाँ तो बैंक और एसएससी में हैं। ये सब बस एक बड़ा नाटक है जिसमें सरकार अपने आप को अच्छा दिखाना चाहती है।
Nalini Singh
इस परीक्षा के आयोजन में संगठितता और व्यवस्था का अच्छा उदाहरण है। छह चरणों में विभाजित करने से आयोजन दबाव कम हुआ और सुरक्षा बढ़ी। इस प्रक्रिया को अन्य राज्यों को अपनाना चाहिए।
Sonia Renthlei
मैंने अपने छोटे भाई को इस परीक्षा के लिए तैयार किया है - और ये तो बहुत ज्यादा बात है कि उसने कितनी मेहनत की। वो रोज़ 5 बजे उठता है, हिंदी के लिए गद्य संधि पढ़ता है, अंग्रेजी में वोकैबुलरी याद करता है, गणित के लिए अंकगणित के प्रश्न हल करता है, विज्ञान के बेसिक कॉन्सेप्ट्स रिवाइज करता है, सामाजिक विज्ञान में भूगोल के नक्शे बनाता है, करंट अफेयर्स के लिए दैनिक अखबार पढ़ता है, और फिर शाम को दौड़ने जाता है - एक घंटे की दौड़, फिर शॉट पुट, फिर हाई जंप। उसकी माँ हर रात उसके लिए चावल और दाल बनाती है, और वो बस खाता है, फिर सो जाता है। उसके बाद वो फिर से उठता है। मैं उसे देखकर रो जाती हूँ। ये बस एक परीक्षा नहीं है - ये एक परिवार का सपना है। और अगर वो चयनित नहीं हुआ, तो भी मैं उसे गले लगाऊंगी। क्योंकि वो जीत चुका है।