अनिल विज की अंबाला कैंट सीट पर जीत
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में अंबाला कैंट सीट पर हुई अनिल विज की शानदार जीत ने भाजपा के लिए एक और उपलब्धि को जोड़ दिया है। विज की यह जीत पार्टी के लिए न केवल एक राजनीतिक उपलब्धि है, बल्कि उनके व्यक्तित्व की भी पुष्टि करती है। 1970 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के महासचिव के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले विज ने कई महत्वपूर्ण पदों पर रहकर अपनी राजनीति की।
विज की अद्वितीय राजनीतिक यात्रा
विज का जन्म 15 मार्च 1953 को हुआ था और उनका राजनीतिक करियर शुरू से ही सक्रिय रहा है। 1990 में पहली बार विधायक बने विज ने लगातार अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत की। उन्होंने मनोहर लाल खट्टर सरकार में गृह मंत्री के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं। विज अपनी निर्विवाद सीनियरिटी और अनुभव का हवाला देते हुए हमेशा मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा भी व्यक्त करते आए हैं।
अंबाला कैंट सीट पर विज का दबदबा
अंबाला कैंट सीट अनिल विज की प्रभावशाली राजनीति का प्रमाण क्षेत्र रही है। यह सीट अंबाला जिले के अन्तर्गत आती है और अंबाला (एससी) संसदीय सीट का हिस्सा है। 2009 से विज ने इस सीट को अपने नाम करने का सिलसिला जारी रखा है। यह उनका सातवां विधायक बनना है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अंबाला कैंट सीट पर उनका प्रभाव गहरा और स्थाई है।
कांग्रेस की स्थिति और दृष्टिकोण
अनिल विज की अद्वितीय जीत के बावजूद कांग्रेस की तरफ से एक मजबूत वापसी की उम्मीद लगाई जा रही थी। हालांकि, विज ने कहा कि चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों की भविष्यवाणी का आकलन करना मुश्किल है, क्योंकि वह जमीनी हकीकत से काफी अलग हो सकते हैं। परविंदर सिंह पैर की कांग्रेस के उम्मीदवार रहे, लेकिन वह विज के मुकाबले बहुत पीछे रहे।
चुनाव परिणामों का महत्व और भविष्य की राजनीति
यह चुनाव न केवल भाजपा के लिए विशेष महत्व का था, बल्कि यह कांग्रेस के लिए भी एक विवेकपूर्ण मोड़ साबित हुआ। अनिल विज की मौजूदगी और उनकी लगातार जीत ने यह संदेश दिया कि हार से भी नसीहत ली जा सकती है। भाजपा की जीत ने यह भी यकीन दिलाया कि अनुभवी नेतृत्व का मूल्य और महत्व कभी कम नहीं होता।
विज की राजनीतिक यात्रा और उनकी सीट पर निरंतर जीत यह भी दर्शाती है कि जनता का विश्वास और समर्थन उनके साथ है। अंबाला कैंट सीट पर हुई इस जीत ने भविष्य की राजनीति के लिए कई संकेत दिए हैं, जो राजनीतिक पर्यवेक्षकों के लिए विचारणीय हैं।
UMESH DEVADIGA
अनिल विज की जीत देखकर लगा जैसे कोई राजनीति का डायनामाइट फट गया हो... ये आदमी तो बस एक टाइम मशीन है जो 1990 के दशक से बाहर नहीं निकल पाया। कांग्रेस के लोग अभी भी चुनावी सर्वेक्षण पर भरोसा कर रहे हैं? अरे भाई, जमीन पर तो लोग तो विज के नाम से ही दूध पीते हैं।
Roshini Kumar
अनिल विज की जीत? ओह बहुत बड़ी बात है... जब तक आपके पास एक नाम और 30 साल का अनुभव है, तब तक आपकी जीत गारंटीड है... बस इतना ही नहीं, आपको बस ये भी पता होना चाहिए कि लोग क्या चाहते हैं... अरे यार, ये सब तो पुरानी खबर है। अब तो युवा लोग नए नेता चाहते हैं, न कि एक जिंदा म्यूजियम। 😒
Siddhesh Salgaonkar
लोग भूल गए कि विज ने 2014 में जब भाजपा को दिल्ली में राज करने का मौका मिला तो उन्होंने बिना बोले बिना अपने गृह मंत्री के पद को लेकर एक ऐसा बदलाव किया जिसे अभी तक किसी ने नहीं देखा। ये तो बस एक नेता नहीं, ये तो एक ऑपरेशनल जीनियस है। जिन लोगों को लगता है कि ये सिर्फ पुराने नेता हैं, वो अपने फोन के स्क्रीन टाइम को देख लें और फिर बात करें 😎
Arjun Singh
ये सब चुनावी नर्वस सिस्टम है जो लोगों को अनुभवी नेतृत्व के नाम पर बांधे रखता है। विज के पास एक्सपर्टिज है, लेकिन उसकी एक्सपर्टिज भी अब ओल्ड स्कूल हो चुकी है। आज के युवाओं को डिजिटल राजनीति चाहिए, न कि फाइल्स और फोन कॉल्स की राजनीति। जमीनी तथ्य? जमीन तो अब डेटा पर चलती है।
yash killer
कांग्रेस को झटका नहीं बल्कि चेतावनी मिली है और अगर अब भी वो बूढ़े लोगों के नाम से चुनाव लड़ते रहे तो अगली बार उनका नाम ही इतिहास में दफन हो जाएगा भारत के राजनीतिक नक्शे से