Soumya हत्याकांड का दोषी जेल से फिल्मी अंदाज में भागा

केरल के कन्नूर सेंट्रल जेल की सबसे सुरक्षित बैरकों में बंद एक अपराधी ने पूरे प्रदेश के सुरक्षा इंतजामों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। Soumya बलात्कार और हत्या मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा गोविंदचामी 25 जुलाई 2025 की सुबह इस उच्च सुरक्षा जेल से नाटकीय ढंग से फरार हो गया। जिस सफाई और योजना के साथ गोविंदचामी ने भागने की कोशिश की, उसने जेल प्रशासन की नींद उड़ा दी।

गोविंदचामी ने अपने साथी कैदियों के कपड़ों से खुद ही एक मजबूत रस्सी तैयार की। हथियार के तौर पर उसने छिपाकर रखी ब्लेड का इस्तेमाल किया और अपनी बैरक की लोहे की रॉडों को काट डाला। फिर वह फुर्ती से जेल की दीवार फांदता हुआ बाहर आ गया। सुबह करीब 4:15 बजे से 6:30 बजे के बीच वह परिसर से बाहर निकल चुका था। हैरानी की बात है कि 5:30 बजे जेल के भीतर कैदियों की गिनती के दौरान भी अफसरों को उसका नदारद होना नजर नहीं आया।

फिल्मी अंदाज में भागा, फिर 6.5 घंटे में गिरफ्तारी

आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों में गोविंदचामी सफेद शर्ट और काले पैंट में नजर आया। उसके बाएं हाथ में विकलांगता है, जो उसने कपड़े से छिपा रखा था ताकि लोग पहचान न सके। जेल से बाहर निकलने के बाद उसका इरादा तिरुवनंतपुरम होते हुए तमिलनाडु पहुंचने का था। फरारे के दौरान उसने गुरुवायूर इलाके से भागने की कोशिश की, लेकिन आसपास की जगह की सही जानकारी न होने के कारण वह छुपने की जगह तलाशता रहा।

सुबह जब आसपास के इलाके में हलचल मची तो 3 किलोमीटर दूर तालाप गांव के कुछ लोगों ने एक संदिग्ध व्यक्ति को एक पुराने सूखे कुएं में छुपा देखा। उसके न्यूज में फोटो देखकर पहचानते ही निवासियों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस टीम ने स्थानीय लोगों की मदद से 10:15 से 10:40 के बीच छह घंटे की कड़ी तलाश के बाद उसे वहीं से पकड़ लिया।

पकड़े जाने के बाद गोविंदचामी से लंबी पूछताछ हुई। पुलिस को उसने बताया कि उसका इरादा रास्ते में चोरी-डकैती कर भागने का था। साथ ही उसने माना कि वह अपनी शैली और योजना के कारण पुलिस को गच्चा देने की सोच रहा था।

इधर, पूरे मामले के बाद सुरक्षा में भारी चूक सामने आई। जेल प्रशासन की बड़ी लापरवाही उजागर हुई। चार जेल अधिकारियों को तत्काल सस्पेंड कर दिया गया। अब इस बात की जांच हो रही है कि आखिरकार उन तक रस्सी, ब्लेड जैसे सामान पहुंचे कैसे। साथ में इस बात पर भी सवाल उठ रहे हैं कि गिनती के बावजूद उसका जेल से गायब होना कैसे नजरअंदाज हो गया?

गोविंदचामी के साथ बंद रहे उसके सेलमेट सुरेश (तमिलनाडु) से भी पुलिस गहन पूछताछ कर रही है। सुरेश की भूमिका, मदद आदि की जांच जारी है। फिलहाल गोविंदचामी को कोर्ट में पेश कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

Subhranshu Panda

मैं एक पेशेवर पत्रकार हूँ और मेरा मुख्य फोकस भारत की दैनिक समाचारों पर है। मुझे समाज और राजनीति से जुड़े विषयों पर लिखना बहुत पसंद है।

5 टिप्पणि

  • Saurabh Singh

    Saurabh Singh

    ये जेल नहीं, बल्कि एक फिल्म का सेट लग रहा है। ब्लेड से लोहे की छड़ें काटना? रस्सी बनाना? ये तो बॉलीवुड के किरदार हैं, न कि असली कैदी। जेल अधिकारी इतने नींद में क्यों हैं? क्या वो भी एक ड्रामा देख रहे थे?

  • Mali Currington

    Mali Currington

    अरे भाई, जेल से भागने के बाद एक कुएं में छुप जाना... ये तो बहुत स्मार्ट है। मैं तो सोचती थी कि वो ट्रेन से तमिलनाडु भाग जाएगा, ना कि अपनी विकलांगता को छिपाने के लिए एक सूखे कुएं में घुस जाए। ये लोग अपने ब्रेन का इस्तेमाल करना भूल गए।

  • INDRA MUMBA

    INDRA MUMBA

    इस मामले में सुरक्षा की लापरवाही एक ओर है, लेकिन एक और बड़ी बात ये है कि जेल सिस्टम अभी भी रिहाबिलिटेशन के बजाय रिप्रेशन पर फोकस कर रहा है। जब तक हम अपराधियों को इंसान नहीं समझेंगे, तब तक ऐसे इवेंट्स दोहराएंगे। ब्लेड, रस्सी, लोहे की छड़ें - ये सब उसकी बुद्धि के परिणाम हैं, न कि उसकी बुराई के। हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि ये सामग्री कैसे पहुंची? क्या जेल में बाहरी संपर्क की जांच ही नहीं होती? ये एक सिस्टमिक फेलियर है, न कि किसी एक आदमी की चालाकी।

  • Anand Bhardwaj

    Anand Bhardwaj

    कुएं में छुपने वाले ये लोग अपने आप को बहुत इंटेलिजेंट समझते हैं। लेकिन अगर तुम जेल से भागे हो तो शायद थोड़ा और स्मार्ट तरीका चुनना चाहिए था। जैसे कि एक बस में चढ़ जाना, न कि एक गांव के कुएं में छिप जाना। ये तो बस एक नाटक है, जिसमें सब अपना रोल अच्छे से निभा रहे हैं।

  • Rishabh Sood

    Rishabh Sood

    इस घटना के माध्यम से हमें एक गहरा सामाजिक प्रश्न उठता है: क्या हमारी संस्थाएं अपराध को दंड देने के लिए हैं, या उसे बदलने के लिए? गोविंदचामी ने जो योजना बनाई, वह एक अत्यंत जटिल, तार्किक, और तकनीकी रचना है - यह उसकी बुद्धिमत्ता का साक्ष्य है। लेकिन यह बुद्धिमत्ता किस दिशा में निर्देशित हुई? एक अपराधी के रूप में, न कि एक निर्माता के रूप में। जब हम व्यक्तियों को उनके अपराध के आधार पर एकल व्यक्तित्व में सीमित कर देते हैं, तो हम उनकी संभावनाओं को नष्ट कर देते हैं। इसलिए, यह घटना केवल एक भागने की कहानी नहीं है - यह एक दर्पण है, जो हमारी संस्थाओं की असमर्थता को दर्शाता है।

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