क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने रचा नया इतिहास
फुटबॉल की दुनिया में एक और मील का पत्थर स्थापित करते हुए, क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने सऊदी प्रो लीग में ऑल-टाइम स्कोरिंग रिकॉर्ड तोड़ दिया है। 39 साल के इस लीजेंड ने अपने अंतिम मैच में दो गोल कर यह असाधारण उपलब्धि हासिल की। इसी के साथ, उन्होंने सीजन में कुल 35 गोल किए, जिससे उन्होंने अब्देराज़ाक हमदाल्लाह के 2019 में बनाए गए 34 गोल के रिकॉर्ड को तोड़ दिया।
रोनाल्डो के इस प्रदर्शन ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि वे क्यों दुनिया के सबसे महान गोल स्कोररों में गिने जाते हैं। इस नये रिकॉर्ड के साथ रोनाल्डो ने अपने कुल क्लब गोल की संख्या को 763 तक ले जाया है, जिसमें से 48 गोल उन्होंने अल नास्र के लिए खेलते हुए सऊदी प्रो लीग में किए हैं।
रोनाल्डो का अब तक का सफर
पुर्तगाल के इस महान फुटबॉलर ने अपने करियर की शुरुआत मैनचेस्टर यूनाइटेड से की थी और बाद में रियल मैड्रिड और युवेंटस के लिए खेलते हुए नये रिकॉर्ड स्थापित किए। उन्होंने अपने करियर में मात्र गोल की संख्या ही नहीं, बल्कि कई चैंपियंस लीग, ला लीगा और सीरी ए टाइटल्स भी जीते हैं।
अल नास्र में अपने समय के दौरान भी रोनाल्डो ने यह दिखाया है कि उम्र उनके लिए महज एक संख्या है। 763 गोल का आंकड़ा पार करना किसी भी स्थिति में आसान नहीं होता, लेकिन रोनाल्डो ने इसे अपनी निर्बाध मेहनत और संकल्प की बदौलत संभव किया है।
सऊदी प्रो लीग में अपने कॉन्ट्रिब्यूशन से उन्होंने न केवल अपनी टीम को सफल बनाया बल्कि लीग की लोकप्रियता को भी बढ़ावा दिया है।
सऊदी प्रो लीग में बदलाव
क्रिस्टियानो रोनाल्डो का अल नास्र में आने के बाद से, सऊदी प्रो लीग की पॉपुलैरिटी में काफी इजाफा हुआ है। फैंस और फुटबॉल विशेषज्ञों का ध्यान इस लीग की ओर आकर्षित हुआ है, जिससे लीग के स्तर में भी सुधार देखा गया है।
रोनाल्डो की इस लीग में भागीदारी ने यहां खेल रहे युवाओं के लिए एक प्रेरणा का काम भी किया है। उन्होंने दिखाया है कि किसी भी स्तर पर खेला जा सकता है और बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
इन सब बातों के बीच, जो बात सबसे खास है, वह यह कि रोनाल्डो ने न केवल गोल किए, बल्कि अपने टीम के बाकी खिलाड़ियों को भी प्रेरित किया। उनके अनुभव और कौशल का लाभ उनकी टीम को लगातार मिल रहा है।
फुटबॉल की दुनिया पर रोनाल्डो का प्रभाव
क्रिस्टियानो रोनाल्डो के इस नये रिकॉर्ड से यह साफ हो गया है कि वे फुटबॉल की दुनिया के महानतम खिलाड़ियों में से एक हैं। उनके इस योगदान को फुटबॉल इतिहास हमेशा याद रखेगा।
उनके गोल स्कोर करने की क्षमता, खेल के प्रति उनकी निष्ठा और उनके अद्वितीय स्टाइल ने उन्हें दुनियाभर के फैंस का चहेता बना दिया है।
रोनाल्डो का यह रिकॉर्ड निश्चित ही आने वाले समय में खिलाड़ियों के लिए एक मानक की तरह काम करेगा। उनके द्वारा स्थापित किये गये मानक और लक्ष्य युवाओं को आगे बढ़ने और उच्चतम स्तर पर प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
rohit majji
ये तो बस बात ही नहीं है भाई... 763 गोल? ये तो कोई फुटबॉल नहीं, ये तो एक एल्गोरिथम है जो गोल बनाने के लिए बनाया गया है। रोनाल्डो के बाद अब कोई भी खिलाड़ी अपने आपको 'महान' कहे तो बस बहाना होगा।
Uday Teki
बहुत बढ़िया 😍 मैंने भी आज सुबह अपने बेटे को रोनाल्डो का वीडियो दिखाया... उसने कहा 'पापा, मैं भी ऐसा बनूंगा!' 🙌 उम्र बस एक नंबर है भाई, दिल जितना जले तो गोल भी उतने ही बनेंगे 💪
Haizam Shah
अरे यार ये सब बकवास है। रोनाल्डो बहुत बढ़िया है, लेकिन अब इसे देवता बना रखा है। क्या ये लीग अच्छी है? क्या ये गोल उसी तरह के मूल्य के हैं जैसे यूईएफए में? अब तो बस ट्रैफिक बढ़ाने के लिए ये सब बनाया जा रहा है।
Vipin Nair
इंसानी सीमाओं को चुनौती देने का ये एक उदाहरण है। रोनाल्डो ने न सिर्फ गोल किए बल्कि ये दिखाया कि निरंतरता क्या होती है। ये बस एक खिलाड़ी नहीं, ये एक अभ्यास है। उम्र नहीं, आदतें तय करती हैं। और हाँ, लीग का स्तर बढ़ा है। अगर एक ऐसा खिलाड़ी आ जाए तो लीग भी बदल जाती है।
Ira Burjak
अरे भाई तुम सब ये क्या बोल रहे हो? ये तो बस एक खिलाड़ी है, जो अपने काम को बहुत अच्छे से करता है। बस इतना ही। अब इसे देवता बनाने की जरूरत नहीं। और हाँ, वो गोल जो उसने किए, उनमें से 48 अल नास्र के लिए हैं... अब तो लीग भी उसके नाम पर चल रही है। 😏
Shardul Tiurwadkar
रोनाल्डो ने जो किया, वो कोई आम आदमी नहीं कर सकता। लेकिन देखो ये कैसे बातें बन रही हैं... एक बार जब एक बड़ा खिलाड़ी आ जाता है, तो हर कोई उसे बहुत बड़ा बना देता है। वैसे भी, अगर ये लीग इतनी अच्छी है तो क्यों नहीं भारतीय खिलाड़ियों को भी इसमें जगह मिल रही? क्या रोनाल्डो के बिना हम भी नहीं खेल सकते?
Abhijit Padhye
सुनो लोगों, रोनाल्डो के 763 गोल के बारे में बात कर रहे हो लेकिन क्या किसी ने ये देखा कि उसके गोल का 60% पेनल्टी है? और ये लीग जिसमें वो खेल रहा है, उसकी बच्चों की टीम के गोलकीपर से भी बेहतर बच्चों की टीम भारत में है। अब तो ये सब एक बड़ा मार्केटिंग ट्रिक है। असली फुटबॉल क्या है? वो तो जब बच्चे गली में खेलते हैं और जूते खो जाते हैं।