प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में यह बताया कि सरकार और भी कर सुधारों की दिशा में काम कर रही है, खासकर GST 2.0 के बाद। 22 सितंबर 2025 को लागू किए गए दो‑स्लैब मॉडल (5% और 18%) ने पहले के चार‑स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) को पूरी तरह बदल दिया था। इस बदलाव से कर प्रणाली को सस्ता, आसान और growth‑friendly बनाने की सरकार की सोच साफ़ झलकती है।
GST 2.0 के मुख्य बिंदु
नए ढाँचे के तहत सभी वस्तुओं को या तो 5% या 18% टैक्स दिया गया। कुछ विशेष वस्तुएँ जैसे सिगरेट और तंबाकू पर पुरानी दरें लागू रहेंगी, जब तक कि सभी ऋण और ब्याज की भरपाई नहीं हो जाती। इस बदलाव को GST काउंसिल के सभी सदस्यों की सहमति से तय किया गया, जिसका मुख्य मकसद उपभोक्ता, MSME और निर्माताओं को राहत देना था।
साथ ही, डिजिटल फ़ाइलिंग, तेज़ रिफंड और बेहतर कैश‑फ्लो जैसी सुविधाओं से व्यापारियों का बोझ काफी कम हुआ है। राज्य राजस्व भी इस नई प्रणाली से मजबूती पा रहा है, क्योंकि कर संग्रह में पारदर्शिता बढ़ी है।

आगे के कर सुधार की संभावना
मोदी ने संकेत दिया कि यह सिर्फ एक शुरुआत है। भविष्य में और भी कर घटाव, स्लैब में बदलाव और आसान रिटर्न प्रक्रिया लाने की योजना है। उनका कहना है कि सरकार लगातार कर संरचना को सरल बनाकर आम आदमी के हाथ में अधिक पैसा पहुंचाने की कोशिश कर रही है।
ऑटोमोबाइल सेक्टर में तो पहले ही बड़े‑बड़े दाम में कटौती देखी गई है। नीचे कुछ प्रमुख ब्रांड्स की कीमतों में हुए बदलाव की सूची दी गई है:
- हैचबैक कारों में औसत कटौती लगभग ₹40,000
- प्रीमियम लक्ज़री SUVs में कटौती ₹30 लाख तक
- महिंद्रा के मॉडल्स में कीमत में ₹1.56 लाख की गिरावट
- होनडा, टोयोटा आदि ने भी समान राहत दी है
इलेक्ट्रॉनिक्स और जरूरी सामानों में भी कीमतें कम हुई हैं, जिससे मध्यवर्गीय परिवारों की आम खर्ची में राहत मिली है। किसानों, स्वास्थ्य सेक्टर और लेबर‑इंटेंसिव इंडस्ट्रीज़ को विशेष लाभ देने के लिए भी नीतियों में बदलाव किए गए हैं।
इन सभी कदमों का उद्देश्य एक ऐसा कर माहौल बनाना है, जहाँ छोटे व्यवसायों को आसानी से पूंजी जुटाने का अवसर मिले और उपभोक्ता की ख़रीद शक्ति बढ़े। जब तक सभी ऋण और ब्याज की बोझ नहीं हटती, तब तक कुछ विशेष वस्तुओं पर मौजूदा दरें बरकरार रहेंगी, पर बाकी सभी क्षेत्रों में क्रमिक सुधार की उम्मीद है।