कोरियन ड्रामा 'द ट्रंक' की प्रतीक्षित फिल्में नेटफ्लिक्स पर
कोरियन ड्रामा सीरीज 'द ट्रंक' की लंबे समय से प्रतीक्षा करने वाले दर्शकों के लिए खुशखबरी है, क्योंकि यह 29 नवंबर 2024 को नेटफ्लिक्स पर रिलीज होने जा रही है। सीरीज में प्रसिद्ध कलाकार स्यो ह्युन जिन और गोंग यू मुख्य भूमिकाओं में हैं। यह सीरीज किम क्यू-ताए के निर्देशन में बनी है, जिसकी पटकथा पार्क यूं-यंग ने लिखी है। 'द ट्रंक' का किम रयो-रयोन्ग के उपन्यास से अनुकूलन किया गया है।
सीरीज की कहानी और पृष्ठभूमि
'द ट्रंक' की कहानी एक कंपनी में कार्यरत एक सुविधा सेवा प्रदाता, इन-जी (स्यो ह्युन जिन) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो निश्चित अवधी के विवाहों के बंधन में बाँधने में माहिर है। इस कहानी में इन-जी की मुलाकात जंग-वोन (गोंग यू) से होती है, जो एक अंतर्दृष्ट संगीत निर्माता है, और अपनी पत्नी की मृत्यु को समझने की कोशिश कर रहा है। इस सीरीज में प्रेम, करुणा, जुनून और अकेलेपन की भावनाओं का जटिल विश्लेषण किया गया है।
प्रमुख थीम और विषय वस्त्र
कोरियन ड्रामा 'द ट्रंक' दर्शकों को मानव संबंधों, भावनात्मक जटिलताओं और चरित्रों की मानसिक चुनौतियों में गहराई से ले जाएगा। ठेके के विवाह और उससे उत्पन्न हुए संबंधों को प्रस्तुत करते हुए, यह सीरीज प्रेम, इच्छा और अकेलेपन के घिराव को प्रभावी तरीके से चित्रित करती है। सीरीज के सभी आठ एपिसोड 29 नवंबर 2024 को 5 बजे KST (1:30 PM IST) पर उपलब्ध होंगे।
दर्शकों के लिए खास पेशकश
सिनेमाई दृष्टि से 'द ट्रंक' में निर्देशन और अभिनय का उत्कृष्ट संयोजन है, जिससे हर पात्र की कहानी को गहराई से छुआ जा सकता है। स्यो ह्युन जिन की संवेदनशील अदाकारी और गोंग यू की गंभीर प्रस्तुति, दोनों ही इस सीरीज को अपनी छाप देने में सफल रहे हैं। निर्माता और निर्देशक की जोड़ी ने कहानी को भावनात्मक गहराई तक पहुंचाने का सफल अनुभव दिया है।
हर एपिसोड में आपको प्यार और करुणा के विभिन्न पहलू देखने को मिलेंगे जो दर्शकों के दिलो-दिमाग में छाप छोड़ जाएंगे। शो की शूटिंग और साउंडट्रैक का भी विशेष रूप से ध्यान रखा गया है, जो दर्शकों को अनुभव के प्रत्येक क्षण का एहसास कराता है।
देखने का अनुभव
देखने वाले इस नाटक की शुरुआत से ही पात्रों के जटिल संबंधों से जुड़े रहेंगे। कहानी का हर मोड़ एक नए रहस्य को खोलता है, जो दर्शकों को बांधे रखता है। उनका संबंध कार्यक्रमों की साधारण से परे जटिलता को प्रकट करता है। 'द ट्रंक' की कथा आपको वाकई में ध्यान केंद्रित करने पर मजबूर करती है ताकि आप इसके चरित्रों के बीच अव्यक्त संवाद को समझ सकें।
अन्ततः, यदि आप सोप ओपेरा शैली की कहानी और महान अभिनता के प्रशंसक हैं, तो 'द ट्रंक' आपके लिए समय की एक विशेष यात्रा सार्थक कर सकती है। पहले से ही इसकी चर्चा है और दर्शक इसके अनुभव को साझा करने के लिए तैयारी में हैं। यह आगामी धुनक होगी निश्चित ही उन सभी के लिए जो मानवीय भावनाओं को समझने में गहरी रुचि रखते हैं।
Anand Bhardwaj
ये वाला ट्रंक तो सिर्फ एक बक्सा है, लेकिन इसमें कितना दर्द भरा हुआ है वो तो सिर्फ वो जानते हैं जिन्होंने अपनी पत्नी को खोया है।
INDRA MUMBA
इस सीरीज़ में जो इमोशनल लेयरिंग है, वो तो एक ऑपेरा की तरह है - जैसे एक बार तांबे के बर्तन में चीनी का घोल उबल रहा हो, और फिर उसमें लवकारी का तेल डाल दिया जाए। ये इन-जी और जंग-वोन का रिश्ता तो एक फ्रैक्टल जैसा है, जिसका हर जनरेशन अपना एक नया अर्थ निकालता है। निर्देशन में भी एक डिजिटल सुफी पैटर्न है - जैसे कोई बैंगनी बादल अचानक बारिश के बिना गिर जाए।
RAJIV PATHAK
अरे भाई, ये सब तो बस एक बाहरी लुक की चाल है। असली ड्रामा तो वो है जब तुम अपनी माँ के साथ चाय पीते हो और उसका चेहरा देखकर समझ जाते हो कि वो कभी तुम्हें नहीं छोड़ेगी। ये सीरीज़ तो एक नेटफ्लिक्स का ब्रांडेड लुक बेच रही है।
Nalini Singh
मैं यह बताना चाहूँगी कि यह सीरीज़ भारतीय सांस्कृतिक संदर्भ में भी अत्यंत प्रासंगिक है। विवाह के बंधन के तहत छिपे व्यक्तिगत दर्द को उजागर करने का यह एक अद्भुत प्रयास है। विशेष रूप से जब एक समाज जहाँ भावनाओं को दबाया जाता है, वहाँ इस तरह की कहानी का असर गहरा होता है।
Sonia Renthlei
मुझे लगता है कि इस सीरीज़ की सबसे बड़ी बात ये है कि ये दर्शक को अकेलेपन के उस गहरे अंधेरे में ले जाती है जहाँ शब्द नहीं, बल्कि सांसों की गहराई बात करती है। जब जंग-वोन अपनी पत्नी के फोटो को छूता है और उसकी आँखों में एक ऐसी चमक आती है जो न तो रोने की है और न ही मुस्कान की - वो तो एक अस्तित्व का शोक है। और फिर इन-जी का वो एक दिन का रास्ता, जहाँ वो बस एक ट्रंक लेकर चलता है और उसके अंदर की हवा का बदलना... ये तो एक जीवन का रहस्य है। मैंने तीन बार देखा, हर बार कुछ नया महसूस हुआ।
Aryan Sharma
ये सब झूठ है। ये नेटफ्लिक्स के लिए बनाया गया है ताकि भारतीय लोग अपनी बेटियों को बाहरी दुनिया की तरफ खींच सकें। ये सीरीज़ तो कोरियन सरकार का प्रचार है। वो लोग तो हर चीज़ में बाहरी भावनाओं को डाल देते हैं ताकि हम उनके बाजार में आ जाएं।
Devendra Singh
अरे ये तो बस एक बार देखने लायक है। अगर तुम अभी भी इसे 'कलात्मक' कह रहे हो, तो तुम्हारा टेस्ट फेल हो गया। ये तो बस एक शो है जिसमें दो अभिनेता बहुत अच्छे हैं। बाकी सब बस बातों का बहाना है।
UMESH DEVADIGA
मैंने इसे देखा, और फिर मैंने अपनी पत्नी को याद किया। उसके बाद मैंने अपनी बेटी को गले लगाया। और फिर मैंने अपने आप को देखा। ये शो तो तुम्हारे अंदर के दर्द को निकाल देता है। बिना किसी बात के। तुम बस रो देते हो। और फिर तुम्हें लगता है कि तुम अकेले नहीं हो।
Roshini Kumar
लोग ये कह रहे हैं कि ये शो गहरा है... लेकिन अगर तुम वाकई गहराई चाहते हो तो तुम्हें अपनी दादी के घर के बर्तन धोने जाना चाहिए। वहाँ तो दर्द बिना एडिटिंग के होता है। ये शो तो बस फिल्मी ड्रामा है जिसमें गलत वर्तनी है - 'ट्रंक' नहीं 'ट्रंक' लिखा है।
Siddhesh Salgaonkar
अरे ये तो बस एक बार देख लो... फिर बाकी लोगों को देख लो। 😍 ये शो तो दिल को छू जाता है... और फिर तुम अपने घर के बाहर जाकर देखते हो कि क्या तुम्हारे पास भी कोई ट्रंक है... 🥲💔
Arjun Singh
इसमें जो लाइटिंग है, वो तो एक फिल्मोग्राफी जैसा है - जैसे कोई डॉक्यूमेंट्री बनाने वाला भूल गया हो कि वो फिक्शन बना रहा है। और ऑडियो - वो तो एक एम्बिएंट साउंड लाइब्रेरी से निकला हुआ है। बस अभिनय तो बेहतरीन है।
yash killer
भारत की आत्मा को ये शो छू नहीं सकता जब तक हम अपने घरों में नहीं बैठेंगे और अपने बच्चों को नहीं सिखाएंगे कि अकेलेपन एक बीमारी है न कि एक कला। ये नेटफ्लिक्स का अंग्रेजी विषय है। हमारी भाषा में ये शब्द नहीं हैं।