भारतीय निशानेबाजी को मिला नया सितारा: मन्‍नू भाकर

भारतीय खेल जगत में एक नया नाम तेजी से उभर रहा है - मन्‍नू भाकर। यह नाम विशेष योद्घा की तरह हमारे मन में गूंज रहा है, जब उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में महिला 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट के फाइनल में अपनी जगह बनाई। मन्‍नू का प्रदर्शन उस समय आया जब अन्य भारतीय निशानेबाज संघर्ष कर रहे थे।

टोक्यो ओलंपिक में मन्‍नू का प्रदर्शन

टोक्यो ओलंपिक के क्वालिफिकेशन राउंड में मन्‍नू भाकर ने 582 अंक हासिल कर सातवें स्थान पर रहते हुए फाइनल में प्रवेश किया। यह उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। टोक्यो ओलंपिक में भारतीय शूटिंग दल के लिए यह एक राहत भरी खबर है, खासतौर पर तब जब टीम ने शुरुआती मुकाबलों में विशेष सफलता नहीं पाई थी।

मन्‍नू का प्रदर्शन और संभावनाएं

मन्‍नू भाकर की इस सफलता ने न केवल उनके करियर को नई ऊंचाई पर पहुंचाया है, बल्कि भारत के लिए भी उम्मीद की नई किरण जगा दी है। 19 साल की इस युवा निशानेबाज ने अपनी उत्कृष्ट प्रदर्शन क्षमता का परिचय दिया और दर्शाया कि भारतीय निशानेबाजी का भविष्य सुरक्षित हाथों में है। उनकी इस उपलब्धि ने भारतीय खेल प्रेमियों के मन में नई ऊर्जा भर दी है।

मन्‍नू भाकर का व्यावसायिक सफर

मन्‍नू भाकर का व्यावसायिक सफर

भाकर ने अपने जूनियर करियर में ही कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन कर अनेक पदक जीते हैं। इनमें मैक्सिकों में हुई ISSF वर्ल्ड कप और ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में मिले स्वर्ण पदक प्रमुख हैं। मन्‍नू की सफलता का मुख्य कारण उनकी बचपन से ही शूटिंग में दिलचस्पी और उनके पिता का प्रोत्साहन रहा है। उनके पिता ने मन्‍नू के शूटिंग की शुरुआत के लिए ₹1,50,000 का निवेश किया था।

COVID-19 के दौरा में चुनौतियां और तैयारी

कोविड-19 महामारी के दौरान मन्‍नू भाकर के लिए तैयारी करना एक चुनौतीपूर्ण समय था, लेकिन उन्होंने इन मुश्किलों का सामना करते हुए अपनी तकनीक को निखारा और छलांग लगाई। महामारी के बावजूद, मन्‍नू ने अपने ध्येय को बनाए रखा और नियमित प्रशिक्षण के माध्यम से अपनी योग्यता को और मजबूत किया। उन्होंने मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से खुद को तैयार रखा, जो काबिल-ए-तारीफ है।

मन्‍नू की यात्रा और भविष्य

मन्‍नू की यात्रा और भविष्य

मन्‍नू भाकर का यह सफर वास्तव में प्रेरणादायक है। एक छोटे से गांव से निकल कर विश्व मंच पर अपनी छाप छोड़ना आसान काम नहीं है, लेकिन मन्‍नू ने अपनी मेहनत, समर्पण और दृढ़ संकल्प से यह मुमकिन कर दिखाया है। उनके इस सफर में कई चुनौतियां आईं, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। मन्‍नू ने न केवल अपनी शूटिंग स्किल्स को विकसत किया है, बल्कि भारतीय खेलों में एक नई मिसाल कायम की है। भविष्य में उनसे और भी बड़ी उपलब्धियों की उम्मीद की जा रही है।

समापन

मन्‍नू भाकर का टोक्यो ओलंपिक में शामिल होना न केवल उनके व्यक्तिगत करियर के लिए बल्कि भारत के लिए भी एक बड़ा गौरव है। उनके इस ऐतिहासिक प्रदर्शन ने लाखों युवा खिलाड़ियों को प्रेरित किया है और भारतीय निशानेबाजी में एक नई ऊर्जा का संचार किया है। उनकी यह उपलब्धि इस बात का संकेत है कि सही समर्थन और मेहनत से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। हम मन्‍नू को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हैं और आशा करते हैं कि वे और भी ऊचाइयों को छुएं।

Subhranshu Panda

मैं एक पेशेवर पत्रकार हूँ और मेरा मुख्य फोकस भारत की दैनिक समाचारों पर है। मुझे समाज और राजनीति से जुड़े विषयों पर लिखना बहुत पसंद है।

13 टिप्पणि

  • ADI Homes

    ADI Homes

    बहुत अच्छा हुआ ये। इतनी छोटी उम्र में इतना कर दिखाना तो बहुत बड़ी बात है।

  • sarika bhardwaj

    sarika bhardwaj

    इस लड़की ने तो सिर्फ एक पदक नहीं जीता... ये तो भारत के खेलों की आत्मा को जगा दिया! 🌟💪🇮🇳

  • Dr Vijay Raghavan

    Dr Vijay Raghavan

    ये सब बकवास है। अगर हमारी सरकार ने सही तरीके से पैसे लगाए होते, तो हमारे खिलाड़ी पहले से ही गोल्ड लेकर आ चुके होते। अब एक लड़की के आधार पर नाराजगी छिपाने की कोशिश क्यों?

  • Partha Roy

    Partha Roy

    mnnu bhaakar ki kahani sun ke lagta hai ki hum sabhi ko apni kismat pe bharosa karna chahiye... par kya karein jab system hi toot raha hai? 🤷‍♂️

  • Chirag Desai

    Chirag Desai

    सच में इस लड़की की मेहनत देखकर लगता है कि टैलेंट से ज्यादा लगन जरूरी है।

  • Kamlesh Dhakad

    Kamlesh Dhakad

    मैंने उसका एक इंटरव्यू देखा था। वो बोल रही थी कि उसके पिता ने अपनी बचत से बंदूक खरीदी थी। ये तो दिल को छू गया।

  • Shubham Yerpude

    Shubham Yerpude

    यह सब एक बड़ी राजनीतिक धोखेबाजी है। ये लड़की किसी बड़े खेल कंपनी की फैक्ट्री से निकली है। उसके पिता का नाम भी फेक है। आप सब बहुत आसानी से भरोसा कर लेते हैं।

  • Abhi Patil

    Abhi Patil

    अगर हम इस घटना को एक फिलॉसोफिकल लेंस से देखें, तो यह एक अलौकिक अस्तित्व की अभिव्यक्ति है - एक व्यक्ति जो अपने आत्म-साक्षात्कार के माध्यम से राष्ट्रीय आत्मा को पुनर्जीवित कर रहा है। यह तो बस एक निशानेबाजी नहीं, यह तो एक ब्रह्मांडीय अभिनय है।

  • NEEL Saraf

    NEEL Saraf

    मन्नू की यात्रा देखकर लगता है कि गाँव की मिट्टी में भी तो विश्व के लिए निकल सकता है... बस थोड़ा सा विश्वास चाहिए था।

  • Ashwin Agrawal

    Ashwin Agrawal

    मैंने उसके प्रशिक्षक के साथ बात की थी। वो बोले कि वो दिन में 6 घंटे तक फोकस करती है। बिना एक बार भी बात न करे। ये तो दिल छू गया।

  • Hemant Kumar

    Hemant Kumar

    अगर हर गाँव में ऐसे बच्चों को लगातार समर्थन मिले, तो भारत के लिए ओलंपिक एक अपेक्षा नहीं, बल्कि एक नियम बन जाएगा।

  • Hardeep Kaur

    Hardeep Kaur

    मैंने भी अपने बेटे को शूटिंग सिखानी शुरू कर दी है। अगर मन्नू ये कर सकती है, तो मेरा बेटा भी कर सकता है।

  • Devi Rahmawati

    Devi Rahmawati

    इस उपलब्धि के पीछे केवल व्यक्तिगत समर्पण नहीं, बल्कि एक ऐसे शिक्षा प्रणाली का अस्तित्व है जो अभी भी अनदेखा है। हमें इसे रिकॉर्ड करना चाहिए, न कि बस उत्साहित होना।

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