पेंसिल्वेनिया रैली में ट्रम्प पर हमले के आरोपी थॉमस मैथ्यू क्रुक्स के बचपन की कहानी

थॉमस मैथ्यू क्रुक्स, जो पेंसिल्वेनिया रैली में डोनाल्ड ट्रम्प पर हमले के आरोपी थे, उनका जीवन समस्याओं से भरा हुआ था। 20 वर्षीय क्रुक्स अपने सहपाठियों द्वारा अक्सर बुली किए जाते थे और उनके जीवन में बहुत कम दोस्त थे। क्रुक्स ने हाल ही में 2022 में बेतल पार्क हाई स्कूल से स्नातक किया था।

हाई स्कूल के समय से ही, थॉमस क्रुक्स का जीवन कठिनाइयों से भरा था। उन्हें गेंद खेलने वाले बच्चों से लेकर स्कूल के सबसे लोकप्रिय छात्रों तक सभी ने तंग किया। उनके सहपाठियों ने उन्हें एक एकाकी के रूप में वर्णित किया, जो आमतौर पर शिकार होता था। उन्होंने कक्षाओं में शिकारियों के कपड़े पहने थे, जो शायद उनके अलगाव और संघर्ष को दर्शाता था।

राजनीतिक दृष्टिकोण में बदलाव

राजनीतिक दृष्टिकोण में बदलाव

2021 में, जब राष्ट्रपति जो बाइडेन का उद्घाटन हुआ, तो क्रुक्स ने अचंभे में डाल दिया। उन्होंने उस दिन उदारवादी संगठन ActBlue को दान किया। लेकिन उनके 18 वर्ष के होने पर, क्रुक्स ने अपना पंजीकरण रिपब्लिकन के रूप में कराया, जो उनके पूर्व सहपाठियों के लिए एक बड़ी आश्चर्य की बात थी। यह परिवर्तन उनके राजनीतिक विचारों में अचानक बदलाव को दर्शाता है।

हमले की रात

थॉमस क्रुक्स, जो उस रात ग्रे कपड़े पहने थे, एक निकटवर्ती निर्माण कारखाने की छत पर चढ़े। उनके पास एक AK-स्टाइल राइफल थी, जो उनके पिता से प्राप्त हुई थी। इस हमले की रात में भारी अफरातफरी मच गई। पूर्व स्वयंसेवक अग्निशामक प्रमुख कोरी कंपाराटोरे, 50, की जान गई और डोनाल्ड ट्रम्प को कान पर हल्की सी चोट आई। रैली के दो अन्य प्रतिभागी गंभीर रूप से घायल हो गए और आखिरकार क्रुक्स को सीक्रेट सर्विस द्वारा मार दिया गया।

हमले के बाद, पुलिस ने थॉमस क्रुक्स की कार में खोजबीन की, जो रैली स्थल के पास पार्क की गई थी। कार के अंदर विस्फोटक उपकरण पाए गए, हालांकि अधिकारियों ने अभी तक क्रुक्स के हमले के पीछे के कारणों पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

पारिवारिक प्रतिक्रिया

थॉमस के पिता मैथ्यू क्रुक्स ने इस घटना पर अपनी निराशा और चौंकाने वाले भावनाओं को जाहिर किया। उन्होंने कहा कि वह अपने बेटे के इस ढंग से किए गए कार्य से पूरी तरह से अचंभित थे और उन्हें इस प्रकार की किसी भी हिंसात्मक विचारधारा का कोई संकेत नहीं मिला था।

थॉमस क्रुक्स के इस चरम कदम ने यह सवाल उठाया है कि क्या उनके जीवन में घटी विषम घटनाएं और बुलीिंग के अनुभव उन्होंने इस घटनाओं की ओर धकेला। इसके साथ ही यह भी विचारणीय है कि क्या मनोरोगीय समस्याएं इस तरह के खतरनाक कार्यों के पीछे हो सकती हैं।

समाज और मानसिक स्वास्थ्य

यह घटना समाज में बढ़ रही मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और हिंसात्मक प्रवृत्तियों की ओर ध्यान आकृष्ट करती है। यह महत्वपूर्ण है कि समाज उन व्यक्तियों को समझने और सहारा देने का प्रयास करे जो मानसिक संघर्षों का सामना कर रहे हैं। विद्यालयों, कार्यस्थलों और विभिन्न सामाजिक संगठनों में बुलीिंग, अग्नि हिंसा और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए।

देश में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बेहतर बनाना, बुलीिंग के खिलाफ ठोस कदम उठाना और हथियारों की उपलब्धता पर नियंत्रण अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि किस प्रकार सामाजिक, मानसिक और राजनीतिक कारक मिलकर एक त्रासदी का रूप ले सकते हैं।

समापन

समापन

थॉमस मैथ्यू क्रुक्स द्वारा पेंसिल्वेनिया रैली में किया गया हमला हमारे समाज के उन छुपे हुए पहलुओं को उजागर करता है जिन्हें हमें सामूहिक रूप से समझने और सुधारने की आवश्यकता है। बुलीिंग और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे, व्यक्तियों को समाज से दूर कर सकते हैं और गंभीर परिणाम पैदा कर सकते हैं। हमें इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

Subhranshu Panda

मैं एक पेशेवर पत्रकार हूँ और मेरा मुख्य फोकस भारत की दैनिक समाचारों पर है। मुझे समाज और राजनीति से जुड़े विषयों पर लिखना बहुत पसंद है।

13 टिप्पणि

  • NEEL Saraf

    NEEL Saraf

    ये सब सुनकर दिल टूट जाता है... बचपन से ही उसे तंग किया गया, कोई सुनने वाला नहीं था। अब ये हो गया। बस एक आवाज़ निकल गई, जो कभी नहीं निकल पाई।

  • Ashwin Agrawal

    Ashwin Agrawal

    बुली और अकेलेपन का असर इतना गहरा होता है कि बाद में इंसान खुद को बर्बाद कर लेता है। ये सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी नहीं, पूरे सिस्टम की फेल्योर है।

  • Shubham Yerpude

    Shubham Yerpude

    यह सब एक ग्लोबल कंट्रोल नेटवर्क का हिस्सा है। बुली नहीं, बल्कि डिजिटल माइंड कंट्रोल के लिए एक टेस्ट केस था। उसके पिता भी इसमें शामिल थे। सब कुछ प्लान्ड था।

  • Hardeep Kaur

    Hardeep Kaur

    मैंने अपने दोस्त को ऐसा ही देखा है। वो बहुत शांत था, लेकिन दिल में बहुत कुछ छिपाए हुए था। अगर कोई उसे सुनता, तो शायद ये हुआ ही नहीं होता।

  • Chirag Desai

    Chirag Desai

    ये बस एक और ट्रैजेडी है। बुली नहीं तो क्या होता है? कोई भी नहीं समझता जब तक बहुत बाद तक नहीं हो जाता।

  • Abhi Patil

    Abhi Patil

    इस घटना के पीछे का फिलोसोफिकल डायनेमिक अत्यंत जटिल है। एक व्यक्ति का अस्तित्व एक सामाजिक फ्रेमवर्क के अंतर्गत एक अस्थिर एंट्रॉपी के रूप में विकसित होता है, जिसका अंतिम उत्पाद एक विनाशकारी एक्सप्रेशन है। इसका अर्थ है कि समाज ने अपने आप को विघटित कर दिया है।

  • Devi Rahmawati

    Devi Rahmawati

    क्या हमने कभी सोचा है कि हमारे स्कूलों में एक छात्र के लिए कितना असुरक्षित वातावरण है? हम अक्सर बुली को बचपन की बात समझ लेते हैं, लेकिन ये एक लंबी चोट होती है।

  • Prerna Darda

    Prerna Darda

    ये एक सिस्टमिक फेल्योर है। मानसिक स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ करना, बुली को हल्के में लेना, हथियारों की आजादी देना - ये सब एक टाइम बॉम्ब है। और अब ये फट गया।

  • rohit majji

    rohit majji

    बस एक बार उसके लिए बोल देते तो शायद अब तक जिंदा होता... ये नहीं कि वो बुरा था, बस कोई नहीं था जो उसे बोलने दे रहा होता। 😔

  • Uday Teki

    Uday Teki

    मैंने अपने बचपन में भी ऐसा किया था... बहुत बाद में पता चला कि मैंने किसी को बहुत घायल कर दिया था। अगर कोई मुझे रोकता तो शायद अब भी अच्छा होता। ❤️

  • Haizam Shah

    Haizam Shah

    हम सब इस तरह के लोगों को अपने आसपास रखते हैं और फिर जब कुछ होता है तो चिल्लाते हैं! अब तो बस एक बार आँख खोलो। ये नहीं कि वो खतरनाक है, बल्कि हम अनदेखा कर रहे हैं।

  • Vipin Nair

    Vipin Nair

    मानसिक स्वास्थ्य और बुली दोनों को असली समस्या मानो। बाकी सब बस नतीजे हैं। जब तक जड़ नहीं ठीक होगी, तब तक ये घटनाएं दोहराई जाएंगी।

  • Ira Burjak

    Ira Burjak

    अरे यार, इतना सब लिखा और कोई नहीं बोला कि अगर उसके पिता के पास राइफल नहीं होती तो ये हुआ ही नहीं होता? बुली तो हर जगह है... पर हथियार नहीं होने चाहिए। 😅

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