PKL 12 नीलामी का सारांश
31 मई से 1 जून 2025 तक चली PKL 12 नीलामी ने कबड्डी प्रेमियों को कई आश्चर्यचकित किया। इतिहास में पहली बार दस खिलाड़ियों ने एक करोड़ रुपये का सीमा पार कर ली, जिससे लीग की आर्थिक शक्ति स्पष्ट हुई। सबसे महँगा सौदा गुजरात जायंट्स ने मोहोम्मदरेज़ा शाद्लोई चियाहने को 2.23 करोड़ रुपये में हासिल किया, जबकि दिल्ली के डिवैंक दलाल को बंगाल वारियर्स ने 2.025 करोड़ रुपये पर खरीदा।
इन उच्च दामों के पीछे टीमों की रणनीति में स्पष्ट बदलाव दिखा। युवा, तेज़ और बहुमुखी खिलाड़ी अब फ्रैंचाइज़ियों के मुख्य लक्ष्य बन गए हैं, जबकि पहले के दिग्गजों को केवल तभी चुना जा रहा था जब उनके आँकड़े लगातार शीर्ष पर हों। इस बदलते माहौल ने कई स्थापित सितारों को अनसोल्ड सूची में धकेल दिया।
अनसोल्ड खिलाड़ियों की कहानी और भविष्य
नीलामी में सबसे बड़ा शॉक पारदिप नरवाल के अनसोल्ड रहना था। एक समय कबड्डी के सबसे लोकप्रिय राइडर, जिसने कई सीजन में लीग को रोमांचित किया, अंततः तीन अनसोल्ड राउंड में भी टीमों की सूची में नहीं आया। यह संकेत है कि केवल नाम पहचान अब पर्याप्त नहीं, प्रदर्शन और फिटनेस को प्राथमिकता दी जा रही है।
साहिल गुलिया, जो चार सीजन तक टामिल थलावास का अहम हिस्सा रहे और पिछले सीजन में 31 टैकल पॉइंट्स दर्ज किए, वह भी खरीदार नहीं मिला। रोहित पूनिया, जो 24 टैकल पॉइंट्स के साथ एक स्थिर डिफेंडर माने जाते थे, को भी कोई टीम नहीं मिली। दोनों ही खिलाड़ी अपने पदों में भरोसेमंद थे, पर टीमों ने युवा विकल्पों को अधिक महत्व दिया।
विकास कंदोला की कहानी और भी दिलचस्प है। हरियाणा स्टीलर्स छोड़ने के बाद उनकी फ़ॉर्म घटती गई, और अब वह अनसोल्ड सूची में शीर्ष पर हैं। एक समय के शीर्ष राइडर के रूप में उनकी उम्मीदें अब सवाल में बदल गईं। इसी तरह सद्दार्थ 'बाहुबली' देसाई, जिन्होंने अपने शुरुआती सीजन में पारदिप और पवन सह्रावत के बराबर कहा गया था, आज अनसोल्ड की कतार में हैं। उनकी गिरावट लीग की प्रतिस्पर्धी प्रकृति को दर्शाती है।
अन्य उल्लेखनीय नामों में अभिषेक एस. मानोकरन, जितेन्द्र यादव और संस्कर शामिल हैं, जिन्होंने भी पिछले सत्रों में टीमों को महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इन सभी की अनआवश्यकता का कारण केवल उम्र नहीं, बल्कि कोचिंग स्टाफ की विशिष्ट रणनीतियों और टीमों की खेल शैली में बदलाव भी है।
नीलामी के डेटा से पता चलता है कि फ्रैंचाइज़ी अब ऐसे खिलाड़ी चाहते हैं जो तेज़ रिफ़्लेक्स, वैरायटी और ठोस आँकड़े लाए। चोट से बचाव, स्ट्रैटेजिक राइड और डिफेंस की न्यूरल फिटनेस को प्राथमिकता दी जा रही है। यह रुझान भविष्य में कबड्डी को और अधिक गतिशील और विशेषज्ञीकृत बना सकता है।
इन अनसोल्ड खिलाड़ियों के लिए विकल्प सीमित नहीं हैं। कई खिलाड़ी अब इंडिपेंडेंट ट्रायल्स, इंटरनैशनल टूर्नामेंट या निजी लीग में अपना रास्ता बना रहे हैं। कुछ ने कोचिंग या टीम मैनेजमेंट में कदम रखने की भी योजना बनाई है, जिससे उनका अनुभव नए खिलाड़ियों तक पहुँचता रहता है।
कुल मिलाकर, PKL 12 नीलामी ने यह साबित किया कि कबड्डी सिर्फ शक्ति का खेल नहीं, बल्कि व्यापार, रणनीति और युवा ऊर्जा का संगम है। फ्रैंचाइज़ी का नया मॉडल, जो युवा प्रतिभा को प्राथमिकता देता है, भविष्य में लीग की प्रतिस्पर्धात्मकता को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा।
Aryan Sharma
ये सब नीलामी बस धोखा है भाई, टीमें अपने बॉस के दोस्तों को ही खरीद रही हैं। पारदिप नरवाल को नहीं खरीदा? ये तो षड्यंत्र है, कोई बड़ा बॉस उसे बाहर निकालना चाहता है। मैंने अपने भाई के दोस्त के भाई को बताया था जो लीग में काम करता है, वो बोला था कि डीपीएल वाले बोल रहे हैं कि बड़े खिलाड़ियों को डराना है।
Devendra Singh
अरे भाई, ये सब लोग अभी भी एक्स-फैक्टर और 'नाम' के चक्कर में हैं? टीमों को बस डेटा चाहिए। रोहित पूनिया के 24 टैकल पॉइंट्स? बस एक औसत नंबर है। अगर वो एक राइड में 3 बार डुप्लिकेट टैकल नहीं कर पाया तो वो बेकार है। ये लोग अभी भी 2018 के खेल की बात कर रहे हैं।
UMESH DEVADIGA
मैंने तो पारदिप को देखा था जब वो अपनी नीलामी से ठीक पहले एक इंटरव्यू में बोल रहा था कि 'मैं अभी भी बहुत फिट हूँ'... लेकिन उसकी आँखें थकी हुई थीं। उसके बाद उसका एक वीडियो वायरल हुआ था जहाँ वो गलती से अपना शूज खो देता है और उसे उठाने में 3 सेकंड लग जाते हैं। ये नहीं चलेगा। ये खेल अब जिम में बनता है, न कि घर पर बैठकर।
Roshini Kumar
अनसोल्ड? अरे बेवकूफ, ये तो सब रिटायर हो गए हैं बस। जो लोग अभी भी उनके लिए रो रहे हैं, वो शायद अभी भी एलियन के बारे में बात करते हैं। पारदिप नरवाल के लिए तो एक नया टॉयलेट बना दो और उसे गैर-सक्रिय लीग में डाल दो। अब ये खेल बच्चों का है।
Siddhesh Salgaonkar
ये नीलामी देखकर मेरा दिल टूट गया 😢 बाहुबली देसाई को नहीं खरीदा? वो तो एक देवता थे! अब ये नए बच्चे जो बोलते हैं 'मैं राइड कर रहा हूँ' वो तो बस एक बार दौड़ गए और बैठ गए। ये लीग अब बस एक कॉमर्शियल है। जिसने भी ये फैसला लिया, उसकी आत्मा जल रही है 🔥
Arjun Singh
ये टीमों का नया फॉर्मूला है - फिटनेस + फ्लेक्सिबिलिटी + फ्रेशनेस = फाइनल विनर। पारदिप के जैसे लोगों का डेटा बहुत अच्छा था पर उनका रिकवरी टाइम बहुत लंबा था। अब टीमें एक खिलाड़ी को 12 घंटे में रिकवर करने की उम्मीद करती हैं। ये जिंदगी नहीं, एक एल्गोरिथम है।
yash killer
हमारी जमीन पर खेला जाने वाला खेल अब अमेरिकी बिजनेस मॉडल पर चल रहा है? ये भारत का नहीं है ये तो अमेरिका का खेल है। नरवाल को बाहर कर दिया? अब तो हमारी जड़ें खो रहे हैं। ये लीग अब हमारी नहीं है। हमारे बच्चे अब फुटबॉल खेलेंगे।
Ankit khare
देखो ये नया जमाना है भाई जी जहाँ नाम नहीं बल्कि न्यूरोमस्क्यूलर रिस्पॉन्स टाइम और एनर्जी रिकवरी रेट देखी जाती है। बाहुबली के जैसे लोग तो अब बस एक रिमिंडर हैं कि जब तक तुम टाइम के साथ नहीं बदलते तब तक तुम डूब जाते हो। ये लीग अब एक स्टार्टअप है न कि एक खेल।
Chirag Yadav
सब ठीक है, लेकिन ये जो अनसोल्ड खिलाड़ी हैं, उन्हें भी एक नया रास्ता मिलना चाहिए। शायद एक इंडिपेंडेंट लीग बनाई जाए जहाँ उनका अनुभव नए खिलाड़ियों को सिखाया जा सके। कोचिंग या एनालिसिस में भी उनका योगदान हो सकता है। खेल का दिल नहीं बदलना चाहिए, बस उसे बढ़ाना है।