राधा स्वामी सत्संग ब्यास को मिला नया आध्यात्मिक प्रमुख
राधा स्वामी सत्संग ब्यास (आरएसएसबी) ने जसदीप सिंह गिल को अपने नए संरक्षक और 'संत सतगुरु' के रूप में नियुक्त किया है। यह नियुक्ति 2 सितंबर 2024 से प्रभावी होगी, और गिल इस महत्वपूर्ण भूमिका में गुरु गुरुिंदर सिंह ढिल्लों के उत्तराधिकारी बनेंगे।
जसदीप सिंह गिल का परिचय
जसदीप सिंह गिल की शैक्षणिक पृष्ठभूमि अत्यंत उत्कृष्ट है। वह केमिकल इंजीनियरिंग में पीएच.डी. धारक हैं, जो उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज से पूरी की है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली से बायोकैमिकल इंजीनियरिंग और बायोटेक्नोलॉजी में स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्रियाँ प्राप्त की हैं।
गिल ने अपने कैरियर में भी अमूल्य योगदान दिया है। उन्होंने Cipla लिमिटेड में मुख्य रणनीति अधिकारी (CSO) के रूप में कार्य किया है। वह 2019 से मई 2024 तक इस पद पर रहे। इसके अलावा, गिल Ethris, Achira Labs Private Limited और Wealthy Therapeutics जैसी कम्पनियों के साथ भी जुड़े रहे हैं।
आरएसएसबी में नई भूमिका
जसदीप सिंह गिल को राधा स्वामी सत्संग ब्यास का नया आध्यात्मिक नेता नियुक्त किया गया है। इस नई भूमिका में, वह अनुयायियों को दीक्षा (नाम) देने की जिम्मेदारी संभालेंगे। इसके अलावा, वे संगठन के आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यों की देखरेख करेंगे।
आरएसएसबी के सचिव देवेंद्र कुमार सिकरी ने इस नामांकन की पुष्टि की और बताया कि गुरु गुरुिंदर सिंह ढिल्लों ने भी इसके समर्थन में अपने विचार प्रकट किए हैं।
आरएसएसबी का प्रसार
राधा स्वामी सत्संग ब्यास का मुख्यालय ब्यास नदी के पास अमृतसर में स्थित है। संगठन का प्रभाव न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी है। आरएसएसबी 90 से अधिक देशों में सक्रिय है और इसके अनुयायियों की संख्या लाखों में है।
गुरुिंदर सिंह ढिल्लों का संदेश
गुरु गुरुिंदर सिंह ढिल्लों ने अपने उत्तराधिकारी जसदीप सिंह गिल के प्रति अपने अनुयायियों से वही प्रेम और समर्थन की अपेक्षा की है, जैसा उन्हें 'हुजूर महाराज जी' के बाद प्राप्त हुआ था।
गिल परिवार और आरएसएसबी
गिल का परिवार लंबे समय से इस विधानसभा से जुड़ा हुआ है। उनके पिता, सुखदेव सिंह गिल, की सेना से सेवानिवृत्ति के बाद 1998 से ब्यास डेरे में रह रहे हैं।
संपूर्ण नया अध्याय
यह नियुक्ति आरएसएसबी के लिए एक नया अध्याय होगी, और जसदीप सिंह गिल के नेतृत्व में संगठन एक नई दिशा में अग्रसर होगा। संघ के अनुयायियों और नई पीढ़ी को उनसे उच्च उम्मीदें हैं, और वे इस नई जिम्मेदारी को कुशलता से निभाने के लिए तत्पर हैं।