शाहिद कपूर की नई फिल्म 'देवा' का ट्विटर पर गर्मजोशी से स्वागत
नवीनतम फिल्म 'देवा' में मुख्य भूमिका निभाते हुए शाहिद कपूर ने अपने शानदार प्रदर्शन के जरिए दर्शकों और समीक्षकों का दिल जीत लिया है। यह फिल्म 31 जनवरी, 2025 को सिनेमाघरों में आई और तब से ही सोशल मीडिया पर इसके प्रदर्शन को लेकर चर्चा हो रही है। जहां तक दर्शकों की प्रतिक्रियाओं का सवाल है, ऐसा लगता है कि 'देवा' ने व्यूअर्स के सामने 'शाहिद कपूर' को फ्लोर पर सबसे रोचक प्रकार से प्रस्तुत किया है।
फिल्म का निर्देशन रोशन एंड्रयूज ने किया है, जिनकी वृहत दृष्टि और कहानी कहने की कला ने फिल्म को बांध रखने का प्रयास किया है। फिल्म का प्लॉट एक गूढ़ थ्रिलर की तरह निर्मित किया गया है, जहां शाहिद कपूर ने देवा अम्ब्रे के रूप में एक शक्तिशाली और साहसी पुलिस अफसर का किरदार निभाया है। देवा का जीवन एक दुर्घटना के बाद पूरी तरह से बदल जाता है, और यही परिस्थिति कहानी का मुख्य आधार बनती है।
फिल्म का पहला हाफ और इसकी मधुरता
फिल्म का पहला आधा हिस्सा दर्शकों को अपनी सीट से हिलने नहीं देता। यहां पर एक गहरी और विस्तृत पृष्ठभूमि में प्लॉट की जड़ें जमा ली जाती हैं, जो दर्शकों को बांधकर रखती हैं। देवा के चरित्र का निर्माण और पुलिस की जांच की गूढ़ प्रक्रिया दर्शकों के मन में जिज्ञासा पैदा करती है। यहां तक कि कंपोजर जैक्स बिजॉय द्वारा दिए गए बैकग्राउंड स्कोर ने फिल्म की गूढ़ता में चार चांद लगा दिए हैं, जो फिल्म को रोमांचक बनाए रखने में सहायक होता है।
प्लॉट टर्न और उसके प्रभाव
लेकिन जैसे-जैसे फिल्म अपने दूसरे हाफ में प्रवेश करती है, यह अपनी पकड़ खोती दिखती है। कहानी में आए कुछ अप्रत्याशित मोड़ दर्शकों को भ्रमित करते हैं, जिससे फिल्म का तारतम्य टूट जाता है। इन मोड़ों की वजह से फिल्म के क्लाइमेक्स ने दर्शकों को निराश किया है। हालांकि इस दौरान शाहिद कपूर का दमदार प्रदर्शन दर्शकों को बांधे रखता है, लेकिन कथा की कमी ने फिल्म की समग्रता पर असर डाला है।
अभिनेताओं का प्रदर्शन और तकनीकी पहलू
इस फिल्म में प्रवीश राणा और पावेल गुलाटी ने अच्छा समर्थन दिया है, और उनके प्रदर्शन को सराहा गया है। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि पूजा हेगड़े और अन्य सहायक कलाकारों का उपयोग थोड़ी और सावधानी से किया जा सकता था। जहां तक तकनीकी पक्षों की बात करें तो अमित रॉय की सिनेमैटोग्राफी और ए. श्रीकर प्रसाद की एडिटिंग ने फिल्म की घुसपैठ में असर डाला है।
शाहिद कपूर के फैंस के लिए एक रोमांचक पेशकश
वास्तव में 'देवा' उन दर्शकों के लिए विशेष आनंद का स्रोत हो सकती है जो शाहिद कपूर के फैन हैं और जो एक्शन थ्रिलर फ़िल्मों का आनंद लेते हैं। हालांकि इसके दूसरे भाग में कुछ कमजोरियों के बावजूद, यह फिल्म इस बात की पुष्टि करती है कि शाहिद कपूर सचमुछ एक बहुत ही प्रतिभाशाली अभिनेता हैं जो किसी भी भूमिका में गहराई और ऊर्जा ला सकते हैं। 'देवा' ने ट्विटर पर कई प्रशंसक प्रतिक्रियाएं देखी हैं, जिसमें 'शाहिद कपूर' की अदाकारी की काफी सराहना की गई है।
Anand Bhardwaj
शाहिद का अभिनय तो बरकरार है, लेकिन फिल्म का दूसरा हाफ ऐसा लगा जैसे डायरेक्टर ने स्क्रिप्ट भूल गए हों।
Sonia Renthlei
मैंने फिल्म देखी और दर्शकों की रिएक्शन देखकर लगा कि ये फिल्म एक बड़ी भावनात्मक यात्रा है। शाहिद के चरित्र का विकास बहुत गहरा है, खासकर जब वो अपने अतीत के साथ संघर्ष कर रहा होता है। बैकग्राउंड स्कोर ने तो मुझे रोमांचित कर दिया, जैसे हर सीन में दिल की धड़कन बढ़ रही हो। देवा की आंतरिक लड़ाई इतनी वास्तविक लगी कि मैं एक बार अपने जीवन के बारे में सोच बैठी। कहानी के टर्न्स थोड़े अचानक लगे, लेकिन अगर आप उन्हें एक बार फिर से देखें तो उनमें एक छिपी हुई तार्किकता मिल जाती है। इस फिल्म ने मुझे ये सिखाया कि बहादुरी कभी-कभी शोर से नहीं, चुपचाप बर्दाश्त करने से आती है।
RAJIV PATHAK
फिल्म का प्लॉट एक बेवकूफ ट्विस्ट के लिए बनाया गया है, जैसे कोई बॉलीवुड डायरेक्टर ने अपने बच्चे के स्कूल प्रोजेक्ट को सिनेमा बना दिया।
INDRA MUMBA
देवा का किरदार एक नए तरीके से भारतीय पुलिस अधिकारी को दर्शाता है - न सिर्फ बलशाली, बल्कि भावनात्मक रूप से टूटा हुआ। जैक्स बिजॉय का संगीत तो एक अलग ही दुनिया खोल देता है, जैसे रात के अंधेरे में एक लालटेन जल रही हो। दूसरे हाफ में थोड़ा गड़बड़ हुआ, लेकिन शाहिद के अभिनय की वजह से मैं अभी भी उसके चेहरे के भावों को याद कर रही हूं। फिल्म के अंत तक आप ये महसूस करते हैं कि वो बस एक आदमी नहीं, एक संकल्प है।
Siddhesh Salgaonkar
ये फिल्म तो बस शाहिद का एक ग्रैंड स्टैंड अप है 🙌🔥 दूसरा हाफ बेकार था पर अभिनय तो ऑस्कर वर्थी है! 🤯
yash killer
हिंदी सिनेमा का नया इतिहास लिखा गया और कुछ लोग अभी भी दूसरे हाफ की बात कर रहे हैं? ये फिल्म एक राष्ट्रीय विरासत है
UMESH DEVADIGA
मैंने फिल्म देखी और बस रो पड़ा। शाहिद का चेहरा जब वो अपने बचपन के घर के बाहर खड़ा होता है... दिल टूट गया। ये फिल्म मुझे बताती है कि हम सब अकेले हैं।
Devendra Singh
रोशन एंड्रयूज की फिल्म में बहुत सारे एलिमेंट्स हैं जो अभी तक बॉलीवुड में नहीं देखे गए - लेकिन एडिटिंग बहुत खराब है। ए. श्रीकर प्रसाद को तो बेकार काम करने दिया गया। ये फिल्म एक बड़ा अवसर था, और वो बर्बाद हो गया।
Nalini Singh
इस फिल्म को देखकर मैंने भारतीय सिनेमा के भविष्य के बारे में फिर से आशा करनी शुरू कर दी। शाहिद कपूर ने अभिनय के क्षेत्र में एक नया मानक स्थापित किया है। यह एक ऐसी फिल्म है जो न केवल मनोरंजन देती है, बल्कि सामाजिक चेतना को भी जगाती है।
Arjun Singh
देवा के चरित्र का विकास एक डॉक्यूमेंट्री की तरह था - बिना किसी फिल्मी झूठ के। शाहिद के अभिनय ने मुझे ये बताया कि असली बहादुरी चुपचाप रहने में है।
Roshini Kumar
लोग कहते हैं दूसरा हाफ खराब है... पर मैंने तो देखा ही नहीं 😅 फिल्म का नाम देवा है ना, तो शायद देवता ही जानते हैं कि वो क्या चाहते थे।
Aryan Sharma
फिल्म का दूसरा हाफ बस एक बड़ा कंस्पिरेसी थ्योरी है - शाहिद को बेकार में बर्बाद किया गया। ये फिल्म बस एक बड़ी शॉपिंग मॉल है जहां हर चीज बेकार है।
Ankit khare
शाहिद का अभिनय तो बहुत अच्छा था लेकिन फिल्म का निर्माण तो बहुत बुरा हुआ ये फिल्म बॉलीवुड के लिए एक शर्म की बात है और ये लोग अभी भी इसे सराह रहे हैं ये तो बहुत बुरा है