उपराष्ट्रपति उम्मीदवार: कैसे बनते हैं और क्या जानना जरूरी है?
देश में राष्ट्रपति के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पद है उपराष्ट्रपति। हर पाँच साल में इस पद के लिए चुनाव होते हैं और कई लोग इस पद के लिये दावेदार बनते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उपराष्ट्रपति बने के लिये कौन‑सी शर्तें जरूरी हैं और चुनाव कैसे होते हैं? चलिए, इसे आसान भाषा में समझते हैं।
उपराष्ट्रपति बनने की मुख्य शर्तें
किसी भी बनाते समय मूलभूत शर्तें बहुत स्पष्ट होती हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 66 में कहा गया है कि उपराष्ट्रपति बनने के लिये उम्मीदवार को:
- भारतीय नागरिक होना चाहिए।
- 30 वर्ष की उम्र होनी चाहिए।
- पिछले पाँच साल में भारत के संसद में सदस्य (लोकसभा या राज्य परिषद) या राज्य विधान सभा के सदस्य न रहे हों।
- भ्रष्टाचार, वित्तीय दुराचार या गंभीर अपराध में दोषी न ठहराए गए हों।
इन शर्तों को पूरा करने वाले व्यक्ति ही नामांकन फॉर्म भर सकते हैं।
शुरू से अंत तक चुनाव प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्य विधान सभाओं) के निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता है। इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिये विशेष मतदान मशीन (EVM) और सिंगल ट्रांसफ़रेबल वोट (STV) प्रणाली लागू की गई है। प्रत्येक सदस्य अपना सबसे पसंदीदा उम्मीदवार चुनता है, फिर अगर कोई उम्मीदवार लम्मा मत नहीं पाता, तो उसके मत दूसरे पसंदीदा उम्मीदवार को ट्रांसफर होते हैं। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक किसी उम्मीदवार को कुल आवश्यक मत (हीरोड) नहीं मिल जाता।
नामांकन की अवधि के दौरान पार्टियों या स्वतंत्र उम्मीदवारों को अपनी मुहिम चलानी पड़ती है। कई बार बड़े राजनीतिक दल अपने गठबंधन के अंदर से एक ही नाम समर्थन देते हैं, जिससे मतों का विभाजन कम हो जाता है।
हाल के प्रमुख उपराष्ट्रपति उम्मीदवार
पिछले कुछ चुनावों में कुछ नाम उभर कर सामने आए हैं, जैसे:
- श्री रविशंकर प्रसाद – अनुभवी राजनेता, पार्टी के बड़े क्लब में भरोसेमंद नेता।
- श्रीमती सुषमा स्वराज – सामाजिक कार्यकर्ता, महिलाओं की सशक्तिकरण में सक्रिय।
- श्री अजय सिंह – युवा नेता, टेक्नोलॉजी और डिजिटल इंडिया के समर्थक।
इनमें से प्रत्येक की पृष्ठभूमि, नीति-रुचि और सार्वजनिक छवि अलग-अलग है, इसलिए वोटर को अपने दृष्टिकोण से मिलते जुलते उम्मीदवार को चुनना चाहिए।
वोट देने से पहले किन बातों पर सोचें?
1. पात्रता और शुद्धता: क्या उम्मीदवार ने पिछले काम में कोई एंटी‑कोरप्शन केस नहीं झेला है?
2. अंतर्दृष्टि और अनुभव: संसद की प्रक्रियाओं को समझने के लिये कितना अनुभव है? क्या उसने पहले किसी महत्वपूर्ण समिति में काम किया है?
3. विचारधारा का मिलान: क्या उनका राष्ट्रीय नीति‑दृष्टिकोण आपके मूल्यों से मेल खाता है? उपराष्ट्रपति के रूप में वह कौन‑सी पहल को आगे बढ़ाएंगे?
4. समानता और प्रतिनिधित्व: क्या वह विविधता को महत्व देते हैं, जैसे महिलाएँ, दलित, युवा, आदि?
इन सवालों के जवाब मिलने पर आप बेहतर चुनाव कर सकते हैं।
निष्कर्ष: सही चुनाव, बेहतर लोकतंत्र
उपराष्ट्रपति चुनाव अक्सर राष्ट्रपति चुनाव के बाद कम ध्यान आकर्षित करता है, लेकिन यह भारत की न्यायिक और विधायी कार्यप्रणाली में अहम भूमिका निभाता है। इस पद के लिए योग्य, साफ‑सुथरे और सोच‑समझ वाला उम्मीदवार चुनना हमारी लोकतांत्रिक जिम्मेदारी है। तो अगली बार जब मतदान की तारीख आए, तो इन बिंदुओं को याद रखें और एक सूचित वोट डालें। आपका एक वोट देश के भविष्य को आकार देता है।