ओमान के खिलाफ माइलस्टोन, भारतीय टी20 गेंदबाजी का नया चेहरा
टी20 अंतरराष्ट्रीय में 100 विकेट—यह आंकड़ा अब तक किसी भारतीय गेंदबाज के नाम नहीं था। ओमान के खिलाफ मैच में यह दीवार भी गिर गई और Arshdeep Singh ने अपना नाम इतिहास में दर्ज करा दिया। बाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज ने न सिर्फ 100 का आंकड़ा छुआ, बल्कि यह कर दिखाने वाले वह दुनिया के सबसे तेज तेज गेंदबाज भी बन गए। दबाव भरे ओवरों में विकेट निकालने की उनकी पुरानी आदत इस बार एक बड़े रिकॉर्ड में बदल गई।
इस उपलब्धि की खास बात यह है कि यह भारतीय टी20 गेंदबाजी के बदलते स्वभाव का संकेत भी है। लंबे समय तक भारत की ताकत बैटिंग मानी जाती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में डेथ ओवर और पावरप्ले दोनों में विकेट लेने वाले गेंदबाज तैयार हुए हैं। अर्शदीप उसी नई फसल के लीडर दिखते हैं—एंगल, लेट स्विंग, हार्ड लेंथ और चतुराई से फेंका गया स्लोअर—इन चारों का कॉम्बो उन्हें टी20 में खतरनाक बनाता है।
ओमान के खिलाफ हुए इस मुकाबले में उन्होंने पुराने टेम्पलेट को ही दोहराया—नई गेंद से शुरुआत में मौके बनाना और डेथ में रफ्तार के साथ विविधता दिखाना। उनका 100वां विकेट इसी भरोसे का नतीजा रहा। भारतीय ड्रेसिंग रूम को जिस तरह एक भरोसेमंद डेथ-ओवर विशेषज्ञ की तलाश थी, वह खोज अब मजबूती से अर्शदीप पर टिकती है।

सफर, कला और असर: कैसे बने ‘डेथ ओवर स्पेशलिस्ट’
यह कहानी 2018 की अंडर-19 विश्व कप जीत, पंजाब किंग्स के साथ आईपीएल में शुरुआती मौके, और 2022 में इंग्लैंड के खिलाफ टी20आई डेब्यू से शुरू होती है। शुरुआत से ही रोल साफ था—पावरप्ले में एंगल से लैग-स्टंप को निशाना बनाओ, मिडल फेज में हार्ड लेंथ रखो, और डेथ में यॉर्कर-स्लोअर का रोटेशन। इस टेम्पलेट ने उन्हें जल्दी-जल्दी विकेट दिलाए और टीम मैनेजमेंट की नजरों में जगह पक्की कर दी।
तकनीक की बात करें तो अर्शदीप का सबसे बड़ा हथियार उनका एंगल है। बाएं हाथ का पेसर दाएं हाथ के बल्लेबाज को अंदर लाती गेंद से सेट करता है और फिर बाहर जाती हुई स्लोअर-ऑफ-कटर पर वन-टू पंच देता है। नई गेंद से वह सीम सीधी रखते हैं, जबकि डेथ में वे क्रॉस-सीम और यॉर्कर के बीच रिद्म बदलते हैं। उनकी रन-अप रिलैक्स दिखती है, पर कलाई आखिरी पल में पीछे से तेज ‘स्नैप’ देती है—यॉर्कर की सफलता यहीं से आती है।
दिलचस्प है कि टी20 फार्मेट में अर्शदीप का ग्राफ बड़े मैचों में उभरा है। 2024 टी20 विश्व कप में USA के खिलाफ उनका 4/9 का स्पेल सिर्फ आंकड़ा नहीं था, एक टेम्पलेट था—पावरप्ले में फुलर लेंथ से सीम मूवमेंट, बीच के ओवरों में उठती हुई हार्ड लेंथ, और डेथ में लेट-डिप वाली यॉर्कर। इसी बहाव ने उन्हें लगातार मैचों में स्ट्राइक दिलाई और आज 100 विकेट का सोपान पार कराया।
जहां तक तुलना का सवाल है, जसप्रीत बुमराह जैसे दिग्गज की मौजूदगी में यह उपलब्धि और बड़ी हो जाती है। बुमराह के अलग प्राथमिक फॉर्मेट और भूमिका के कारण टी20आई में 100 तक पहुंचना उनके लिए प्राथमिक लक्ष्य नहीं रहा। अर्शदीप ने वही स्पेस भरा जिसे कभी भारत बुमराह-बुवी के बीच बांटता था—यानी डेथ में नियंत्रण के साथ स्ट्राइक।
रिकॉर्ड सिर्फ आंकड़े नहीं लाते, टैक्टिकल आत्मविश्वास भी देते हैं। 100-विकेट का बैज बताता है कि कप्तान पावरप्ले और डेथ दोनों चरणों में उन्हें बिना हिचके गेंद थमा सकता है। खेल की बारीकियों में यह भरोसा मैच-अप्स को आसान बनाता है—लेफ्ट-राइट कॉम्बिनेशन के खिलाफ प्लानिंग सीधी होती है, और स्पिन-सीम ट्रांजिशन स्मूथ रहता है।
भारतीय टीम के लिए इसका रणनीतिक फायदा साफ है। टी20 में विकेट ही किफायत है—यानी जितना नियमित विकेट, उतना धीमा रन-रेट। अर्शदीप पावरप्ले में शुरुआती स्ट्राइक और डेथ में क्लीन-अप दोनों करते हैं, इसलिए उनके ओवरों की इकॉनमी अपने-आप नियंत्रित रहती है। यही कारण है कि टीम अब पारी के बीच वाले हिस्से में एक अतिरिक्त आक्रामक विकल्प (आक्रमक स्पिन या हिट-द-डेक पेस) रखने का रिस्क उठा सकती है।
कैरियर मैनेजमेंट भी उनकी कहानी का हिस्सा है। सीमित ओवरों पर फोकस, नियंत्रित वर्कलोड, और छोटे-छोटे तकनीकी अपग्रेड—जैसे रिवर्स-सीम की प्रैक्टिस, यॉर्कर की रेंज बढ़ाना, और नो-बॉल्स कम करना—ने असर दिखाया है। आईपीएल में टाइट फील्ड्स और कड़क बैटिंग के बीच जो लचीलापन सीखा, वही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टिकाऊ बना।
ओमान के खिलाफ आया यह माइलस्टोन भारतीय टी20ई इतिहास में एक मील का पत्थर है। इसका असर ड्रेसिंग रूम से आगे जाकर डोमेस्टिक सर्किट तक जाएगा—युवा लेफ्ट-आर्म पेसर्स के लिए अब एक साफ ब्लूप्रिंट मौजूद है: एंगल-आधारित योजना, विकेट की भूख, और डेथ ओवर में साहस। यह उपलब्धि भारत की बेंच स्ट्रेंथ के बारे में भी एक संदेश देती है—कि स्पिन-प्रधान पहचान के बीच तेज गेंदबाजी की अगली कतार तैयार है।
और हां, रिकॉर्ड का एक भावनात्मक पहलू भी है। 2018 की जूनियर जीत से लेकर आज के 100-विकेट तक, यह सफर उस भरोसे की कहानी है जो किसी गेंदबाज को “कभी भी विकेट निकाल सकता है” वाले टैग तक ले जाता है। भारत के लिए टी20 में यह सबसे कीमती संपत्ति है—जब मैच आखिरी चार ओवरों में अटकता है और किसी को आगे बढ़कर खेल खत्म करना होता है। वहां आज यह नाम जोर से गूंजता है: अर्शदीप सिंह।
- माइलस्टोन: टी20आई में 100 विकेट पूरे करने वाले पहले भारतीय गेंदबाज
- स्पेशलिटी: पावरप्ले स्ट्राइक + डेथ ओवर कंट्रोल, यॉर्कर और स्लोअर का प्रभावी मिश्रण
- टूर्नामेंट हाइलाइट: 2024 टी20 विश्व कप में USA के खिलाफ 4/9, डेथ-ओवर टेम्पलेट का नमूना
- रणनीतिक असर: टीम को दो चरणों में विकेट-टेकिंग विकल्प, मिड ओवर्स में आक्रामक चयन की आज़ादी