सोमवार, 22 जुलाई, 2024 को, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 प्रस्तुत किया। यह दस्तावेज न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति की गहरी समीक्षा करता है, बल्कि आगामी वित्तीय वर्ष के लिए योजनाओं और नीतिगत रणनीतियों का खुलासा भी करता है। यह सर्वेक्षण हर साल केंद्रीय बजट से पहले प्रस्तुत किया जाता है और इसे आर्थिक ढांचे, विकास दर, रोजगार, मुद्रास्फीति, और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों का विश्लेषण करने के लिए उपयोग किया जाता है।
आर्थिक सर्वेक्षण एक वार्षिक दस्तावेज है जिसे केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार किया जाता है, और यह भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में व्यापक जानकारी प्रदान करता है। दस्तावेज में इस वर्ष की आर्थिक विकास दर की स्थिति, विभिन्न नीतियों का प्रभाव, और सरकार के द्वारा भविष्य में दी जाने वाली प्राथमिकताओं का विस्तृत रूपरेखा शामिल रहता है। इसके अतिरिक्त, इसमें कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए जाते हैं, जो सरकार के लिए नीति निर्माण में मददगार साबित हो सकते हैं।
इस वर्ष के सर्वेक्षण में, आर्थिक विकास दर को लेकर अच्छी खबर दी गई है। देश की जीडीपी विकास दर में संभावित सुधार का संकेत दिया गया है, जो विशेष रूप से महामारी के बाद की स्थिति को देखते हुए महत्वपूर्ण है। महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया था, और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा। हालांकि, सरकार की निर्णायक और सक्रिय नीतियों के चलते अर्थव्यवस्था ने तेजी से वापसी की है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सर्वेक्षण के दौरान कहा कि सरकार मानवीय संसाधनों के विकास पर विशेष ध्यान देने जा रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में निवेश को बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा, उन्होंने ग्रामीण और कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण योजनाओं का भी उल्लेख किया, जिनसे इन क्षेत्रों में और अधिक विकास की संभावना है। यह कदम किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने और ग्रामीण भारत में रोजगार के अवसर सृजित करने में सहायक हो सकता है।
उद्योग और विनिर्माण क्षेत्र पर भी आर्थिक सर्वेक्षण में जोर दिया गया है। इस क्षेत्र में नवाचार और तकनीकी विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं। उद्योगिक उत्पादकता में वृद्धि, रोजगार सृजन, और भारतीय उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वित्तमंत्री ने उद्योगपतियों और उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने के लिए नए सुधार लागू करेगी।
महंगाई और उसकी चुनौतियां
महंगाई एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है, जिसे आर्थिक सर्वेक्षण में विशेष महत्व दिया गया है। वैश्विक स्तर पर बढ़ती महंगाई की चुनौतियों के बावजूद, सरकार ने संकेत दिया है कि वह इस मुद्दे पर काबू पाने के लिए सक्रिय कदम उठा रही है। जरुरी वस्त्रों और सेवाओं की कीमतों में स्थिरता लाने के लिए विभिन्न उपायों पर विचार किया जा रहा है। इसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत बनाने और कृषि उत्पादकता में वृद्धि को प्राथमिकता दी जा रही है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और विदेशी निवेश भी इस आर्थिक सर्वेक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं। सर्वेक्षण में भारत की व्यापारिक गतिविधियों, निर्यात-आयात, और विदेशी निवेश की स्थितियों का गहरा विश्लेषण किया गया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए सरकार विभिन्न संधियाँ और समझौतों पर विचार कर रही है।
इसके साथ ही, भारत में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए अनुकूल माहौल बनाने की योजना बनाई जा रही है। निवेशकों की सुरक्षा और व्यापारिक कानूनों में सुधार के माध्यम से विदेशी पूंजी को भारत में लाना सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। इससे न केवल पूंजी प्रवाह में वृद्धि होगी, बल्कि रोजगार के भी नए अवसर सृजित होंगे।
निष्कर्ष और भविष्य की योजना
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया गया आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति और भावी योजनाओं का व्यापक चित्रण करता है। सर्वेक्षण में विभिन्न क्षेत्रों में लागू की गई नीतियों का विवरण और उनके प्रभाव का विश्लेषण प्रमुख है। यह समझने का अवसर प्रदान करता है कि सरकार ने किस प्रकार से महामारी के बाद की चुनौतियों का सामना किया और अर्थव्यवस्था को पुनः विकास के मार्ग पर लाने के लिए कदम उठाए।
कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के क्षेत्रों में उल्लेखनीय सुधार और विकास की संभावना है। यह सर्वेक्षण केंद्रीय बजट 2024 के लिए नवीन दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं का खुलासा करता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि किस प्रकार से सरकार आगामी वित्तीय वर्ष में आर्थिक नीतियों को दिशा देने का प्रयास करेगी।