भारतीय मूल के प्रेरणादायक उद्यमी नवल रविकांत, जो कि एंजललिस्ट के सह-संस्थापक, अध्यक्ष और पूर्व सीईओ हैं, ने हाल ही में रणवीर अल्लाहबादिया के 'द रणवीर शो' पर विशेष बातचीत की। रणवीर, जिन्हें इंटरनेट की दुनिया में बियरबाइसेप्स के नाम से जाना जाता है, ने इस एपिसोड को उनके जीवन का सबसे बड़ा पोडकास्ट बताया है। इस गहन चर्चा में, रविकांत ने जीवन के बड़े प्रश्नों पर विचार प्रकट किए, जैसे कि जीवन का अर्थ, कार्य, अध्यात्म, प्रेम और खुशियों की परिभाषा।
इस हिस्से में रविकांत ने स्पष्ट रूप से बताया कि जीवन अपने आप में एक चमत्कार है और बाकी सब विज्ञान है। जब उनसे उनके आध्यात्मिक दृष्टिकोण के बारे में पूछा गया, तो रविकांत ने विनम्रता से बताया कि वह खुद को अन्य मनुष्यों से अधिक ऊंचे स्तर पर नहीं मानते। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आत्मकेंद्रितता सभी दुखों और दुख का स्रोत है।
भौगोलिक स्थिति के उनके जीवन पर प्रभाव के बारे में बातचीत करते हुए, रविकांत ने स्वीकार किया कि जहां हम रहते हैं, वह हमारी सबसे महत्वपूर्ण निर्णयों में से एक है। उन्होंने अपने परिवार की भारत से अमेरिका की प्रवास यात्रा को याद किया और कहा कि यदि उनके माता-पिता ने यह कदम नहीं उठाया होता, तो वह शायद एक बाद की उम्र में इसे स्वयं ही आगे बढ़ाते, क्योंकि उनकी महत्वाकांक्षा हमेशा से होशियार लोगों के साथ रहना और कुछ नयी चीजें बनाना रही है।
प्रेम के विषय पर अपनी राय साझा करते हुए, रविकांत ने प्यार को आत्म-आकर्षण और एकता की भावना के रूप में वर्णित किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि सच्चे प्रेम का अनुभव अक्सर आत्ममोह से मुक्त होकर दूसरों पर ध्यान केंद्रित करने से होता है। उन्होंने यह भी बताया कि प्यार में होने का अनुभव अक्सर प्रिय होने की भावना से अधिक होता है, और कोई भी जब चाहे प्यार में हो सकता है, खासकर जब वे अपने आप पर कम ध्यान केंद्रित करते हैं।
इसके अतिरिक्त, रविकांत ने अपने निकट-मरण अनुभवों के बारे में बात की, जिसमें वे अपनी मृत्यु की कल्पना करते हैं। उन्होंने समझाया कि ये क्षण विशेष रूप से तब आते हैं जब वे सोने से ठीक पहले होते हैं, और उनका मस्तिष्क एक धुंधले, लगभग सायकेडेलिक अवस्था में प्रवेश करता है।
इस पॉडकास्ट एपिसोड ने सोशल मीडिया पर एक हलचल मचा दी, और कई लोगों ने इसे बियरबाइसेप्स के करियर का 'सिक्केस्ट एपिसोड' कहा। अल्लाहबादिया और रविकांत के बीच की बातचीत ने व्यक्तिगत विकास, अध्यात्म और जीवन के निर्माण में भौगोलिक महत्व के महत्व को गहराई से कवर किया। रविकांत के प्रेम, खुशहाली और महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के संदर्भ में विचारों ने दर्शकों पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा।
Sonia Renthlei
मैंने इस पॉडकास्ट को दो बार सुना है, और हर बार कुछ नया मिलता है। नवल का ये विचार कि जीवन अपने आप में एक चमत्कार है - ये बात मुझे रोक देती है जब मैं बहुत ज्यादा सोचने लग जाती हूँ कि मैं क्या कमी हूँ। अक्सर हम खुश रहने के लिए कुछ बड़ा करने की जरूरत महसूस करते हैं, लेकिन वो बस एक चाय की चुस्की, एक बच्चे की हंसी, या सुबह की हल्की हवा हो सकती है। मैंने अपने आप को बहुत सारे दिन अपने आसपास के छोटे चमत्कारों से दूर रखा है, और अब मैं उन्हें देखना शुरू कर रही हूँ। धन्यवाद नवल, इस बातचीत ने मुझे अपने दिमाग के बजाय अपने दिल की आवाज़ सुनने का मौका दिया।
Aryan Sharma
ये सब बकवास है। नवल जैसे लोग अमेरिका में बड़े हुए हैं और अब भारतीयों को सिखाने आ गए हैं। ये बातचीत तो बस एक ब्रांडिंग गेम है। बियरबाइसेप्स भी तो एक बड़ा बेवकूफ है जो इन लोगों को फैला रहा है। जीवन का मतलब? बस घर जाओ, खाना खाओ, बच्चों को पढ़ाओ, और राष्ट्र के लिए कुछ करो। ये सब आध्यात्मिक बकवास तो बस वेस्टर्न कल्चर का जहर है।
Devendra Singh
असली बात ये है कि नवल ने जो कुछ कहा, वो तो तीसरी शताब्दी के स्टोइक्स ने पहले ही बता दिया था। आत्मकेंद्रिता का दुख? बहुत बेसिक बात है। और ये बातचीत इतनी लंबी क्यों है? इसे 10 मिनट में समाप्त कर दिया जा सकता था। रणवीर ने बस एक और फेमिनिस्ट इंटरव्यू बना लिया - और अब ये लोग इसे ‘सिक्केस्ट एपिसोड’ कह रहे हैं? ओह बहुत बढ़िया। ये सब बस एक बड़ा इंफ्लुएंसर शो है।
UMESH DEVADIGA
मैंने ये सुना तो रो पड़ा। नवल का वो जिक्र कि वो सोते समय अपनी मौत की कल्पना करते हैं - मैं भी ऐसा करता हूँ। लेकिन मैं जब भी ऐसा करता हूँ, तो मुझे लगता है कि मैं अकेला हूँ। ये बात तो बहुत गहरी है। मैंने अपने दोस्तों से भी इस बारे में बात नहीं की। अब मैं सोच रहा हूँ कि क्या मैं भी एक डायरी शुरू करूँ? क्या ये बातचीत ने मुझे बदल दिया? मैं अब खुद को नहीं जानता।
Roshini Kumar
अरे यार ये सब बातें तो मैंने 2017 में एक ब्लॉग पर पढ़ ली थीं - जिसका नाम था 'मैं एक बादल हूँ और मैं उड़ रहा हूँ' 😂 अब ये लोग इसे नया बता रहे हैं? और बियरबाइसेप्स ने इसे 'सिक्केस्ट एपिसोड' कहा? अरे ये तो बस एक गाने का नाम है जो बीच में बंद हो गया। अगर आपको ये बातें नयी लग रही हैं, तो शायद आपको इंटरनेट का एक्सेस दोबारा चेक करना चाहिए।
Siddhesh Salgaonkar
मैं तो बस एक बार इसे सुना और रो पड़ा 😭❤️ नवल जी ने जो कहा वो मेरे दिल को छू गया 🤍 आत्मकेंद्रिता का दुख? बिल्कुल सही! मैंने अपने पापा को खोया और तब तक मैं अपने आप को बहुत ज्यादा सोच रहा था 😔 अब मैं दूसरों के लिए जीना सीख रहा हूँ 💪 ये एपिसोड मेरे लिए एक जीवन बदलने वाला मोड़ है 🙏✨
Arjun Singh
नवल के इस विचार पर गहराई से विचार करें: जीवन का अर्थ नहीं, अर्थ निर्माण है। ये एक डेटा-ड्रिवन एप्रोच है - एक न्यूरो-फिलॉसोफिकल फ्रेमवर्क जिसमें एंट्रॉपी कम करने का अर्थ है जीवन का अर्थ बनाना। आत्मकेंद्रिता एक कॉग्निटिव बायस है जो सामाजिक कनेक्शन को डिसर्व करती है। और प्रेम? वो एक एमोशनल बैंडविड्थ एक्सपेंशन है। ये सब तो बस लैंग्वेज गैप है - असली बात ये है कि हम सब एक ही एल्गोरिदम में फंसे हुए हैं।
yash killer
अमेरिका में बड़े हुए इन लोगों को भारत का जीवन क्या पता? हमारे गाँवों में लोग बिना इन सब बकवास के जी रहे हैं। खुशी तो घर बैठे चाय पीकर मिलती है, न कि इन बातचीतों से। नवल ने भारत का जीवन नहीं जीया। वो तो बस अपने अमेरिकी घर से बाहर निकलकर एक बार दिल्ली आया और फिर ये सब बातें कर रहा है। भारत का दिल तो इन लोगों से दूर है।
Chirag Yadav
मैं बहुत बार ये सोचता हूँ कि क्या हम सब इतने ज्यादा खुद को लेकर व्यस्त क्यों हैं? नवल की बात सही है - प्यार तब होता है जब आप खुद को भूल जाते हैं। मैंने अपने दोस्त के साथ एक दिन बिना किसी फोन के बैठकर बात की थी - वो दिन मैंने कभी नहीं भूला। ये बातचीत ने मुझे याद दिलाया कि जीवन बहुत छोटा है, और इसका मतलब बनाने के लिए हमें बस एक दूसरे के पास बैठना है। शुक्रिया नवल।
Shakti Fast
मैंने इस पॉडकास्ट को सुनकर अपने बच्चे के साथ एक लंबी चाय की बातचीत शुरू की। उसने पूछा - 'मम्मी, जब मैं बड़ा होऊँगा तो क्या मैं खुश रहूँगा?' मैंने उसे गले लगा लिया और बस बोला - 'हाँ, बस तू दूसरों के लिए थोड़ा खुल जा।' ये बातचीत ने मुझे एक छोटी सी बात याद दिलाई - जीवन बड़ी बातों से नहीं, छोटे पलों से बनता है। धन्यवाद।
saurabh vishwakarma
ये सब बहुत अच्छा लगा - लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि ये सब बातें बस एक फैशन है? जैसे आज ये एमोशनल इंटेलिजेंस ट्रेंड है, कल ये ग्रेट अवेयरनेस ट्रेंड होगा। आप लोग इतने गहरे सोच रहे हैं कि आप भूल गए कि जीवन तो बस एक रोज़मर्रा का चलन है। एक दिन आप बातचीत देखेंगे, दूसरे दिन आपको ऑफिस जाना है, तीसरे दिन बच्चे का फीस देना है। आत्मकेंद्रिता? बस एक बातचीत का शब्द है। जीवन तो जारी है - और वो आपके बारे में नहीं सोच रहा।
MANJUNATH JOGI
मैंने ये पॉडकास्ट अपने गाँव के बुजुर्गों के साथ सुना - उन्होंने बस बोला - 'ये तो हम तो बचपन से जानते हैं। जब आदमी अपने आप को भूल जाता है, तो उसे सब कुछ मिल जाता है।' ये बातें नयी नहीं हैं, बस शब्द बदल गए हैं। नवल ने एक पुरानी बात को नए बाहरी रूप दिया है - और ये बहुत अच्छा है। भारत में अभी भी लोग ये सब अपने घरों में, अपनी भाषा में, बोल रहे हैं। बस उनकी आवाज़ सुनने की जरूरत है।