भारत-रूस संबंध: व्यापार, ऊर्जा और रक्षा में नई दिशा
क्या आपको पता है कि भारत और रूस अब सिर्फ रणनीतिक पार्टनर नहीं, बल्कि रोज़मर्रा के व्यापारियों की तरह एक‑दूसरे से जुड़ रहे हैं? पिछले दस सालों में दोनों देशों ने एक‑दूसरे के साथ कई समझौते किए हैं, और अब बात सिर्फ हथियारों की नहीं, बल्कि तेल, गैस, और हाई‑टेक उद्योग की भी है।
व्यापार और ऊर्जा का बढ़ता कसौटी
2023‑24 में भारत‑रूस दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार लगभग 30 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया। पहले मुख्य रूप से हथियार, रसायन और बंदरगाह सेवाओं का आदान‑प्रदान होता था, लेकिन अब ऊर्जा क्षेत्र ने इस आंकड़े को काफी बढ़ा दिया है। रूस से आयातित तेल और गैस की मात्रा वॉल्यूम में 40 % तक बढ़ी है, और भारत ने कृत्रिम गैस, लिक्विफाइड पेट्रोलियम (LPG) और फ्यूल इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी निवेश शुरू किया है।
आप सोच सकते हैं, यह क्यों महत्वपूर्ण है? जब तेल के दाम अस्थिर होते हैं, तो भारत जैसी बड़ी आयात‑निर्भर अर्थव्यवस्था को वैकल्पिक स्रोत चाहिए। रूस के साथ लंबी‑अवधि के एग्रीमेंट्स से कीमतों को स्थिर रखने में मदद मिलती है, और साथ ही दोस्त देशों के बीच भरोसा भी बनता है।
रक्षा और हाई‑टेक सहयोग की नई लहर
रक्षा में पारंपरिक समझौतों के अलावा, अब दोनों देश जेट‑इंजन, सायबर सुरक्षा, और एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहे हैं। हाल ही में भारत ने रूसी एयरोस्पेस कंपनी 'रोसकोस्मोस' के साथ मिलकर नई मैरिटाइम ड्रोन विकसित करने का प्रोटोटाइप तैयार किया। यह ड्रोन समुद्री सीमा की निगरानी के लिए उपयोगी होगा।
साथ ही, दोस्त देशों ने 2024 में एक सामूहिक सैन्य अभ्यास का आयोजन किया, जिसमें दोनों पक्षों के अधिकारियों ने सीमापार टैक्टिकल ट्रेनिंग किया। यह अभ्यास सिर्फ दिखावा नहीं, बल्कि वास्तविक ऑपरेशन में सहयोग कैसे काम करता है, इसका परीक्षण भी है।
इन क्षेत्रों में काम करने से युवा इंजीनियर्स और वैज्ञानिकों को नई नौकरियां मिल रही हैं। कई भारतीय कंपनियां अब रूसी कंपनियों के साथ संयुक्त वैरायटी निर्माण (Joint Venture) स्थापित करने की सोच रही हैं, जिससे दोनों पक्षों को तकनीकी ज्ञान का आदान‑प्रदान भी हो रहा है।
तो, क्या भारत‑रूस संबंध भविष्य में और गहरे हो सकते हैं? जवाब हाँ में ही है। दोनों देशों की सरकारें अब सिर्फ राजनयिक तौर पर नहीं, बल्कि प्रोजेक्ट‑बेस्ड सहयोग को भी प्राथमिकता दे रही हैं। अगर आप व्यापार या निवेश में रूचि रखते हैं, तो अभी कई अवसर खुल रहे हैं – चाहे वह ऊर्जा क्षेत्र में लिक्विड नैचरल गैस (LNG) का टेंडर हो या हाई‑टेक रक्षा उपकरणों का विकास।
अंत में, यह ध्येय नहीं है कि भारत‑रूस हर मुद्दे पर एक‑दूसरे के साथ हो, लेकिन जहाँ भी दोनों के हित मिलते हैं, सहयोग को बढ़ाना दोनों के लिए फायदेमंद सिद्ध हो रहा है। आप भी इस बदलाव को करीब से देख सकते हैं, जैसे नई एक्सपो, व्यापार मंच और सिम्पोजियम में हिस्सा लेकर। भविष्य में इन दो देशों के बीच और भी अधिक समझौते और प्रोजेक्ट आएंगे, और हमें बस तैयार रहना है।