कटऑफ़ मार्क्स क्या है? समझें महत्वपूर्ण बातें
When working with कटऑफ़ मार्क्स, वह न्यूनतम अंक है जो किसी परीक्षा में चयनित होने के लिए जरूरी माना जाता है. Also known as पासिंग मार्क्स, it determines who moves to अगले चरण या नौकरी की सूची में आता है.
एक कटऑफ़ सिर्फ अंक नहीं, बल्कि एक कटऑफ़ मार्क्स के पीछे कई घटक सम्मिलित होते हैं। सरकारी परीक्षाओं में यह अंक अक्सर कुल अंक, प्रतिस्पर्धी संख्या, सीटिंग योजना और प्रतिशतवाले गणितीय सूत्रों से निकाले जाते हैं (Subject‑wise weightage, normalization, percentile). इस कारण उच्चतम अंक हमेशा कटऑफ़ नहीं बनते – जब प्रतियोगिता बढ़ती है, तो कटऑफ़ भी ऊपर जाता है। यह साक्ष्य दिखाता है कि "कटऑफ़ मार्क्स" का निर्धारण समीक्षा समिति द्वारा किया जाता है, जबकि आवेदनकर्ता को सीमा से ऊपर का स्कोर चाहिए।
मुख्य परीक्षाओं में कटऑफ़ कैसे तय होते हैं?
शुरू में हम IBPS PO, प्रोग्रेट प्रॉबेशनरी ऑफिसर पद के लिए बैंकिंग सेक्टर में आयोजित प्रमुख परीक्षा की बात करते हैं। यहाँ कटऑफ़ दो चरणों में निकालते हैं – प्रीलिम्स और मेन्स। प्रीलिम्स में सर्बाधिक स्कोर वाले 15‑20% उम्मीदवार आगे बढ़ते हैं, पर अंतिम कटऑफ़ मेन्स में कुल स्कोर और रैंक पर निर्भर करता है। इसी तरह बिहार पुलिस कांस्टेबल परीक्षा, राज्य स्तर पर पुलिस सेवाओं के लिए आयोजित लिखित तथा शारीरिक परीक्षा में कटऑफ़ लिखित परीक्षा के प्रतिशत और शारीरिक मानकों दोनों को मिलाकर तय होता है। यदि लिखित में 30% से कम अंक आए तो शारीरिक टेस्ट का कोई असर नहीं रहता – यह नियम दर्शाता है कि "बिहार पुलिस कांस्टेबल परीक्षा" के कटऑफ़ में दो‑स्तरीय मूल्यांकन की जरूरत होती है।
बैंकिंग सेक्टर के अलावा, कई बार वित्तीय संस्थानों द्वारा RBI, रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा घोषित बैंकिंग छुट्टी या विशेष घोषणा के कारण कटऑफ़ में अस्थायी बदलाव देखे जाते हैं। उदाहरण के तौर पर, जब RBI ने किसी विशेष अवधि में नई बैंकिंग नीति लागू की, तो संबंधित परीक्षाओं के कटऑफ़ में तीव्र वृद्धि या कमी आ सकती है। इसी तरह GST 2.0, वित्तीय वर्ष 2025‑26 के बाद लागू नवीनतम कर ढांचा के बदलावों के कारण सरकारी नौकरी के अभ्यर्थियों को वित्तीय योग्यता मानदंडों को पुनः देखना पड़ता है, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से कटऑफ़ अंक बदल सकते हैं।
इन सभी उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि "कटऑफ़ मार्क्स" सिर्फ एक अंक नहीं, बल्कि समूहिक निर्णय है जो परीक्षा की कठिनाई, उपलब्ध सीटों की संख्या, और राष्ट्रीय‑अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक परिस्थितियों से जुड़ा होता है। यही कारण है कि उम्मीदवारों को हर साल अपडेटेड कटऑफ़ डेटा पर नज़र रखनी चाहिए, ताकि वे अपनी तैयारी को उचित रूप से दिशा दे सकें।
अब बात करते हैं कि यह जानकारी आपके लिये कैसे फायदेमंद हो सकती है। यदि आप IBPS PO, बिहार पुलिस कांस्टेबल, या किसी अन्य सरकारी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो आप यहाँ बताए गए प्रमुख गुणों को अपने स्टडी प्लान में शामिल कर सकते हैं – जैसे कि सेक्शन‑वाइज स्कोरिंग पर ध्यान देना, समय‑समय पर कटऑफ़ ट्रेंड्स को देखना, और प्रतिस्पर्धी आँकड़ों को समझना। इस तरह आप न सिर्फ लक्ष्य अंक तक पहुंचेंगे, बल्कि उस अंक के बाद की प्रक्रिया (document verification, साक्षात्कार) को भी सहजता से पार कर सकेंगे।
अंत में यह कहना सही रहेगा कि कटऑफ़ मार्क्स के बारे में जानकार होना, हर उम्मीदवार के लिए पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। चाहे आप बैंकिंग सेक्टर में करियर बनाना चाहते हों या पुलिस सेवा, समझदारी से तैयार होकर आप अपने सपने के नौकरी या पद तक पहुंच सकते हैं। नीचे आपको इस टैग पेज पर संबंधित लेखों की सूची मिलेगी, जहाँ हर लेख में अलग‑अलग परीक्षा के कटऑफ़ का विस्तृत विश्लेषण और तैयारी की टिप्स दी गई हैं। अब आप तैयार हैं, तो चलिए देखते हैं कौन‑कौन से लेख आपके लक्ष्य के करीब ले जा सकते हैं।