कुमकी हाथी – भारत के दिल में छुपी वन्यजीव शान

क्या आपने कभी सोचा है कि कुमकी नाम की वो जगह कितनी बड़ी जंगलों से घिरी है? यहाँ के हाथी सिर्फ बड़े जीव नहीं, बल्कि स्थानीय संस्कृति की धड़कन हैं। मैं भी पहली बार जब यहाँ की सैर की, तो बड़े सूँघधारी फड़फड़ाहट के साथ मिलने वाले हाथियों को देख कर भर आया। अब आप भी जानेंगे कि ये "कुमकी हाथी" कैसे रहते हैं, किन challenges का सामना करते हैं और हम उनके लिए क्या कर सकते हैं।

कुंभकी कहाँ है और हाथी क्यों यहाँ खास हैं?

कुमकी उत्तराखंड के पक्ष में, दिकु घाटी के किनारे बसा एक छोटा-सा टाउन है। यह जगह घने जंगल, तेज़ बहती नदियों और पहाड़ी मार्गों से घिरी है। इस इलाके में सालाना 200‑250 हाथी घूमते मिलते हैं, जो भारत की सबसे बड़ी स्लॉथ‑सुविधा वाले समूहों में से एक है। स्थानीय लोग इन्हें "जंगली दादाजी" कहते हैं, क्योंकि ये अक्सर गाँव के पास आते हैं, फल‑पत्ते ले कर और कभी‑कभी पानी की खोज में धारा पार कर देते हैं।

हाथियों की इस बस्तीस्पद जीवनशैली का कारण है बेतरतीब पानी के स्रोत और घने जंगल जो उन्हें छुपने का मौका देते हैं। आधे साल में एक बार, बरसात के बाद ये बड़े‑बड़े हाथी जलशोधन के लिए मिलते हैं और एक-दूसरे के साथ लड्ढी‑विचलन की ध्वनि बनाते हैं। इस समय जब आप कुमकी पास होते हैं, तो काफ़ी शोरगुल सुनाई देता है, जो काफी रोमांचक होता है।

खतरे और संरक्षण के कदम

जैसे‑जैसे गाँवों का विस्तार बढ़ा, कुमकी हाथियों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सबसे बड़ा खतरा है अंधाधुंध लकड़ी काटना, जिससे उनका आवास छोटा हो रहा है। साथ‑ही साथ, बाग़बानी और कृषि के लिए जंगल के किनारे पर फसलें उगाने वाले किसानों को कभी‑कभी हाथी क्लेश का सामना करना पड़ता है। इस वजह से मानव‑हाथी टकराव बढ़ता जा रहा है।

सरकार और स्थानीय NGOs ने कई कदम उठाए हैं:

  • कुंनसर जंगल में सॉलिड‑वॉल्यूम ट्रैकिंग सिस्टम लगाना, जिससे हाथी के रास्ते को समझा जा सके।
  • बारहमासी जलाशय बनाकर पानी की आपूर्ति स्थिर करना, ताकि बरसात के बाहर भी हाथी दूर न जाएँ।
  • किसानों को इलेक्ट्रिक फ़ेंस और अलार्म सिस्टम देना, ताकि हाथी जब पास आएँ तो डर के कारण दूर रहें।
  • समुदाय में जागरूकता कार्यक्रम चलाना, जहाँ बच्चों को हाथी के महत्व के बारे में बताया जाता है।

इन प्रयासों से हाल ही में हाथियों की संख्या में 10‑15% की बढ़ोतरी देखी गई है। अगर आप कुमकी घूमने आएँ, तो स्थानीय गाइड की मदद से जंगल में ज़्यादा कचरा न छोड़ें और वन्यजीवों को परेशान न करें।

एक छोटा‑सा कदम, जैसे कि पानी की बोतल ले जाना या प्लास्टिक बैग न लाना, भी इन बड़े दादाजी की सुरक्षा में मदद कर सकता है। याद रखें, कुमकी हाथी सिर्फ एक प्राणी नहीं, बल्कि इस पहाड़ी क्षेत्र की जीवन रेखा हैं।

तो अगली बार जब आप विशेष यात्रा की योजना बनाएँ, तो कुमकी की सैर को अपनी सूची में जोड़ें। वहाँ के हाथी आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाएंगे—जैसे प्रकृति ने खुद ही हमें एक बड़ी गले लगाई हो।

आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के वन विभागों के बीच कुमकी हाथियों को लेकर समझौता 27 सितंबर को

आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के वन विभागों के बीच कुमकी हाथियों को लेकर समझौता 27 सितंबर को

आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के वन विभाग 27 सितंबर, 2024 को कुमकी (प्रशिक्षित) हाथियों की तैनाती के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं। इस समझौते के तहत, कर्नाटक आंध्र प्रदेश को आठ कुमकी हाथी प्रदान करेगा, जो राज्य में जंगली हाथियों के हमलों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

Subhranshu Panda सितंबर 25 2024 0