रेपो रेट क्या है? सरल समझ

अगर आप कभी बैंक से लोन ले रहे हैं या बचत खाते की ब्याज दर देख रहे हैं, तो आपने शायद रेपो रेट का नाम सुना होगा। रेपो रेट वही दर है जिस पर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक धन उधार देता है। मूल बात यही है – यह ब्याज दर तय करती है कि बैंक को पैसे मिलने के लिए कितनी कीमत चुकानी पड़ती है।

रेपो रेट कैसे तय होता है

RBI हर महीने अपने मौद्रिक नीति समिति की मीटिंग में रेपो रेट निर्धारित करती है। इस मीटिंग में आर्थिक स्थिरता, महंगाई, विदेशी निवेश आदि कई कारकों को देखा जाता है। अगर महंगाई बढ़ रही हो, तो RBI रेपो रेट बढ़ा देती है ताकि पैसे कम खर्च में आएँ और कीमतों पर दबाव कम हो। वहीं, मंदी की स्थिति में रेट घटा कर इकोनमी को चालना मिलती है।

रेपो रेट का दैनिक जीवन पर प्रभाव

रेपो रेट सीधे आपके रोज़मर्रा के खर्च को प्रभावित करता है। जब रेट बढ़ती है, तो बैंकों को उधार लेने की लागत बढ़ जाती है, इसलिए वे लोन पर अधिक ब्याज लगाते हैं। इसका मतलब है आपका होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन महंगा हो सकता है। बचत खातों की ब्याज दर भी थोड़ा‑बहुत बढ़ती है, पर आमतौर पर ठहराव रहता है क्योंकि बैंकों को व्यापारिक मार्जिन भी देखना पड़ता है।

दूसरी ओर, जब रेपो रेट कम होती है, तो लोन सस्ता हो जाता है और लोग अधिक खर्च करने लगते हैं। इससे रियल एस्टेट, ऑटो और उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री में बढ़ोतरी होती है। बचत की दर भी घट सकती है, इसलिए जब आप बड़े निवेश की योजना बना रहे हों, तो रेट के बदलाव पर नजर रखना फायदेमंद है।

आपको यह भी जानना चाहिए कि रेपो रेट सिर्फ बैंकों के लिये नहीं, बल्कि छोटे वित्तीय संस्थानों, म्यूचर फंड और बॉन्ड मार्केट को भी प्रभावित करती है। इन सभी क्षेत्रों में रेट बदलने से निवेशकों के निर्णय भी बदलते हैं। इसलिए निवेशकों के लिये रेपो रेट को समझना एक अच्छी रणनीति बन सकती है।

एक सामान्य सवाल अक्सर आता है – क्या रेपो रेट सीधे मेरे फिक्स्ड डिपॉज़िट पर असर डालती है? जवाब हाँ, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से। फिक्स्ड डिपॉज़िट की ब्याज दरें अक्सर बाजार की कुल ब्याज स्थितियों से जुड़ी होती हैं, और रेपो रेट इसमें एक अहम संकेतक है। इसलिए जब RBI रेट बढ़ाती है, तो फिक्स्ड डिपॉज़िट की दर भी धीरे‑धीरे बढ़ सकती है।

समझदारी से अपना वित्तीय निर्णय लेने के लिये रेपो रेट के अपडेट को फॉलो करना जरूरी है। RBI की आधिकारिक वेबसाइट, प्रमुख समाचार पोर्टल और आर्थिक विश्लेषण वाले यूट्यूब चैनल अक्सर इसपर ताज़ा जानकारी देते हैं। आप हर महीने के अंत में RBI की प्रेस रिलीज़ देख सकते हैं या प्रमुख ख़बरों में शीर्षक में रेपो रेट के बदलाव को देख सकते हैं।

सारांश में, रेपो रेट वह लीवर है जो बैंकिंग सिस्टम को नियंत्रित करता है और हमारी रोज़मर्रा की आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करता है। इसे समझकर आप लोन की कीमत, बचत की दर और निवेश के अवसरों पर बेहतर निर्णय ले सकते हैं। अगली बार जब आप लोन या निवेश की योजना बनाएं, तो रेपो रेट की स्थिति को एक चेक‑पॉइंट बनाना न भूलें।

RBI मौद्रिक नीति लाइव अपडेट: रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं, ऋण EMI पर असर नहीं; GDP वृद्धि अनुमान बढ़ाया गया

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए द्वि-मासिक मौद्रिक नीति की घोषणा की। मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 5 जून को शुरू हुई और 7 जून को समाप्त हुई। समिति ने 6.5% की रेपो दर को लगातार आठवीं बार अपरिवर्तित रखा। वर्तमान नीति की घोषणा 2024 लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद पहली है।

Subhranshu Panda जून 7 2024 16