अनसोल्ड खिलाड़ी: क्यों नहीं बिकते और कैसे बनें टीमों की पसंद?
क्रिकेट या फुटबॉल की नीलामी में कभी‑कभी ऐसे खिलाड़ी होते हैं जिनका नाम वार्ता में आता है, लेकिन अंत में कोई टीम उन्हें नहीं लेती। इन्हें हम अनसोल्ड खिलाड़ी कहते हैं। अगर आप भी कभी इस स्थिति में रहे हैं या बस जानना चाहते हैं कि क्यों, तो पढ़िए आगे की बात आस‑पास की।
अनसोल्ड होने के मुख्य कारण
पहला कारण फॉर्म और प्रदर्शन है। अगर सीजन में लगातार औसत नहीं बना पाते या किनारी पर ही प्रदर्शन रहता है, तो फ्रेंचाइज़ियों को जोखिम लगता है। दूसरा कारण फिटनेस और चोटें हैं। बुमराह जैसी तेज़ गेंदबाज़ की चोटों की खबरें अक्सर टीम को हिचकिचा देती हैं। तीसरा है कीमत‑काट‑छाँट। कुछ खिलाड़ियों ने बहुत हाई बेस रेज़र्व रखी होती है, जिसे कई मालिक छोटे बजट में नहीं ले सकते।
कुशलता बढ़ाने के आसान उपाय
अगर आप एक अनसोल्ड खिलाड़ी बनना नहीं चाहते तो अपने खेल को लगातार सुधारें। फ़िटनेस टेस्ट में टॉप स्कोर करना, मोबाइल ट्रेनिंग या विशेष कोच के साथ काम करना मददगार सिद्ध होता है। दूसरा टिप बहुपयोगी बनें‑ यदि आप बॉलिंग के साथ फील्डिंग या बॅटिंग में भी काम दे सकें, तो टीम का चयन आपके पक्ष में आसान हो जाता है। तीसरा, रियल एस्टेट जैसी नीलामी रणनीति अपनाएँ‑ अपनी बेस रेज़र्व को वाजिब रखें, ताकि बिडिंग में कोई अचूक बाधा न बने।
एक उदाहरण देखें – अर्शदीप सिंह ने 2025 में टॉस जीत कर बॉलिंग चुनी और लगातार वैक्यूम में नहीं आया, पर उसका बेस रेज़र्व उचित था, इसलिए टीम ने उसे जल्दी ही साइन किया। वहीं कई बड़े नाम, जैसे कुछ विदेशी ऑलराउंडर, अपनी हाई बेस रेज़र्व के कारण अनसोल्ड रह गए।
भविष्य की नीलामियों में आपका नाम लाने के लिए सोशल मीडिया पर सक्रिय रहें। कई फ्रेंचाइज़ी स्काउट्स खिलाड़ी की इनस्टाग्राम या यूट्यूब वीडियो देखकर फ़ॉर्म की जाँच करते हैं। अपने हाइलाइट्स अपलोड करें, छोटे‑छोटे मैचों की उपलब्धियों को शेयर करें और सच्ची कहानी बताने से आपकी पहचान बनती है।
अंत में, याद रखें कि अनसोल्ड होना हमेशा बुरा नहीं होता। यह एक सीख है, और कई खिलाड़ियों ने इस अनुभव से आगे बढ़ कर बड़ी सफलता पाई। आपका लक्ष्य होना चाहिए कि अगली बार आप नीलामी में ‘बिक गया’ शब्द सुनें।