आर्थिक कनेक्टिविटी क्या है और यह क्यों ज़रूरी है?

आर्थिक कनेक्टिविटी का मतलब है कि पैसे, सामान और सेवाएं आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पहुँचें। जब सड़कों, रेल, पोर्ट और डिजिटल नेटवर्क सब जगह एक-दूसरे से जुड़े होते हैं, तो व्यवसायी कम लागत में सामान भेज सकते हैं, निवेशक जल्दी पैसा लगा सकते हैं और आम जनता के लिए बेहतर नौकरी के अवसर बनते हैं।

टैरिफ और व्यापार नीति में बदलाव

हाल ही में ट्रम्प प्रशासन के टैरीफ फैसलों ने दुनिया भर के बाजारों में हलचल मचा दी। पाँच दिन में 5.83 ट्रिलियन डॉलर की बाजार पूंजी घट गई, खासकर टेक कंपनियों को झटका लगा। भारत के लिए भी ऐसे बदलावों को समझना जरूरी है क्योंकि रफ़्तार वाले टैरिफ भारत के निर्यात‑आयात को प्रभावित कर सकते हैं।

अगर हमारे ट्रेड पार्टनर्स टैरिफ बढ़ाते हैं, तो हमें अपना उत्पादन लागत कम करने या नए मार्केट खोजने की जरूरत पड़ेगी। इसी कारण से सरकार ने कई बार कम टैरिफ वाले समझौते किए हैं, जैसे भारत‑जापान या भारत‑अमेरिका के बीच डिजिटल सेवा समझौते, ताकि हमारे सॉफ़्टवेयर और टेक एक्सपोर्ट में बाधा न आए।

बजट, ऋण और वित्तीय बिंदु

वित्तीय बजट 2025 के बाद सेंसेक्स और निफ्टी में मिली‑जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। बजट में अगर नई कर राहत, इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड या स्टार्ट‑अप सपोर्ट की बातें हों, तो निवेशक जल्दी से जल्दी कदम रखने लगते हैं। झारखंड की आरबीआई से 1500 करोड़ के ऋण की मांग भी दिखाती है कि राज्य स्तर पर भी वित्तीय कनेक्टिविटी का पूरक काम हो रहा है।

इसी तरह, माइक्रो‑फाईनेंस और डिजिटल पेमेंट्स का विस्तार भी आर्थिक कनेक्टिविटी को मजबूत बनाता है। जब छोटे किसान मोबाइल ऐप से बैंक खाता खोलते हैं, तो उनका पैसा सीधे सरकारी सब्सिडी या बीज वितरण तक पहुँचता है। इससे बिचौलियों की कमी होती है और किसान की आय बढ़ती है।

आधुनिक कनेक्टिविटी सिर्फ भौतिक नहीं, डिजिटल भी है। भारत में 5G नेटवर्क का रोल‑आउट, क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर और ई‑कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म जैसे अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट ने छोटे व्यापारियों को वैश्विक मार्केट से जोड़ दिया है। यह वही आर्थिक कनेक्टिविटी है जो स्थानीय को विश्व स्तर पर ले जाती है।

तो, अगर आप एक उद्यमी हैं, तो नई टैरिफ नीति और सरकारी बजट पर नज़र रखें। अगर आप एक नौकरी खोज रहे हैं, तो ऐसे क्षेत्रों में देखें जहाँ इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट चल रहे हों, जैसे बंदरगाह विस्तार या हाईवे बनावट। और अगर आप निवेशक हैं, तो उन स्टॉक्स या म्यूचुअल फंड्स को देखें जो इन्फ्रास्ट्रक्टural विकास या डिजिटल सेवाओं में बढ़ोतरी के साथ जुड़े हों।

आर्थिक कनेक्टिविटी एक सतत प्रक्रिया है—जैसे मौसम बदलता है, वैसे ही व्यापार नीति, तकनीक और निवेश का माहौल बदलता रहता है। आज के छोटे कदम कल के बड़े अवसर बन सकते हैं। इसीलिए हर दिन नई ख़बरें पढ़ें, समझें और अपनी रणनीति को अपडेट रखें।

भारत सरकार ने ₹76,000 करोड़ की लागत से महत्वपूर्ण वधावन पोर्ट को दी मंजूरी

भारत सरकार ने ₹76,000 करोड़ की लागत से महत्वपूर्ण वधावन पोर्ट को दी मंजूरी

भारत के पश्चिमी तट पर मुंबई के निकट स्थित वधावन गहरे समुद्र बंदरगाह परियोजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। ₹76,000 करोड़ की इस परियोजना का लक्ष्य भारत-मध्यपूर्व-यूरोप आर्थिक कनेक्टिविटी (IMEEEC) परियोजना को मुख्य पोर्ट सहायता प्रदान करना है। यह पोर्ट दो चरणों में विकसित किया जाएगा और 2040 तक पूरी क्षमता के साथ कार्य करेगा।

Subhranshu Panda जून 20 2024 0