डॉव जोन्स – शेयर बाजार का प्रमुख संकेतक

अगर आप कभी भी आर्थिक खबरें पढ़ते हैं तो "डॉव जोन्स" नाम जरूर सुनते होंगे। असल में यह 30 बड़ी अमेरिकी कंपनियों का एक औसत है, जो बताता है कि कुल मिलाकर बाजार कैसे चल रहा है। रोज़‑रोज़ के निवेशक, छात्र और यहाँ तक कि सामान्य दर्शक भी इसे देख कर यह अंदाज़ा लगाते हैं कि आर्थिक माहौल सुधर रहा है या बिगड़ रहा है।

डॉव जोन्स का इतिहास और कैसे बनाया जाता है

डॉव जोन्स का निर्माण 1896 में चार्ल्स डॉव ने किया था, इसलिए इसका नाम इनका ही है। शुरुआती दिनों में इसमें सिर्फ 12 कंपनियां थीं, लेकिन अब यह 30 सबसे बड़ी, स्थिर और विविध कंपनियों को शामिल करता है – जैसे Apple, Microsoft, Johnson & Johnson आदि। इसे गाड़ी के ‘इंजन’ की तरह समझिए; जब ये कंपनियां अच्छा प्रदर्शन करती हैं, तो इंडेक्स ऊपर जाता है और जब इनमें से कोई गिरती है, तो नीचे।

इंडेक्स को सिर्फ सरल औसत नहीं लिया जाता। हर कंपनी की शेयर कीमत को उसके स्टॉक की क़ीमत (price) और शेयर की संख्या (shares) के अनुसार वज़न दिया जाता है, फिर सभी को जोड़कर एक अंक बनता है। यह तरीका इसे अधिक सटीक बनाता है, क्योंकि बड़ी कंपनियों का प्रभाव अधिक दिखता है।

डॉव जोन्स का भारत में क्या महत्व है?

बहुत लोग पूछते हैं – "हमें तो भारत में ही निवेश है, तो डॉव जोन्स क्यों फ़ॉलो करें?" इसका जवाब आसान है: वैश्विक अर्थव्यवस्था एक‑दूसरे से जुड़ी हुई है। जब अमेरिकी बाजार मजबूत होता है, तो अक्सर भारतीय बाजार भी साथ‑साथ उछाल दिखाता है, खासकर एक्सपोर्ट‑ओरिएंटेड सेक्टर में। इसके अलावा, कई अंतरराष्ट्रीय फंड भारत में निवेश करते हैं, और वे अमेरिकी सूचकांकों को बेंचमार्क के रूप में देखते हैं।

डॉव जोन्स को फ़ॉलो करने से आप प्रमुख वैश्विक रुझानों का अंदाज़ा लगा सकते हैं – जैसे टैक्नोलॉजी सेक्टर में बदलाव या आर्थिक नीतियों का असर। इससे अपने पोर्टफ़ोलियो को री‑बैलेंस करना आसान हो जाता है।

इसे ट्रैक करने के लिए आप कई आसान तरीके अपना सकते हैं: मोबाइल ऐप में "डॉव जोन्स" सर्च करें, टीवी की वित्तीय चैनल देखें या गूगल पर "Dow Jones" लिखें। कई भारतीय वित्तीय पोर्टल भी इसे रीयल‑टाइम में दिखाते हैं, तो बस एक क्लिक में अपडेट मिल जाएगा।

ध्यान रखें, इंडेक्स सिर्फ एक आँकड़ा है, यह हर कंपनी की पूरी कहानी नहीं बताता। इसलिए इसे एक संगत संकेतक की तरह देखें, न कि निवेश का एकल आधार। अगर आप शेयर मार्केट में नए हैं, तो इंडेक्स की चाल को समझकर ही कोई बड़ा कदम उठाएँ।

संक्षेप में, डॉव जोन्स 30 प्रमुख कंपनियों की औसत कीमतों का संग्रहीत रूप है, जो विश्व अर्थव्यवस्था की धड़कन सुनाता है। इसे रोज़‑रोज़ देखना आपको मार्केट के बड़े‑बड़े बदलावों से पहले ही सचेत कर सकता है, जिससे आप अपने निवेश को बेहतर बना सकें। अब जब आप इस इंडेक्स को समझ गए हैं, तो अगली बार जब भी आप आर्थिक ख़बर पढ़ें, तो डॉव जोन्स के आंकड़ों पर एक नजर जरूर डालें।

Dow Jones में गिरावट: ताज़ा नतीजों के बाद शेयर बाजार का महत्त्वपूर्ण विश्लेषण

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अक्टूबर 22, 2024 को शेयर बाजार में मंदी के कारण डॉव जोन्स की गिरावट दर्ज की गई। कई कंपनियों के नतीजे सामने आए जिनमें प्रमुख रूप से लॉकहीड मार्टिन शामिल है जिसने लाभ की वृद्धि के बावजूद स्टॉक में कमी देखी। आगामी अमेरिकी चुनाव विशेष रूप से बाजार पर प्रभाव डाल सकते हैं, और कुछ विशेषज्ञ संभावित ट्रंप जीत की संभावना की जांच कर रहे हैं। इसके साथ ही, एक राज्य ने भविष्य की आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए 58 अरब डॉलर के सॉवरेन वेल्थ फंड की स्थापना की है।

Subhranshu Panda अक्तूबर 23 2024 10