करवा चौथ – तिथि, व्रत, रीति‑रिवाज और नवीनतम जानकारी

जब बात करवा चौथ, हिंदुओं का त्यौहार है जिसमें विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र के लिये सवधि व्रत रखती हैं. भी कहा जाता है करवा चौथ व्रत, तब यह केवल एक दिन का उपवास नहीं बल्कि परिवार और सामाजिक बंधनों की पुष्टि भी है। इस व्रत की शुरुआत सूर्यास्त से होती है, चाँद देखने तक निरर्थक बातों से दूर रहना आवश्यक है – यही करवा चौथ का मूल सिद्धांत है।

इस त्यौहार को समझने के लिये कुछ प्रमुख घटक हैं। पहला है व्रत, एक धार्मिक साधना जिसमें शरीर, मन और शब्द को कड़ा नियंत्रण में रखा जाता है – यह व्रत शारीरिक रूप से पानी नहीं पीता, लेकिन सात बार पानी की झाँपियां लेकर सतह तक पहुँचता है। दूसरा मुख्य तत्व चंद्रमा, रात्रि के अन्त में उगने वाला तारा, जिसका दर्शन व्रत का अंतिम चरण होता है है; चाँद देख कर व्रती महिला को एक मीठा टुकड़ा (मेवा) खाकर प्रसाद मानते हैं। तीसरा तत्व पूजा, धार्मिक अनुष्ठान जिसमें भगवान और पति के आरोग्य के लिये अर्घ्य, दीप और मिठाई छोड़ी जाती है है, जो अक्सर 'सुविधा पूजा' के नाम से भी जानी जाती है। अंत में महाभारत, एक भारतीय महाकाव्य जिसमें करवा चौथ की पौराणिक कथा निहित है से जुड़ी कहानी भी इस त्यौहार की हीरोइन को प्रेरित करती है—ऐशा के पिता की वाणिज्यिक धारा पर राक्षस का दबदबा था और करवा चौथ के व्रत ने उन्हें शत्रु से बचाया।

करवा चौथ के प्रमुख पहलू

सूर्यास्त से लेकर चाँद देखे तक का समय‑सारिणी प्रत्येक वर्ष बदलती है; 2024 में यह रविवार, 20 अक्टूबर को पड़ता है। इस दिन बहू अपने पति के नाम पर स्नान करती हैं, फिर पीले कपड़े पहनकर, पाँच रंगों की चूड़ियों (आँधी चूड़ियाँ) पहनी जाती हैं। सात-लाल-फेस वाले पदार्थ (सात फेरी) को छोड़कर, सभी खानों को ‘अर्जुना’ (साबूदाना) से लेकर ‘लेडीफिंगर’ तक, सभी को ‘अंकुरित’ कहा जाता है। लम्बी अवधि का व्रत रखने के बाद, रात में चंद्रमा को देखते ही एक मीठा टुकड़ा (आलू की मिठाई या लड्डु) खा लिया जाता है – इसे ‘उपवास समाप्ति’ कहा जाता है। आजकल शहरों में करवा चौथ की तैयारियाँ ऑनलाइन शॉपिंग, डिजिटल पोषण टिप्स और वीडियो ट्यूटोरियल के माध्यम से भी होती हैं, पर मूल बात वही रहती है – पति की लंबी उम्र के लिये श्रद्धा और सत्कार।

इस पृष्ठ पर आप करवा चौथ से जुड़ी तिथि‑समय, व्रत नियम, पूजा विधि और महाभारत की कहानी की विस्तृत जानकारी पाएँगे। नीचे दिए गए लेखों में आप रस्म-रिवाज़ों की आधुनिक व्याख्या, रेसिपी और स्वास्थ्य टिप्स की ओर भी नज़र डाल सकते हैं।

करवा चौथ की दो अनोखी कहानियां: साहूकार की बेटी और गणेश जी की आशीष

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करवा चौथ का उत्सव दो प्रमुख कथाओं—साहूकार की बेटी करवा और गणेश जी की दया—के साथ मान्यताओं को जीवंत बनाता है, जो उत्तर भारत में व्रती महिलाओं की श्रद्धा और परिवारिक एकता को दर्शाता है।

Subhranshu Panda अक्तूबर 11 2025 10