मनी लॉन्ड्रिंग: आसान भाषा में समझें

जब आप बैंक में नकदी जमा कराते हैं या ऑनलाइन ट्रांसफर करते हैं, तो आपका उद्देश्य साफ़ होता है – पैसा सुरक्षित रखना या खर्च करना। मनी लॉन्ड्रिंग वही प्रक्रिया है, लेकिन इसमें कोई ग़ैरकानूनी पैसा (जैसे ड्रग ट्रेड, भ्रष्टाचार, टेरर फंडिंग) को वैध दिखाने की कोशिश होती है। अपराधी पहले पैसे को छिपाते हैं, फिर कई लेन‑देनों के ज़रिए इसे ‘साफ़’ बनाते हैं, ताकि जांच वाले उसे नहीं पकड़ सकें।

मुख्य तरीके जिनसे मनी लॉन्ड्रिंग होती है

1. स्ट्रक्चरिंग (स्मुर्फिंग) – बड़ी रकम को छोटे‑छोटे भागों में बाँटकर कई खातों या शाखाओं में जमा किया जाता है। इससे एक बार में बड़ी रकम की रिपोर्ट नहीं आती।
2. शेल कंपनियां – काग़ज़ी कंपनियां बनाकर उनका उपयोग फंड को कई देशों में भेजने के लिए किया जाता है। ये कंपनियां अक्सर टैक्स हावेज़ या फ्रीज़ ज़ोन में पाई जाती हैं।
3. रियल एस्टेट – अपराधी संपत्ति खरीदते‑बेचते हैं, जिससे गंदा पैसा ‘इक्विटी’ में बदल जाता है। रेंटल इनकम या फिर प्रॉपर्टी की री‑सैल के जरिए पैसा वैध दिखता है।
4. क्रिप्टोकरेंसी – बिटकॉइन या अन्य डिजिटल कॉइन को कई वॉलेट में रॉकेट भेज कर ट्रैस करना मुश्किल बना दिया जाता है। फिर इसे फिर से फिएट मुद्रा में बदल दिया जाता है।
5. हॉफ़न ट्रांसफर – अंतरराष्ट्रीय ट्रांसफर में कई मध्यस्थ बैंकों का इस्तेमाल करके फंड को कई परतों से गुज़राया जाता है, जिससे मूल स्रोत का पता लगाना कठिन हो जाता है।

भारत में क़ानून और रोकथाम के कदम

भारत ने मनी लॉन्ड्रिंग से लड़ने के लिए कई कानून बनाए हैं। 2002 में लेन‑देन के रोकथाम अधिनियम (PMLA) लाया गया, जो बड़े ट्रांज़ैक्शन को रिपोर्ट करने, कस्टमर ड्यू टिलिटी (KYC) लागू करने और संदिग्ध लेन‑देनों की रिपोर्ट बँक या FIU को देने की हद तय करता है।
बैंकों और नॉन‑बैंकिंग फाइनैंशियल कंपनियों को अब हर ग्राहक की पहचान, स्रोत‑आफ़‑फंड और नियमित मॉनिटरिंग करनी होती है। अगर कोई लेन‑देण संदिग्ध लगता है, तो वह तुरंत FIU‑IND (फ़ाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट) को भेजा जाता है।
न्यायालय में भी कड़ी सजा तय की गई है – 10 साल तक की जेल, भारी जुर्माना और अक्सर संपत्ति जब्त करने का प्रावधान है।
हाल ही में, भारत में एक बड़ी मनी लॉन्ड्रिंग केस का पर्दाफाश हुआ जहाँ ‘प्लिक-एन-ड्रिंक’ नामक कस्टमर रिवॉर्ड कंपनी को इस्तेमाल करके करोड़ों रुपये को विभिन्न खातों में बांटा गया। यह केस जीतने के बाद पुलिस ने कई शेल कंपनियों को बंद कर दिया और कई ऊपर से बड़े फाइनैंसियल इंस्टीट्यूशन को चेतावनी जारी की।

सामान्य लोगों के लिए भी कुछ आसान कदम हैं जिससे आप खुद को धोखाधड़ी से बचा सकते हैं: हमेशा बैंक या डिजिटल वॉलेट में KYC दस्तावेज़ अप‑टू‑डेट रखें, बड़ी रकम की जमा‑निकासी पर सवाल उठाएँ, अनजान लिंक या ई‑मेल नहीं खोलें, और अगर कोई ऑफर बहुत ज्यादा ‘फायदे‑भरा’ लगे तो दो‑तीन बार सोचें।

मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना सिर्फ सरकार या बैंक की जिम्मेदारी नहीं है। हर व्यक्ति को सतर्क रहकर और सही जानकारी लेकर इस बड़े अपराध का हिस्सा नहीं बनना चाहिए। अगर आप तुरंत कोई संदिग्ध लेन‑देण देखते हैं, तो अपने बैंक या FIU‑IND को रिपोर्ट करना सबसे आसान और असरदार तरीका है।

हेमंत सोरेन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में निर्दोष: झारखंड हाई कोर्ट ने दी जमानत

हेमंत सोरेन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में निर्दोष: झारखंड हाई कोर्ट ने दी जमानत

झारखंड हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत देते हुए कहा कि उनके विरुद्ध किसी भी अपराध में शामिल होने का प्रमाण नहीं है। कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय के दावे की आलोचना की और संभावना के आधार पर भविष्य में सोरेन द्वारा पुनः अपराध करने की संभावना कम बताई।

Subhranshu Panda जून 29 2024 0