जन्म आधारित नागरिकता क्या है?

अगर आप कभी सोचना पड़े कि भारत में नागरिकता कैसे मिलती है, तो सबसे आसान जवाब है – जन्म पर आधारित नियम। यानी अगर आपका जन्म भारत की सीमाओं के भीतर हुआ, तो आप स्वचालित रूप से भारतीय नागरिक बन जाते हैं, चाहे आपके माता‑पिता का धर्म, राष्ट्रीयता या वैधता कुछ भी हो। यह सिद्धांत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 5‑6 में लिखा हुआ है और अधिकांश मामलों में इसे ‘जैस‑जैस’ कहा जाता है।

अब आप सोच रहे होंगे, क्या यह नियम हमेशा ऐसा ही रहता है? नहीं, इसमें कई अपवाद और समय‑समय पर बदलाव आते रहे हैं। यही कारण है कि इस टैग पेज पर हम आपको सबसे ताज़ा जानकारी, समझाने वाले उदाहरण और अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब दे रहे हैं।

कौन‑से कानून जन्म आधारित नागरिकता को नियंत्रित करते हैं?

मुख्य रूप से दो कानून इसको तय करते हैं – भारतीय राष्ट्रीयता अधिनियम, 1955 और सिटीज़नशिप (अम्प्रूव्ड) एक्ट, 2019। इनमें प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं:

  • यदि आप 26 जनवरी 1950 से पहले भारत में पैदा हुए थे, तो आप स्वाभाविक रूप से भारतीय नागरिक हैं।
  • 1992‑2004 के बीच जन्मे बच्चों के लिए, अगर दोनों माता‑पिता भारत के वैध रहवासी थे, तो नागरिकता मिलती है।
  • 2004‑के बाद जन्मे बच्चों के लिए, केवल एक ही पैरेंट का वैध रहवासी होना पर्याप्त है।

इसके अलावा, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) ने कुछ खास समुदायों के लिए अलग प्रावधान जोड़ दिए हैं, जिससे बहिर्गमन‑आधारित नागरिकता और जन्म‑आधारित नागरिकता के बीच की सीमाएँ धुंधली हो गईं। इसने कई विवाद भी जन्माए हैं, इसलिए अगर आप इसपर गहरी नजर डालना चाहते हैं, तो इस पेज पर मिलने वाले लेखों को जरूर पढ़ें।

जন্ম आधारित नागरिकता के फायदे और चुनौतियां

सबसे बड़ा फायदा है स्पष्टता – आप या आपका बच्चा कब और कैसे नागरिक बनता है, यह आसानी से समझ में आता है। इससे शैक्षणिक, स्वास्थ्य और नौकरी संबंधी सुविधाएँ तुरंत मिल जाती हैं। कई बार विदेश‑वापसी वाले भारतीयों के बच्चों को ‘डबल नागरिकता’ का दावा करने में भी मदद मिलती है, क्योंकि जन्मजन्य आधार पर उनके पास अधिकार होते हैं।

परंतु चुनौतियां भी हैं। पहली तो कानूनी जटिलता – अलग‑अलग समय‑सीमाओं और अपवादों के कारण अक्सर लोग भ्रमित होते हैं। दूसरा, कुछ राज्य‑स्तर के नियमों में जन्म प्रमाणपत्र की वैधता या नई पहचान‑पुस्तिका की प्रक्रिया देर से हो सकती है, जिससे दस्तावेज़ीकरण में देरी होती है। तीसरा, सामाजिक‑राजनीतिक बहसें – CAA जैसे बदलावों ने कई समुदायों में असहज महसूस करवाई है, जिससे इस मुद्दे पर भावनात्मक प्रतिक्रिया भी तेज़ होती है।

इन सबके बीच सबसे महत्वपूर्ण बात है सही जानकारी रखना। अगर आप अपने या अपने बच्चे की नागरिकता की स्थिति समझना चाहते हैं, तो सबसे पहले जन्म प्रमाणपत्र, माता‑पिता के निवास प्रमाण और संबंधित सरकारी पोर्टल पर जाकर अपने रिकॉर्ड को चेक करें। यदि आगे कोई समस्या आती है, तो नजदीकी राष्ट्रीयता सेवा केंद्र या वकील से सलाह लेना फायदेमंद रहेगा।

हमारे इस टैग पेज पर आप विभिन्न लेख, विशेषज्ञों की राय और वास्तविक केस स्टडीज पा सकते हैं जो ‘जन्म आधारित नागरिकता’ को सरल भाषा में समझाते हैं। चाहे आप छात्र हों, पैरेंट हों या पॉलिसी‑मेकर, यहाँ की जानकारी आपके सवालों का जवाब देगी और आपको सही दिशा में आगे बढ़ाएगी।

विवेक रामास्वामी: भारतीय पासपोर्ट धारक पिता और अमेरिका की नागरिक माँ के कारण विवाद

विवेक रामास्वामी: भारतीय पासपोर्ट धारक पिता और अमेरिका की नागरिक माँ के कारण विवाद

भारतीय-अमेरिकी उद्यमी और राजनेता विवेक रामास्वामी, जिन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए अपनी महत्वाकांक्षाएं जाहिर की हैं, की इमिग्रेशन नीतियों के कारण सुर्खियों में हैं। उनके पिता भारतीय पासपोर्ट धारक हैं जबकि उनकी माँ अमेरिकी नागरिक बन चुकी हैं। विवेक का विचार है कि अवैध प्रवासियों के बच्चों की जन्म आधारित नागरिकता समाप्त की जानी चाहिए।

Subhranshu Panda नवंबर 13 2024 0