राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू: जीवन, यात्रा और योगदान
द्रौपदी मुर्मू का नाम अब हर घर में सुना जाता है। 2022 में वह भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनीं और साथ ही जातीय पहाड़ी समुदायों की प्रतिनिधि पहली महिला राष्ट्रपति भी। अगर आप सोच रहे हैं कि उनका सफर कैसे शुरू हुआ, तो चलिए एक-एक कदम पर नज़र डालते हैं।
शुरुआती साल और राजनीतिक प्रवेश
मुर्मू का जन्म 1958 में ओडिशा के एक छोटे गाँव में हुआ था। सामाजिक असमानताओं के बीच बड़े होते हुए उन्होंने पढ़ाई को सबसे बड़ा हथियार माना। बैंजरा विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में डिग्री पूरी करने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा। 2000 के दशक में उड़ीसा की कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर धीरे-धीरे उनके नाम पर प्रकाश पड़ा।
2004 में उन्होंने उड़ीसा विधानसभा से चुनाव जीत कर पहली बार विधायिका में प्रवेश किया। बाद में उन्होंने मंत्री पदों पर कार्य किया, जहाँ उन्होंने ग्रामीण विकास, वॉटर सप्लाई और स्वास्थ्य क्षेत्र में कई प्रमुख योजनाएँ शुरू कीं। उनका काम हमेशा ग्रासरूट स्तर पर असरदार रहा, इसलिए जनता में उन्हें भरोसेमंद नेता की छवि मिली।
राष्ट्रपति पद की ओर बढ़ते कदम
2015 में द्रौपदी मुर्मू को उड़ीसा सरकार ने गवर्नर के रूप में नियुक्त किया। यह पद उन्हें राष्ट्रीय मंच पर लाया और उनके अनुभव को और निखारा। गवर्नर के रूप में उन्होंने राज्य के संवैधानिक कार्यों को निष्पक्षता से निभाया और कई सामाजिक मुद्दों पर आवाज उठाई।
2022 में उन्हें राष्ट्रपति पद के लिये चुना गया। उनके चयन में कई कारण रहे – शैक्षिक पृष्ठभूमि, प्रशासनिक अनुभव और सबसे बड़ी बात, विभिन्न जातीय समूहों को प्रतिनिधित्व देने की आवश्यकता। राष्ट्रपति बनते ही उन्होंने ‘उद्यमिता और सशक्तिकरण’ को अपने प्राथमिक एजेण्डा में रखा।
राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने कई पहलें शुरू कीं: ग्रामीण महिला उद्यमियों के लिए फंडिंग, शैक्षणिक संस्थानों में डिजिटल शिक्षा का समर्थन, और पर्यावरणीय संरक्षण के लिये नई नीतियों की वकालत। इन कदमों से न केवल उनकी छवि मजबूत हुई, बल्कि देश में वास्तविक बदलाव भी आई।
साथ ही राष्ट्रपति पद की गरिमा को बनाए रखते हुए उन्होंने राजनीतिक तटस्थता बनाए रखी। संसद में होने वाले बहसों में उन्होंने हमेशा संतुलन की बात की, जिससे विभिन्न पार्टियों को सम्मान मिला। उनके भाषण सरल, स्पष्ट और जनता के दिल को छूते थे, यही वजह थी कि लोग उन्हें ‘जन-प्रिय राष्ट्रपति’ कहने लगे।
आज द्रौपदी मुर्मू का नाम सिर्फ एक राजनीतिक पद नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक है। अगर आप उनके सफर से प्रेरणा लेना चाहते हैं, तो उनके छोटे-छोटे कदमों को देखिए – पढ़ाई, मेहनत, जनता की सेवा और लगातार सीखते रहना। यही रास्ता किसी भी लक्ष्य को पाने में मदद करता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जीवन यह साबित करता है कि सही इरादे और कठिन परिश्रम से आप देश की सबसे बड़ी भूमिका भी निभा सकते हैं। भविष्य में भी उनका योगदान हमें नई दिशा दिखाता रहेगा।