तंबाकू निषेध दिवस: समझिए क्यों है ये इतना जरूरी
हर साल 1 मई को भारत में तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस दिन सरकार, NGOs और आम लोग मिलकर धूम्रपान के नुकसान पर बात करते हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि इस दिन क्यों खास है, तो जानिए कैसे छोटी‑छोटी बातें बड़ी बदलाव ला सकती हैं।
तंबाकू निषेध दिवस का इतिहास
तंबाकू निषेध दिवस का विचार 1990 के दशक में शुरू हुआ, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने धूम्रपान से जुड़ी बीमारियों को रोकने के लिए एक वैश्विक आंदोलन लॉन्च किया। भारत ने 1995 में ही इस अभियान को अपनाया और तब से हर साल विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते आए हैं। शुरुआती दिनों में बड़े पोस्टर और स्कूल में जागरूकता सत्र चलाए जाते थे, अब सोशल मीडिया का भी पूरा फायदा उठाया जाता है।
घर और समाज में धूम्रपान रोकने के आसान टिप्स
धूम्रपान छोड़ना मुश्किल लग सकता है, पर छोटे‑छोटे कदम अक्सर बड़ा फर्क बनाते हैं। सबसे पहले, घर में धूम्रपान प्रतिबंधित क्षेत्रों की सूची बनाएँ और सभी परिवार को बताएँ। अगर आप खुद धूम्रपान करते हैं, तो धुएँ की जगह गहरी सांसों वाले व्यायाम या च्युइंग गम लगाएँ।
दूसरा तरीका है, निकोटिन रिप्लेसमेंट थैरेपी (NRT) जैसे पैच या गम अपनाना। ये चीज़ें धीरे‑धीरे निकोटिन की जरूरत कम करती हैं, जिससे जब चाहें धूम्रपान की इच्छा घटती है। साथ ही, डॉक्टर से परामर्श कर वैकल्पिक दवाओं या काउंसलिंग की मदद ले सकते हैं।
तीसरा तरीका है, अपने दैनिक रूटीन में व्यायाम जोड़ना। सुबह का टहलना या योग से तनाव कम होता है, और तनाव ही अक्सर धूम्रपान का कारण बनता है। जब आपका शरीर सक्रिय रहेगा, तो धुएँ की craving कम होगी।
समाज में बदलाव लाने के लिए आप स्थानीय स्कूल या कॉलेज में जागरूकता सत्र आयोजित कर सकते हैं। एक छोटा फ़्लायर या पोस्टर भी बहुत असरदार होता है। अगर आपके क्षेत्र में कोई तंबाकू रोकथाम समूह है, तो उनके साथ जुड़ें और सामूहिक रूप से कार्यक्रम चलाएँ।
अंत में, याद रखिए कि तंबाकू निषेध दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि आपका स्वस्थ जीवन शुरू करने का एक संकेत है। छोटे‑छोटे कदमों से आप न सिर्फ खुद को, बल्कि अपने आस‑पास के लोगों को भी बचा सकते हैं। तो इस 1 मई को एक नए सोच के साथ शुरू करें और धूम्रपान से दूर रहें।