ग्राहम थॉर्प – England के लेजेंडरी बॅट्समैन की कहानी

अगर आप क्रिकेट के बड़े फैंस हैं तो नाम ‘ग्राहम थॉर्प’ सुनते ही दिमाग में द्रव स्टाइल बॅटिंग, मसल्स वाली फielderिंग और कूल‑कंपोज़िशन वाली पारी याद आती है। 1970‑80 की दहाई में इंग्लैंड के मध्य क्रम के प्रमुख खिलाड़ी, उनका क्रिकेट करियर कई दिल‑छूने वाले मोमेंट से भरा है।

शुरुआती ज़िन्दगी और अंतरराष्ट्रीय डेब्यू

ग्राहम थॉर्प का जन्म 1961 में इंग्लैंड के वेस्ट काउंटी में हुआ। बचपन से ही गली‑गली में बैट को गुँथे‑गुँथे मारते हुए उन्होंने अपना टैलेंट निकाला। 1981 में उन्होंने इंग्लैंड के लिये पहला टेस्ट मैच फेज़न में खेला। शुरुआती खेल में उनकी सूझ‑बूझ और निचली लाइन पर खेलने की आदत सामने आई, जिससे जल्दी ही टीम में भरोसा बना।

आँखों में चमक लाने वाली पारी

सबसे यादगार पारी 1991 की भारत‑वर्सेस इंग्लैंड टेस्ट में थी। नई दिल्ली के एश हवाई में थॉर्प ने 115 रनों की सिर पर “पहला सदी” बनाई, जो भारत के तेज़ बॉलिंग अटैक को झुका दिया। वही पारी उन्हें ‘टेस्ट के अटल हीरो’ बना गई। दूसरे मौकों में भी उन्होंने 300+ रन का मिलेजुले औसत बनाया, जैसे 1995 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 183 रनों की शानदार इनिंग।

फील्डिंग में उनका योगदान भी उल्लेखनीय था। तेज़ रिफ़्लेक्स और चोटिल बॉल को पकड़ने की माँड उनका ‘लॉन्ग लेग’ फील्डर बना देती थी। कई बार उन्होंने कठिन कैच लेकर विरोधी टीम को रोक दिया, जिससे उनका नाम ‘उत्कृष्ट फील्डर’ के रूप में रूढ़ि में जुड़ गया।

क्रिकेट के अलावा थॉर्प ने अपने अनुभव को कोचिंग में बदल दिया। 2009 में उन्होंने इंग्लैंड के अंडर‑19 टीम को कोच किया और बाद में इंग्लैंड की नैशन वाली टीम के बॅटिंग कोच बने। उनको बच्चों को तकनीकी बात समझाना और मानसिक सुदृढ़ता प्रदान करना बहुत पसंद था। इस कारण कई युवा बॅट्समैन ने उनके मार्गदर्शन से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कदम रखा।

आज भी थॉर्प विभिन्न टॉक शो और पैनल डिस्कशन में अपना ज्ञान साझा करते हैं। उनका अपना पॉडकास्ट ‘थॉर्प टॉक्स’ युवा क्रिकेटर और समीक्षकों के बीच काफी लोकप्रिय है। यहाँ वह सिर्फ तकनीकी टिप्स नहीं देते, बल्कि खेल की एथिकल साइड और टीम वर्क के महत्व पर भी बात करते हैं।

अगर आप थॉर्प की शैली का अनुसरण करना चाहते हैं तो बेहतरीन तरीका है – उनका ‘विचार‑पूर्ण पिच बिडिंग’ और ‘इंटेंस फोकस’ टेक्निक अपनाना। सरल शब्दों में, जब बॉल आपके सामने आ रही हो तो उसकी लाइन और लंबाई को समझें, और लगातार दो‑तीन शॉट्स की प्रैक्टिस करें।

समापन में यही कहा जा सकता है की ग्रैहम थॉर्प सिर्फ एक बॅट्समैन नहीं, बल्कि एक संपूर्ण क्रिकेट व्यक्तित्व हैं। उनका करियर हमें दिखाता है कि मेहनत, धीरज और सही गाइडेंस से कैसे बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। चाहे आप क्रिकेट के शुरुआती हों या अनुभवी फैन, थॉर्प की कहानी से सीखने के लिए हमेशा कुछ नया मिलता रहेगा।

पूर्व इंग्लैंड क्रिकेटर ग्राहम थॉर्प का 55 वर्ष की आयु में गंभीर बीमारी से निधन

पूर्व इंग्लैंड क्रिकेटर ग्राहम थॉर्प का 55 वर्ष की आयु में गंभीर बीमारी से निधन

पूर्व इंग्लैंड क्रिकेटर ग्राहम थॉर्प का 55 वर्ष की आयु में गंभीर बीमारी के चलते निधन हो गया है। थॉर्प ने अपने 13 साल के शानदार अंतरराष्ट्रीय करियर में 100 टेस्ट मैच खेले और 16 शतक लगाए। उनकी बल्लेबाजी की खासियत उनकी एलिगेंट और फ्लुइड शैली थीं, जिससे उन्होंने 6,744 टेस्ट रन बनाए। क्रिकेट समुदाय गहरे शोक में है और उनके परिवार को इस कठिन समय में सांत्वना प्रदान कर रहा है।

Subhranshu Panda अगस्त 5 2024 0