मनमोहन सिंह के प्रमुख पहलू: राजनीति, अर्थव्यवस्था और उनका असर

अगर आप भारतीय राजनीति या आर्थिक सुधारों में रुचि रखते हैं, तो मनमोहन सिंह का नाम सुनते ही दिमाग में कई सवाल उभरते हैं। उनका सफ़र एक तकनीकी विशेषज्ञ से लेकर दो लगातार प्रधानमंत्री बनने तक का है। इस लेख में हम उनके जीवन के मुख्य चरण, आर्थिक फैसले और आज के भारत पर उनका प्रभाव आसान भाषा में समझेंगे।

मनमोहन सिंह की शुरुआती जिंदगी और राजनीति में कदम

मनमोहन सिंह का जन्म 1953 में एक छोटे से गाँव में हुआ था। बचपन से ही पढ़ाई में तेज़ थे, इस वजह से आईएससी के बाद उन्होंने इन्स्टिट्यूट ऑफ़ इकोनॉमिक्स, दिल्ली में स्नातक किया। आर्थिक विज्ञान में डिग्री पूरी करने के बाद उन्होंने यू.एस.ए. में पीएच.डी. की और फिर भारतीय सरकारी सेवाओं में शामिल हुए। 1991 में जब भारत ने आर्थिक उदारीकरण की राह पकड़ी, तो उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में कई बड़े फैसले लिये।

वित्त मंत्री के तौर पर उनकी सबसे बड़ी पेशकश थी कर सुधार—जैसे जीएसटी का मूल ढाँचा तैयार करना, विदेशी निवेश को आसान बनाना और मौद्रिक नीति में स्थिरता लाना। इन कदमों ने भारतीय बाजार को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया।

प्रधानमंत्री के रूप में प्रमुख नीतियां और उनका असर

2004 में कांग्रेस के जीतने पर मनमोहन सिंह पहली बार प्रधानमंत्री बने। उनका पहला कार्यकाल ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर बूम’ पर केंद्रित था। उन्होंने राष्ट्रीय हाईवे नेटवर्क, ऊर्जा परियोजनाओं और ग्रामीण ईलेक्त्रीफिकेशन को तेज़ किया। इस दौरान देश की जीडीपी बढ़ी और रोजगार के अवसर बढ़े।

दूसरे कार्यकाल में, 2009-2014, उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा और डिजिटल भारत पर ध्येय रखा। उज्ज्वला योजना, स्वच्छ भारत मिशन और डिजिटल इंडिया की शुरुआती योजना इनकी मुख्य पहचान थीं। इन कार्यक्रमों ने न केवल ग्रामीण भारत को लाभ पहुंचाया, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि भी मजबूत की।

उनकी आर्थिक नीतियों में निरंतर कोशिश रही कि बाज़ार को मुक्त किया जाए और छोटे उद्यमियों को प्रोत्साहन मिले। हालांकि, कुछ लोग कहते हैं कि उनका धोखा‑रहित विकास का मॉडल सभी वर्गों तक नहीं पहुँचा, लेकिन कई आंकड़े बताते हैं कि उनकी नीतियों से गरीबी दर घटने में मदद मिली।

आज भी मनमोहन सिंह के फैसलों की चर्चा विभिन्न प्लेटफॉर्म पर होती है। उनके समर्थक कहते हैं कि उन्होंने भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में मजबूत बना दिया, जबकि आलोचक मानते हैं कि कुछ नीतियां सामाजिक असमानता को बढ़ा सकती थीं।

भविष्य की बात करें तो, उनका अनुभव और ज्ञान आज के युवा राजनेताओं और नीति निर्माताओं के लिए एक बड़ा सीख का स्रोत है। अगर आप राजनीति या आर्थिक सुधारों में रुचि रखते हैं, तो मनमोहन सिंह के कार्यकाल को एक केस स्टडी की तरह देख सकते हैं—क्योंकि इसमें कई सफलताएं और कुछ सीखने योग्य चुनौतियां दोनों ही मौजूद हैं।

डॉ. मनमोहन सिंह का 92वां जन्मदिन: कांग्रेस ने सादगी और दूरदर्शिता का दुर्लभ प्रतीक बताया

डॉ. मनमोहन सिंह का 92वां जन्मदिन: कांग्रेस ने सादगी और दूरदर्शिता का दुर्लभ प्रतीक बताया

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92वां जन्मदिन 26 सितंबर, 2024 को मनाया गया। कांग्रेस नेताओं ने उन्हें शुभकामनाएं दीं और उनकी सादगी, गरिमा और राजनीतिज्ञ दूरदर्शिता की सराहना की। अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उन्हें राजनीति में सादगी का दुर्लभ प्रतीक बताया, जबकि राहुल गांधी ने उनकी नम्रता, बुद्धिमत्ता और निःस्वार्थ सेवा की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं।

Subhranshu Panda सितंबर 26 2024 0