भगवान जगन्नाथ – इतिहास, पूजा और पुरी यात्रा का सम्पूर्ण मार्गदर्शन

अगर आप हिन्दू धर्म में ‘जगन्नाथ’ नाम सुनते हैं तो ही दिल में उत्साह और जिज्ञासा जाग उठती है। भगवान जगन्नाथ सिर्फ एक देवता नहीं, बल्कि पुरी की धरा पर बसे एक बड़े सांस्कृतिक पहलू हैं। इस लेख में हम उनके मूल कथा, पुरी में मौजूद मंदिर और रथ यात्रा की बातें, साथ ही यात्रा के लिए कुछ आसान टिप्स बताएँगे – सब कुछ सादा भाषा में, बिलकुल आपके लिये।

जगन्नाथ की कहानी – कैसे बना यह देवता लोकप्रिय

जगन्नाथ, आध्यात्मिक रूप से विष्णु के एक रूप माने जाते हैं। कहा जाता है कि साक्षी देवी (पार्वती) ने अपने पुत्र बलभद्र (बाम) को शत्रुओं से बचाने के लिये जगन्नाथ की प्रतिमा बनाई थी। फिर राजकुमार बाम ने इस मूर्ति को पुरी के द्वार पर स्थापित किया और वहाँ से इस देवता की पूजा शुरू हुई। समय के साथ ये किंवदंती संगीत, नृत्य और कलाई के मुहरे में बदल गई, और पुरी का मंदिर बन गया।

पुरी मंदिर और रथ यात्रा – क्या खास है?

पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर चार प्रमुख देवताओं – जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा का संगम है। यहाँ की वास्तुकला, शिलालेख और प्राचीन कथा हर आगंतुक को मंत्रमुग्ध कर देती है। सबसे बड़े आकर्षण में से एक है ‘अभिरुचि रथ यात्रा’, जो हर साल फाल्गुन महीने में होती है। लाखों श्रद्धालु, गाड़िया और रंग-बिरंगे झंडे इस यात्रा में भाग लेते हैं। रथ को खींचने के लिए ‘विठ्ठल’ नामक लकड़ी का उपयोग किया जाता है, और यात्रियों को एपीसी पर ढेर सारी भजन-कीर्तन सुनने को मिलता है।

यदि आप पहली बार पुरी जा रहे हैं तो कुछ बातें याद रखें:

  • समय चुनें: रथ यात्रा के दौरान होटल, रेस्टोरेंट और ट्रांसपोर्ट की कीमतें बढ़ जाती हैं। यात्रा के पहले या बाद में जाना ज्यादा सुविधाजनक हो सकता है।
  • परिधान: मंदिर में मुण्डी पहना जाना उचित नहीं है; हल्का, साफ कपड़े पहने। महिलाओं को स्कार्फ या दुपट्टा साथ रखना चाहिए।
  • भोजन: पुरी के स्थानीय ‘छेना भाटा’ और ‘दोहा’ का स्वाद जरूर चखे। यहाँ की किचन में सादा और शुद्ध भोजन मिलता है, इसलिए पावन माहौल में भोजन करना ठीक रहेगा।

जगन्नाथ से जुड़ी कई छोटी-छोटी शास्त्रें भी हैं। एक कहावत है – ‘जगन्नाथ को देखो तो मन शांत हो जाता है’। इसका मतलब है कि अगर आप तनाव में हों, तो पुरी के शांति भरे माहौल में थोड़ा समय बिताना आपके मन को शितल बना देगा।

पुरी तक पहुँचने के लिये सबसे आसान तरीका है कोलकाता या भुवनेश्वर से ट्रेन या बस। अगर आप दूर-दराज़ के शहर से आ रहे हैं, तो सबसे तेज़ विकल्प है फिरोजपुर हवाई अड्डा, जहाँ से टैक्सी या रेंटल कार से दो घंटे में पुरी पहुँचा जा सकता है।

अंत में, अगर आप आध्यात्मिक यात्रा की तलाश में हैं, तो जगन्नाथ का दर्शन और रथ यात्रा आपको सिर्फ धार्मिक अनुभव ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का गहरा अध्ययन भी कराती है। इस यात्रा को एक बार ट्राय करें, और अपनी ज़िन्दगी में नई उमंग और ऊर्जा महसूस करें।

सुनहरा यादगार: यात्रा के बाद क्या करें?

जगन्नाथ दर्शन के बाद, पुरी के समुद्र तट पर शाम की सैर करना न भूलें। यहाँ की लालीटैक्स वाले समुद्र किनारे आपको शांति मिलती है और फोटो लेने के लिये भी बड़ी अच्छी जगह होती है। साथ ही, पुरी के स्थानीय बाजार में ‘सूर्यकांति फल’ और ‘कमल लकड़ी’ की चीजें खरीदना एक यादगार शॉपिंग अनुभव बनता है।

तो चलिए, ले लीजिए अपनी बैग, प्लान बनाइए और भगवान जगन्नाथ की गहरी शांति को अपने दिल में बसाइए। खबरों की ताज़ा अपडेट और और भी यात्रा टिप्स के लिये ‘समाचार स्कैनर’ पर बने रहें।

पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का शुभारंभ, राष्ट्रपति मुर्मू होंगी सम्मिलित

पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का शुभारंभ, राष्ट्रपति मुर्मू होंगी सम्मिलित

पुरी, ओडिशा में 7 जुलाई 2024 को भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा का शुभारंभ हुआ। इस साल का उत्सव खगोलीय व्यवस्थाओं के कारण 1971 के बाद पहली बार दो-दिवसीय होगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस पवित्र यात्रा में भाग लेंगी। ओडिशा सरकार ने उनके दौरे के लिए विशेष प्रबंध किए हैं।

Subhranshu Panda जुलाई 8 2024 0